सदियों से लोग योग के फायदों का वर्णन करते चले आ रहे हैं। योग शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक तथा आध्यात्मिक हर तरह से फायदेमंद है। अनुलोम विलोम भी योग का ही एक प्रकार यानी प्राणायाम है। अनुलोम विलोम प्राणायाम तीन शब्दों का मेल है। “अनुलोम” का अर्थ है “दाईं नासिका” और “विलोम” का अर्थ “बाईं नासिका” है। जबकि “प्राणायाम” का अर्थ है “सांस लेना” (Breathing exercise)। इसका अभ्यास करते वक़्त दाईं और बाईं नासिका से सांस लेना और छोड़ना होता है। अकसर मन को शांत करने के लिए इस प्राणायाम की सिफारिश की जाती है। पर विशेषज्ञ मानते हैं कि यह आपके ब्रेन और स्पाइन दोनों के लिए फायदेमंद है।
अनुलोम विलोम का अभ्यास थकान, आलस और सुस्ती को कम कर देता है। साथ ही बॉडी टॉक्सिंस को बाहर निकालता है। यह शरीर में रक्त संचार को बढ़ाते हुए रीढ़ की हड्डियों के लिए भी काफी फायदेमंद होता है। तो आप सोच रही होंगी कि आखिर सांस लेना और छोड़ना रीढ़ की हड्डी के लिए कैसे लाभदायक हो सकता है? तो आज हेल्थ शॉट्स के इस लेख के माध्यम से जानेंगे रीढ़ की हड्डी पर अनुलोम विलोम का प्रभाव।
अनुलोम विलोम का नियमित अभ्यास कमर दर्द की समस्या से राहत पाने में मदद करता है। साथ ही यह रीढ़ की हड्डियों को भी आराम पहुंचाता है। ब्रीदिंग एक्सरसाइज के दौरान आपका बॉडी पॉस्चर काफी रिलैक्सिंग होता है और आप पूरी तरह से फोकस्ड रहती हैं। जो दर्द कम करने में आपकी मदद करता है। अनुलोम विलोम शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ा देता है, जो शरीर की मांसपेशियों को एक्टिव रहने में मदद करते हैं और इन्हें जल्दी थकने नहीं देते।
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नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉरमेशन द्वारा प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार 96 मेडिकल स्टूडेंट्स पर एक शोध किया गया। जिसमें स्टूडेंट्स को दो भाग में बांट दिया गया, 1 भाग वाले बच्चे अनुलोम विलोम का अभ्यास करते थे और दूसरे बच्चे सूर्य नमस्कार। परिणाम स्वरूप दोनों ही ग्रुप के बच्चों कि सेहत में काफी ज्यादा सुधार देखने को मिला।
उन्होंने अपनी एंग्जाइटी को हैंडल करना सीखा साथ ही पॉजिटिविटी के प्रति ध्यान देना शुरू कर दिया। यह सभी चीजें बताती हैं, कि इस प्रकार ब्रीदिंग एक्सरसाइज हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है।
जर्नल ऑफ़ आयुर्वेदा इंटीग्रेटिव मेडिसिन द्वारा प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार अनुलोम विलोम का नियमित अभ्यास लंग्स फंक्शन को इंप्रूव करता है। इसके साथ ही की गई स्टडी में कुछ स्विमर्स को शामिल किया गया। कुछ दिनों तक नियमित रूप से ब्रीडिंग एक्सरसाइज करने के बाद परिणामस्वरुप आम स्विमर्स की तुलना में वे पानी के अंदर अधिक समय बिता सकते थें।
वहीं 2013 में की गई कि गयी एक स्टडी के अनुसार नियमित रूप से 30 मिनट अनुलोम विलोम करना साइनस इन्फ्लेमेशन को कम करता है। साइनस की स्थिति में सांस लेने में परेशानी होती है।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन द्वारा प्रकाशित अध्ययन के अनुसार अनुलोम विलोम का नियमित अभ्यास आपकी त्वचा के लिए काफी फायदेमंद हो सकता है। त्वचा की सेहत को बनाए रखने के लिए सबसे जरूरी है स्ट्रेस मैनेजमेंट। अनुलोम विलोम जैसे ब्रीदिंग एक्सरसाइज आपको स्ट्रेस मैनेज करने में मदद करते हैं। साथ ही साथ ब्लड सर्कुलेशन को इंप्रूव कर देते हैं। इस स्थिति में त्वचा तक पर्याप्त ऑक्सीजन पहुंचता है और त्वचा ग्लोइंग नजर आती है साथ ही त्वचा से जुड़ी समस्याएं दूर रहती हैं।
आंखों की सेहत को बनाए रखने के लिए शरीर में पर्याप्त ऑक्सीजन सप्लाई बहुत जरूरी है। जैसा कि हम जानते हैं नियमित रूप से अनुलोम विलोम का अभ्यास शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ा देता है, जिससे कि रेस्पिरेट्री और कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ इंप्रूव होते हैं। यह दोनों ऑक्सीजन सप्लाई के लिए बहुत जरूरी है। इस प्रकार अनुलोम विलोम का अभ्यास आंखों की रोशनी को बनाए रखता है।
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बीएमआई चेक करेंनेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन द्वारा 2011 में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार ब्रीदिंग एक्सरसाइज हृदय स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालती हैं। यह ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट को सामान्य रखते हुए दिल से जुड़ी बीमारियों के खतरे को कम कर देती हैं।
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