इन दिनों सांस संबंधी समस्याएं बड़ी तेज़ी से बढ़ रही हैं। प्रदूषण के साथ-साथ बदलता मौसम भी इन समस्याओं को बढ़ा रहा है। फेफड़े और इसमें होने वाली समस्या के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए ही अभी 16 नवम्बर को सीओपीडी (Chronic obstructive pulmonary disease-COPD) डे मनाया गया। आधुनिक चिकित्सा ब्रोंकोडायलेटर्स और स्टेरॉयड का उपयोग करके सीओपीडी का इलाज करती है। दूसरी ओर प्राकृतिक चिकित्सा से भी इसके इलाज में मदद ली जा सकती है। आइए विशेषज्ञ से जानते हैं उन योगासनों के बारे में, जो आपको श्वास संबंधी समस्याओं से बचने में मदद कर आपके फेफड़ाें के स्वास्थ्य (yoga for lungs) को बनाए रख सकते हैं।
पल्मोनरी डिजीज यानी फेफडों में हुई समस्या में योग किस तरह कारगर है, इसके लिए हमने बात की जिंदल नेचरक्योर इंस्टीट्यूट में चीफ योग ऑफिसर डॉ राजीव राजेश से।
डॉ राजीव राजेश बताते हैं, ‘दवा केवल लक्षणों का प्रबंधन करती है। दूसरी ओर योग फेफड़ों के कार्य में दीर्घकालिक सुधार करने में मदद करने के लिए काम करता है। इससे रोग की प्रगति को कम करने में मदद मिलती है। प्राकृतिक चिकित्सा आधारित दृष्टिकोण अपनाने से रोगियों को दवाओं की खुराक कम करने में मदद मिल सकती है। यह कम लागत में रोग को प्रबंधित करने का प्रभावी तरीका भी है।’
डॉ राजीव के अनुसार, भारत में सीओपीडी की बढ़ती घटनाओं में बिगड़ती वायु गुणवत्ता एक प्रमुख योगदानकर्ता है। इसे दूर करने और रोग से बचाव में प्राकृतिक चिकित्सा और योग के महत्व को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
सीओपीडी के लिए योग एक बेहतरीन उपाय है। यह रक्तचाप को कम करने, तनाव को कम करने, फिटनेस में सुधार करने, बलगम को ढीला करने और सांस नली के अवरोध को खत्म कर सुगम बनाने में मदद करता है। यह सांस को नियंत्रित करने में भी मदद करता है।
यह फेफड़ों के सुचारू रूप से काम करने में मदद भी करता है। विश्व स्तर पर, विशेषज्ञ सीओपीडी के रोगियों में फेफड़ों की कार्यक्षमता में सुधार और लक्षणों से राहत के लिए योग के महत्व को स्वीकार कर रहे हैं। अमेरिका में वर्मोंट विश्वविद्यालय के वर्मोंट लंग सेंटर में किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि योग सांस अभ्यास (प्राणायाम) ने सीओपीडी रोगियों में फेफड़ों के कार्य और सांस लेने की क्षमता को बढ़ाने में मदद की।
योग के बेसिक आसनों में से एक है तड़ासन या माउंटेन पोज।
पैरों को मिलाकर सीधे खड़े हो जाएं।
आंखों के लेवल पर सामने देखें और उंगलियों को आपस में फंसा लें।
सांस भरते हुए हाथों और एड़ियों को ऊपर उठाएं।
हथेलियों को ऊपर की ओर करें।
15 से 20 सेकेंड तक सामान्य सांस के साथ इसी स्थिति में बने रहें।
सांस छोड़ते हुए हाथों को नीचे करें।
इसे ताड़ासन के ठीक बाद करना है। इससे आपके शरीर में स्फूर्ति आ जाएगी।
सीधे खड़े हो जाएं और पैरों को एक साथ रखें।
अपनी हथेलियों को अपनी पीठ के निचले हिस्से पर रखें। यह सुनिश्चित करें कि आपकी उंगलियां नीचे की ओर हों।
अपने पैरों में दबाएं, अपने घुटनों को ऊपर उठाएं।
इसके बाद अपने कूल्हों और जांघों को स्ट्रेच करें।
अपने कूल्हों को आगे की ओर दबाएं और अपने धड़ को पीछे की ओर झुकाएं।
यदि आप सुरक्षित महसूस करते हैं, तो अपने सिर को पीछे की ओर झुका दें।
4-5 सांसों के लिए स्थिति को बनाए रखें।
मुद्रा जारी करने के लिए अपने हाथ, पैर और कूल्हों को मजबूत रखें।
सुनिश्चित करें कि आपका सिर और गर्दन लंबवत हो जाएं।
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