भारत में प्रति वर्ष लगभग एक करोड़ लोग इनसोम्निया (Insomnia), यानी अनिद्रा से पीड़ित हैं। ये स्लीप डिसऑर्डर (Sleep Disorder) है, जो दवाइयों से भी कभी पूरी तरह ठीक नहीं हो सकता। जब तक आप दवाइयाें का सेवन करते रहेंगे, तभी तक यह असरकारक होगा। मेडिकल एक्सपर्ट भी अब मानने लगे हैं कि नींद की गोली से भी अधिक कारगर है योग और मेडिटेशन, जो व्यक्ति को 8 घंटे की आरामदायक नींद देते हैं।
अक्सर हम सोते-सोते जग जाते हैं और फिर रात जागकर काटते हैं। हम कई रात लगातार सो नहीं पाते हैं। इससे अनिद्रा यानी इनसोमेनिया, स्लीप डिसऑडर जैसी बीमारी हो जाती है। गोली से भी अधिक असरकारक हैं कुछ खास योग और मेडिटेशन। यही वजह है कि कोराेना महामारी के कारण अधिक संख्या में इनसोम्निया से पीड़ित व्यक्ति ने सबसे अधिक योग और मेडिटेशन का सहारा लिया। सबसे पहले तो हम जानें कि स्लीप डिसऑर्डर क्यों होता है?
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डिवाइन सोल योगा, नीदरलैंड्स के डायरेक्टर और योगा थेरेपिस्ट डॉ. अमित खन्ना ने बताया कि जब दिन भर कामकाज करने के बावजूद रात में नींद न आए, नींद बाधित होती रहे, तो यह स्लीप डिसऑर्डर है। इन्सोम्निया, स्लीप एपनिया, रेस्टलेस लेग सिंड्रोम, हाइपरसोमनिया, नार्कोलेप्सी और शिफ्ट वर्क डिसऑर्डर आमतौर पर पाए जाने वाले कुछ स्लीप डिसऑर्डर हैं।
यदि हमें लगातार कई रात तक साउंड स्लीप न मिले, तो एंग्जाइटी, डिप्रेशन, याददाश्त में भी कमी आ सकती है। बिहैविरियल थेरेपी, नींद की गोली आदि से इन्सोम्निया का इलाज तो किया जाता है, लेकिन यह कारगर नहीं है। सबसे अधिक फायदा हमें योग और मेडिटेशन से मिलता है।
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योग माइंड और बॉडी दोनों को रिलैक्स करता है। इसलिए सोने से पहले योगाभ्यास करने पर अच्छी नींद आती है।
इस आसन में खड़े होकर आगे की ओर झुका जाता है।
आपको सीधे खड़ा होना है और अपने हाथों को आगे की ओर लाते हुए पंजों को टच करना है।
इस अवस्था में थोड़ी देर होल्ड करें।
इस योग में दीवार की तरफ मुंह करके बैठा जाता है। फिर अपनी पीठ के बल लेटते हुए अपने पैरों को दीवार के ऊपर घुमाया जाता है।
आगे के क्रम में अपने कूल्हे कोे दीवार पर टिका देना चाहिए और बाहों को आरामदायक अवस्था में ही रहने देना चाहिए।
कूल्हे के नीचे तकिया रखा जा सकता है। इससे आराम मिलता है।
इस दौरान व्यक्ति को सांस पर ध्यान देना होता है।
धीरे-धीरे सांस को लिया और छोड़ा जाता है।
इस आसन में 5 मिनट तक रहा जा सकता है।
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जमीन या बेड पर बैठकर अपने घुटनों को दोनों ओर खोल लें। फिर अपने पैरों के तलवों को एक साथ दबाएं। धीरे-धीरे पीठ के बल लेट जाएं। बाहों कोे आरामदायक स्थिति में ही रहने दें। इस अवस्था में भी 5 मिनट तक रहें।
इस आसन में पहले चौकड़ी मारकर बैठ जाएं।
फिर खुद को एक टेबलटॉप मान कर उस स्थिति में आएं।
अपने कूल्हों को वापस अपनी एड़ी की ओर झुकाएं। फिर छाती को जांघों पर आराम देते हुए रिलैक्स करें। यह आसन भी 5 मिनट तक किया जा सकता है।
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पैरों को फैला करके चटाई पर सीधे लेट जाएं।
और अपने पूरे शरीर को रिलैक्स छोड़ दें।
ध्यान केंद्रित करने के लिए आप उलटी गिनती कर सकती हैं।
धीरे-धीरे अपने शरीर के प्रत्येक हिस्से को मानसिक आंखों से देखने का प्रयास करें और रिलैक्स हो जाएं।
ये सभी आसन अच्छी नींद लाने में सहायक हैं। प्राणायाम भी बेहद असरकारक हैं। अक्सर हम एक नाक से सांस लेते हैं और दूसरेे से छोड़ते हैं। लेकिन कुछ दिनों बाद हम अभ्यास करें कि एक बार सांस लेने के बाद दो बार सांस छोड़ने की प्रक्रिया करें। इससे कार्बन डायक्साइड अधिक मात्रा में शरीर से बाहर निकलता है।
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डॉ. अमित खन्ना के अनुसार, जब हम प्रणायाम और योगासन करते हैं, तो इससे पैरा सिम्पथेटिक नर्वस सिस्टम एक्टिव होता है। जिससे शरीर का मेटाबॉलिज्म कंट्रोल होता है। ब्लड प्रेशर नॉर्मल होता है। ब्रीदिंग पैटर्न अनडिस्टर्ब होता है और हमें साउंड स्लीप होता है।
मेडिटेशन एक रिलेक्सेशन टेक्नीक है। इससे माइंड और बॉडी शांत हो जाते हैं। इससे हमारे ब्रेन के अंदर डेल्टा वेब प्रोड्यूस होते हैं, जिससे हमारा दिमाग शांत हो जाता है। मन तनाव मुक्त और शांत हो जाता है। फिर हमें सुकून वाली नींद आती है।
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