हृदय आपके शरीर का केंद्र है, इसलिए इसे सेहतमंद करना बहुत जरूरी है। आप सभी पहले से ही हृदय स्वास्थ्य के लिए योग आसनों के लाभों के बारे में जानती होंगी, लेकिन आज हम आपको कुछ ऐसी मुद्राओं के बारे में बताने जा रहे हैं, जो योगासन की तरह ही काफी लाभकारी हैं।
आइए जानते हैं कि मुद्रा का क्या अर्थ है। ये एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है ‘हावभाव’ – ये आपके शरीर में ऊर्जा प्रवाहित करने का काम करता है, जिससे आपके स्वास्थ्य को लाभ होता है। इन मुद्राओं का नियमित रूप से अभ्यास करने से आपके हृदय स्वास्थ्य की स्थिति अच्छी रहती है।
सूर्य या अग्नि मुद्रा के रूप में भी जाना जाता है, कम ही लोग जानते हैं कि थायराइड हार्मोन का हृदय कार्य, रक्त वाहिकाओं और कोलेस्ट्रॉल के स्तर पर सीधा प्रभाव पड़ता है। लेकिन सूर्य मुद्रा का अभ्यास करने से थायराइड ग्रंथि की चयापचय क्रिया को उत्तेजित करता है। ये मुद्रा कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करती है, जिससे हृदय संबंधी समस्या कम हो जाती है।
सूर्य मुद्रा को भोजन से पहले करना चाहिए, इसे दिन में दो बार लगभग 15-20 मिनट तक कर सकती हैं।
अपान वायु मुद्रा हृदय संबंधी बीमारियों को ठीक करने में मदद करती है। ये दिल के दौरे को रोकने में मदद करती है और साथ ही दिल में भारीपन से भी छुटकारा दिलाती है। इसके अलावा, ये सिरदर्द, चिंता और घबराहट को भी नियंत्रित करती है और पाचन क्रिया और फेफड़ों की क्षमता में भी सुधार करती है।
इसके लिए कोई विशेष समय नहीं है। हालांकि, आप हर दिन सुबह या शाम 30 मिनट के लिए इस मुद्रा का अभ्यास कर सकती हैं।
मुद्रा एक शक्तिशाली उपचार है, जो शरीर को बहुत अधिक ऊर्जा देती है। ये इच्छाशक्ति को बढ़ाने और आत्म-सम्मान में सुधार लाने में मदद करती है। इसका अभ्यास करने से आपका हृदय स्वास्थ्य सेहतमंद रहेगा।
रुद्र मुद्रा 20 मिनट तक करनी चाहिए।, इसे दिन में दो बार 10-12 मिनट तक किया जा सकता है।
ये मुद्रा तनाव को दूर करने और आपके मूड को बढ़ावा देने के लिए जानी जाती है। इसका नियमित रूप से अभ्यास करने से उच्च कोलेस्ट्रॉल वाले लोगों का कोलेस्ट्रॉल कम होता है। गणेश मुद्रा का अभ्यास करने से आपका दिल मजबूत होता है, ये मुद्रा रक्त संचार में सुधार लाती है और हृदय चक्र खोलती है। कुल मिलाकर ये मुद्रा हृदय की कार्यप्रणाली को नियंत्रित करने में मदद करती है।
लाभ प्राप्त करने के लिए खाली पेट या सुबह के समय इसका अभ्यास करना चाहिए।
प्राण मुद्रा फेफड़ों के कार्य को बढ़ाती है, हृदय को सक्रिय करती है और रक्त संचार में सुधार लाती है। इस मुद्रा का अभ्यास करने से आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता और आंखों की रोशनी भी बढ़ती है।
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