हम अकसर घंटों भूखे रहते हैं। भूखे रहकर हम काम में लगे रहते हैं। निश्चित समय पर लिए जाने वाले ब्रेकफास्ट को स्किप कर लेते हैं। यह सोचकर कि जितनी देर तक भूखे रहेंगे, पेट या कमर पर चढ़ी चर्बी कम हो जाएगी। पर आप बिल्कुल गलत सोच रही हैं। जितनी अधिक देर बाद आप खाना खायेंगी, आपकी कैलोरी उतनी कम बर्न होगी। यही वजह है कि व्रत-उपवास के दौरान बेहद नियंत्रित तरीके से खाने के बावजूद हमारा वजन बढ़ (fasting causes weight gain) जाता है। क्योंकि हम लंबे समय तक भूखे रहने के बाद खाते हैं।
हालिया स्टडी कम से कम यही कहती है। हमारे खाने का समय (Maintain time of eating for fat burn) मायने रखता है। यदि सुबह 8 बजे आप नाश्ता कर लेती हैं, तो इस समय को नाश्ते के लिए निश्चित करना होगा। 8 बजे की बजाय 10 या 12 बजे नाश्ता करने पर फैट बर्न करने की बजाय यह जमा होता जायेगा।
हाल में सेल मेटाबॉलिज्म जर्नल में एक अध्ययन प्रकाशित हुआ। लेखक लिओनी आर कॉलिंस, पीटर जे मॉर्गन के अनुसार, डेली कैलोरी बर्न पर एनर्जी बैलेंस, मेटाबोलिज्म और भूख का भी प्रभाव पड़ता है। सुबह लोडेड कैलोरी इनटेक के परिणामस्वरूप अधिक एपेटाइट सप्रेस होता है और कैलोरी भी बर्न होती है। इससे वजन कम होने में मदद मिलती है। अध्ययन के अनुसार जिन प्रतिभागियों ने खाना खाने के निश्चित समय बाद खाना खाया, उनमें भूख लगने की संभावना दोगुनी दिखी।
शोधकर्ताओं ने बताया, “जिन महिलाओं ने चार घंटे बाद खाना लिया, तो उनके भूख के स्तर, खाने के बाद कैलोरी बर्न करने के तरीके और फैट को स्टोर करने के तरीके में भी महत्वपूर्ण अंतर देखा गया।”
सर्कैडियन रिद्म शरीर के तापमान और हृदय गति जैसे प्रमुख शारीरिक कार्यों को प्रभावित करता है । साथ ही यह शरीर के ईंधन अवशोषण को भी प्रभावित करता है। अध्ययन बताता है कि बाद में खाने के कारण भूख में वृद्धि, हार्मोन और जीन अभिव्यक्ति का प्रभावित होना भी शामिल है। फैट मेटाबोलिज्म के दौरान फैट के कम टूटने और अधिक फैट डिपोजिशन की प्रवृत्ति देखी गई।
अभी तक पूर्व में किये गये अध्ययन में खाने को वजन बढ़ाने से जोड़ा गया था । पर इस शोध से पता चला है कि नाश्ता स्किप करने से मोटापा जुड़ा हुआ है।
सभी प्रतिभागियों का स्वास्थ्य अच्छा था। कोई भी मधुमेह से पीड़ित नहीं था या वे शिफ्ट में काम नहीं करते थे। जिससे सर्कैडियन लय के प्रभावित होने की संभावना हो। वे नियमित शारीरिक गतिविधियों में भी भाग लेते थे।
जान लें कि अधिक भूखी हैं, तो आपका फैट कम बर्न होगा शोधकर्ताओं ने पाया कि देर से खाने वालों में पेट भरा होने का एहसास दिलाने वाले हार्मोन लेप्टिन का स्तर जल्दी खाने वालों की तुलना में कम हो गए थे। देर से खाने वालों में भूख को बढ़ाने वाले हार्मोन ग्रेलिन का भी स्तर बढ़ा हुआ पाया गया। देर से खाने से घ्रेलिन और लेप्टिन का लेवल प्रभावित होता है, जिससे नींद भी प्रभावित होती है।
इसलिए अगर आप वेट लॉस करना चाहती हैं, तो जरूरी है कि अपनी भूख को दबाएं नहीं और सही समय पर खाना खाएं।
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