बिजी लाइफस्टाइल की वजह से हम अक्सर हम अपने शरीर पर ठीक तरह से ध्यान नहीं दे पाते हैं। परिणामस्वरूप, शरीर का छोटी-बड़ी शारीरिक समस्याओं की चपेट में आने का जोखिम बढ़ जाता है। ऐसे में योग को एक स्वस्थ विकल्प माना जा सकता है। यह न सिर्फ जीवनशैली में सुधार कर सकता है, बल्कि बीमारियों से दूर रहने में भी सहायता कर सकता है। आपके शरीर स्वस्थ रखने के लिए आज हम एक खास आसन ‘ताड़ासन’ (Mountain Pose) के बारे में बताने जा रहे हैं।
ताड़ासन को खड़े रह कर करने वाले योगासनों की नींव माना जाता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि इस योग को करते समय शरीर एकदम सीधा और स्थिर रहता है। ताड़ासन रीढ़ की हड्डी को स्वस्थ रखने में सहायता कर सकता है, जिससे बाकी आसन करने में आसानी होती है। यह एक बहुत ही सरल योगासन है।
योग में ऐसे कई आसन बताए गए हैं, जो डायबिटीज में फायेदमंद हो सकते हैं। इनमें से एक नाम ताड़ासन का भी है। नेशनल सेंटर ऑफ बायोटेक्नोलॉजी इनफार्मेशन (NCBI) द्वारा प्रकाशित एक शोध में यह बताया गया है कि ताड़ासन ऐसे योगासनों में शामिल है, जो टाइप 2 डायबिटीज को नियंत्रित रखने में सहायता कर सकते हैं। यह आसन ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में सहायता करता है।
शरीर का पोस्चर (मुद्रा) सुधारने के लिए रीढ़ की हड्डी को सीधा रखना बेहद जरूरी है। ऐसे में, रीढ़ की हड्डी को स्वस्थ बनाए रखने में ताड़ासन के लाभ देखे जा सकते हैं। इस योगासन को करते समय रीढ़ की हड्डी को बिलकुल सीधा रखा जाता है, जिससे शरीर का पोस्चर बनाए रखने में सहायता मिल सकती है। साथ ही, ताड़ासन रीढ़ को लचीला और शरीर का संतुलन बनाए रखने में मदद कर सकता है।
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योग करना पूरे शरीर के लिए फायदेमंद होता है, लेकिन कुछ योगासन शरीर के कुछ खास अंगों पर कार्य करते हैं। इसी प्रकार ताड़ासन योग घुटने, जांघ और टखनों पर भी खास तौर से काम करता है।
एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी द्वारा की गयी एक रिसर्च में पाया गया है कि ताड़ासन के फायदे रीढ़ की हड्डी को सीधा रखने के साथ घुटने, जांघ और टखनों को मजबूत बनाए रखने में भी सहायता कर सकते हैं।
ताड़ासन योग की सहायता से पाचन की परेशानी को दूर करने में मदद मिल सकती है। असल में, शोध में साफ तौर से जिक्र मिलता है कि नियमित रूप से ताड़ासन पेट की गंदगी को बाहर निकालने में सहायता कर सकता है, जिससे पाचन क्रिया में सुधार हो सकता है।
रिसर्च के मुताबिक, ताड़ासन योग का नियमित अभ्यास पीठ के निचले हिस्से में स्पाइनल नर्व में दबाव की वजह से पीठ, कूल्हों और जांघ में होने वाले दर्द से राहत दिलाने में सहायक हो सकता है।
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