इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में तनाव (Stress) और एंग्जायटी (Anxiety) की समस्या बहुत आम हो गयी है। छोटी-छोटी बातों पर दिल घबराना, सांस फूलना, बेचैनी होना, धड़कनों का तेज रहना, रात को कम नींद आना इत्यादि यह सभी एंग्जाइटी के लक्षण हो सकते हैं। यह जानना आपके लिए जरूरी है कि गलत व्यवहार, अनियमित दिनचर्या, रिश्तों में तनाव और विवाद, एक- दूसरे से आगे निकलने की दौड़, असुरक्षित महसूस करना, लड़ाई-झगड़ा, समाज से दूर रहना और अपनी ही जिंदगी में लीन रहने जैसे कुछ कारणों तनाव, गुस्सा, एंग्जायटी और अवसाद को जन्म दिया है। समस्या चाहें जितनी गंभीर लगे, पर लाइलाज नहीं है। यहां हम कुछ योगासनों (yoga for stress relief) के बारे में बताने जा रहे हैं, जो आपको इन सभी समस्याओं से निजात दिला सकते हैं।
एंग्जायटी की समस्या ज्यादातर युवाओं में देखने को मिल रही है। पुरुषो की तुलना में एंग्जायटी महिलाओं को अधिक और जल्द प्रभावित करती है। पिछले कुछ सालों में देखा गया की महिलाओं की एंग्जायटी रेट पुरुषो की तुलना में 1.5 गुना ज्यादा है। 3 से 17 साल उम्र के कुल बच्चों में से 7.1% बच्चे एंग्जायटी की समस्या से पीड़ित हैं, वहीँ 18 साल से ऊपर के युवाओं में से 18% युवा इस समस्या से परेशान हैं। कोवीड के बाद हुए एक स्टडी में कुल 74% भारतीय एंग्जायटी से पीड़ित पाए गए।
एंग्जायटी की समस्या को समय रहते कंट्रोल कर लेना चाहिए वरना बाद में यह डिप्रेशन और एंग्जायटी अटैक जैसी समस्याओं में बदल जाती है। जिसका सीधा असर आपके शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। यही नहीं, यह आपके निजी जीवन और कार्य को भी प्रभावित कर सकती है। एंजाइटी किसी शारीरिक बीमारी का नाम नहीं है, वल्कि यह केवल हमारी एक मानसिक नकारात्मकता है। कुछ लोग अपनी मानसिक चिंताओं को कंट्रोल नहीं कर पाते ऐसे में उन्हें एंग्जाइटी की समस्या का सामना करना पड़ता है।
आजकल के युवा एंग्जायटी और स्ट्रेस के दौरान शराब, सिगरेट जैसी कई नशीले पदार्थों का प्रयोग करते हैं। परंतु आपको बता दें कि ऐसा करना समस्या को कम करने की जगह उसे बहुत ज्यादा बढ़ा देता है। नशे का असर खत्म होते ही आपका तनाव और ज्यादा बढ़ने लगता हैं।
कार्य का बोझ, निजी जीवन में परिवारिक कलह, लव लाइफ की समस्या और भी कई तनावपूर्ण घटनाओं के कारण आपको एंग्जाइटी की समस्या हो सकती है।
स्वास्थ्य संबंधी किसी तरह की समस्याओं को लेकर अधिक चिंतित रहना, आपको एंजायटी डिसऑर्डर का शिकार बना सकता हैं। ऐसे में यह आपके लाइफ और वर्क दोनों को प्रभावित करेगा।
कुछ लोग खुद को परफेक्ट दिखाना चाहते हैं। ऐसे में कभी-कभी ऐसा न कर पाने के कारण वह अत्यधिक शर्मिंदगी महसूस करने लगते है। ऐसे में अधिक तनाव के कारण मानसिक तौर पर अशांत और एंग्जायटी से ग्रषित हो सकते हैं।
डॉ मालविका अठावले के अनुसार योग, ध्यान और प्राणायाम किसी भी तरह के तनाव, उदासी और चिंता से उबरने में आपकी मदद कर सकते हैं। आपको अपने डेली रुटीन में कम से कम 40 से 50 मिनट योग और प्राणायाम के लिए निकालने हैं। हालाँकि हेल्दी डाइट लेने और साफ़ सुथरे वातावरण में रहने से आप एंग्जायटी की समस्या से दूर रह सकती हैं।
योग विशेषज्ञ ग्रैंड मास्टर अक्षर के अनुसार शारीरिक गतिविधिया जैसे योग और व्यायाम का अभ्यास (yoga for stress relief) आपको मानसिक रूप से संतुलित रहने में मदद कर सकते हैं। आपकी मानसिक शांति एंग्जायटी की समस्या को दूर रखने के लिए अधिक महत्वपूर्ण है। तनाव मुक्त रहने के लिए रात को सोने से पहले थोड़ी देर मेडिटेशन जरूर करें। साथ ही मेडिटेशन आपकी एंग्जायटी को भी कम करने में मदद करेगी।
वहीं मालविका अठावले कहती हैं कि एंग्जायटी से दूर रहने के लिए कम से कम दिन के 30 मिनट खुद के साथ बिताने का प्रयास करें। साथ ही अपनी हॉबी जैसे की पेंटिंग, डांसिंग, पोएट्री, किताबें पढ़ना इत्यादि को अपनी दिनचर्या में जरूर शामिल कर सकती हैं। वहीं शारीरिक गतिविधियां जैसे खेलकूद में भाग लेने से भी मदद मिलेगी।
वजन बढ़ने से होने वाली समस्याओं से सतर्क रहने के लिए
बीएमआई चेक करेंयह जांघ और गुप्तांग के आसपास के हिस्सों के स्ट्रेच के लिए फायदेमंद होता है। रीढ़ की हड्डी को सीधा करने के साथ जांघ के मसल्स को भी रिलैक्स करने में मदद करता है। नियमित रूप से इसका अभ्यास आपके डिप्रेशन, टेंशन और तनाव को कम करने में मदद करता है।
बैठ कर आगे की ओर झुकें और अपने पैर के उंगलियों को छूने का प्रयास करें। यह मसल्स को मजबूत करने के साथ-साथ ब्लॉकेज को खोलने का काम करता है। इस आसन को करते वक्त लंबी सांस खींचने और छोड़ने से आपके दिमाग को शांत रहने में मदद मिलती है।
रीढ़ की हड्डी को बिल्कुल सीधा करके बैठे और पैरों को सामने की ओर फैला लें। लंबी सांस लेकर थोड़ी देर रोकें और फिर छोड़ दे। इस अभ्यास को करने से आपकी रीड की हड्डी मजबूत होती है और आप रिलैक्स महसूस कर सकती हैं। साथ ही यह योग आपके तनाव के स्तर को भी कम करता है।
उष्ट्रासन का अभ्यास आपके शरीर में ब्लड सरकुलेशन को बढ़ाता है। ब्लड सरकुलेशन के बढ़ने से शरीर को अधिक मात्रा में ऑक्सीजन प्राप्त होता है। यह आपके मानसिक तनाव को कम करने के साथ आपको रिलैक्स रहने में मदद करता है।
यह आपके शरीर में ब्लड सरकुलेशन को बढ़ाने का काम करता है। साथ ही हार्ट ब्लॉकेज को खोलने में भी मददगार होता है। नियमित रूप से इसका अभ्यास करने से अपने दिमाग को शांत और खुदको तनावमुक्त रख सकती हैं।
तो डियर गर्ल्स, तनाव से घबराएं नहीं, न ही किसी तरह की शेमिंग का शिकार हों। बस अपने डेली रुटीन में योग को शामिल करें और तनाव मुक्त रहें।
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