वेटलॉस के लिए अक्सर व्यायाम की मदद ली जाती है। अधिकतर महिलाएं पेट पर जमा चर्बी से परेशान नज़र आती हैं। इसे दूर करने के लिए कई कार्डियो तो कभी हाई इंटैसिटी एक्सरसाइज़ की मदद ली जाती है। अगर आप आसान तरीके से बिना जिम जाएं वज़न को कम करने का उद्देश्य बना चुकी हैं, तो पिस्टल स्क्वाट की मदद से इसमें सफलता अवश्य मिल सकती है। इस संगल लेग स्क्वाट से चर्बी को बर्न करने के अलावा शरीर में लचीलापन और मज़बूती बढ़ने लगती है। जानते हैं पिस्टल स्क्वाट के फायदे और इसे करने की विधि भी।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार इस एक्सरसाइज़ को करने से घुटने का जोड़ मुड़ता है। सिंगल लेग्ड स्क्वाट से हैमस्ट्रिंग की सक्रियता बढ़ने लगती है और खिंचाव महसूस होने लगता है। इससे ग्लूट मसल्स भी एक्टिव होने लगते हैं।
शिक्सफिटनेस की फाउंडर और फिटनेस एक्सपर्ट शिखा सिंह बताती हैं कि शरीर में जमा चर्बी को दूर करने के लिए पिस्टल स्क्वैट्स को रोज़ाना वर्कआउट रूटीन में शामिल करना चाहिए। इस सिंगल लेग स्क्वैट्स को करने के लिए शरीर को एक पांव के वज़न पर बैठकर डीप स्क्वैट्स करना पड़ता है। आप चाहें, तो किसी रॉड की मदद से भी इसे किया जा सकता है। इस दौरान शरीर के संतुलन को बनाए रखना आवश्यक है। इससे पीठ में बढ़ने वाला दर्द और थाइ फैट से भी मुक्ति मिल जाती है। शुरूआत में शरीर की क्षमता के अनुसार इस एक्सरसाइज़ को करें।
मांसपेशियों की ताकत को बढ़ाने में मदद करने वाले पिस्टल स्क्वाट के नियमित अभ्यास से ग्लूट्स और कोर मसल्स को फायदा मिलता है। इन मसल्स की मज़बूती से शरीर के निचले हिस्से की मज़बूती बढ़ जाती है। साथ ही कभी पी, तो कभी कमर में बढ़ने वाले दर्द को नियंत्रित करके शरीर में लचीलापन बढ़ने लगता है।
पोश्चर में आने वाले बदलाव को रोकने के लिए पिस्टल स्क्वाट फायदेमंद है। एक्सरसाइज़ के दौरान एक पैर से शरीर का संतुलन बनाए रखने से पोश्चर में सुधार होने लगता है। साथ ही मसल्स की टाइटनेस बढ़ने लगती है। साथ ही आपके टखनों के आसपास की मांसपेशियां शरीर को स्थिर रखने में भी मदद करती हैं।
इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एक्सरसाइज़ साइंस की रिपोर्ट के अनुसार इस एक्सरसाइज़ को रोज़ाना करने से ग्लूट्स को टोन रखने में मदद मिलती है। इससे पेट की मांसपेशियों में खिंचाव बढ़ने लगता है, जिससे पेट पर जमा चर्बी कम होने लगती है और शरीर एक्टिव हो जाता है। अत्यधिक वज़न शारीरिक अंगों में दर्द को भी बढ़ा देता है। इसे करने से शरीर में बढ़ने वाली ऐंठन कम होने लगती है।
स्पाइन में होने वाले दर्द को कम करने के लिए इस एक्सरसाइज़ की मदद ली जा सकती है। इस एक्सरसाइज़ को करने से पूरा वज़न पैरो पर बढ़ने लगता है। ऐसे में पैर और कोर मसल्स में सुधार आने लगता है और पीठ सीधी होने के चलते स्पाइन की मज़बूती बढ़ने लगती है।