हेल्दी वेट मेंटेन करना सबसे अच्छा है। बीएमआई (BMI) यानी बॉडी मास इंडेक्स (Body mass index) सही होने पर आप कई बीमारियों से दूर रह सकती हैं। पर यदि आपका वजन बहुत अधिक है और आपने डायटिंग या अन्य विधियों द्वारा अपना वजन बहुत कम कर लिया है, तो आपको कुछ परेशानियां (side effects of rapid weight loss) भी हो सकती हैं, जिन्हें जानना बेहद जरूरी है।
जल्दी वजन घटाने (Rapid weight loss) से हमें क्या-क्या स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, इसके लिए हमने बात की क्लाउड नाइन हॉस्पिटल, गुरुग्राम की सीनियर कंसल्टेंट गाइनेकोलॉजी डॉ. रितु सेठी से।
डॉ. रितु सेठी कहती हैं, “यदि आपने बहुत तेजी से अपना वजन कम किया है, तो सबसे पहले जो समस्या आपके सामने आती है वह स्किन सैगिंग या स्ट्रेच मार्क्स।
वजन घटने के बाद जितनी जल्दी हमारा शरीर सिकुड़ता है, उतनी जल्दी हमारी स्किन नहीं सिकुड़ पाती है। यदि शरीर का वजन धीरे-धीरे घटता है, तो स्किन को भी स्ट्रेचिंग के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है और स्ट्रेच मार्क्स नहीं आते हैं।
वजन को सही तरीके से घटाने और मांसपेशियों के प्रभावित होने से नुकसान को रोकने के लिए रेसिस्टेंस एक्सरसाइज करनी चाहिए। मसल्स मजबूत बने रहें और वेट लॉस भी हो, इसके लिए संतुलित मात्रा में पौष्टिक आहार लेना चाहिए।
स्किन पर स्ट्रेच मार्क्स और स्किन सैगिंग से बचाव के लिए सनस्क्रीन का प्रयोग करना चाहिए। कोलेजन-बेस्ड सीरम या रेटिनोइड्स का उपयोग करने से भी स्किन सैगिंग को रोकने में मदद मिल सकती है।’
यदि आप स्ट्रेच माक्र्स हटाने के लिए कॉस्मेटिक सर्जरी का विकल्प अपनाती हैं, तो सर्जरी के बावजूद कुछ दिनों तक ये मार्क्स दिखाई दे सकते हैं। इसे ठीक होने में समय लगेगा।
अक्सर जब महिलाएं वेट लॉस करती हैं, तो ज्यादा ठंड लगने की भी शिकायत करती हैं। उन्हें गर्मी के मौसम में भी ठंडी का एहसास होता है। दरअसल, वेट लॉस से मेटाबॉलिक रेट में परिवर्तन होता है। उनका हार्मोन सिक्रेशन भी प्रभावित हो सकता है। वजन घटने के बाद जब आप एनर्जी कंजर्व करने की कोशिश करती हैं, तो मेटाबॉलिक रेट घट जाता है। इस दौरान आपके पास इतनी एक्स्ट्रा कैलोरी नहीं होती है कि आप शरीर को गर्म रख सकें।
जब आप वेट लॉस करने की योजना के अनुसार काम करने लगती हैं, तो जाहिर है कि तनाव में भी आ जाती हैं। यह तनाव आपके शरीर पर बुरा प्रभाव डालता है और आपके मेंस्ट्रुअल पीरियड को भी प्रभावित करने लगता है। कभी आपको बहुत अधिक फ्लो हो सकता है, तो कभी पीरियड रुक जाएगा।
एकाएक वजन घटाने से सबसे बड़ी समस्या पीरियड्स के अनियमित हो जाने की ही होती है। दरअसल, हार्मोनल सीक्रेशन प्रभावित होने के कारण पीरियड इरेग्युलर हो जाते हैं।
नींद और आहार एक-दूसरे से संबंधित होते हैं। आप क्या खाती हैं और कब खाती हैं और कितनी मात्रा में खाती हैं, इससे आपकी नींद प्रभावित होती है। हमारी नींद एडेनोसिन नाम के एक केमिकल से प्रभावित होती है। यह शरीर में मेलाटोनिन में वृद्धि से पहले बनने लगती है। फिर जब हम डाइट कंट्रोल करते हैं, तो हमारी नींद प्रभावित होने लगती है।
रात में अच्छी नींद के लिए ट्रिप्टोफैन का स्तर हाई होना चाहिए। इसके लिए प्रोटीन के साथ-साथ बॉडी को थोड़ा कार्बोहाइड्रेट भी लेना पड़ता है। इससे मस्तिष्क और मेलाटोनिन में ट्रिप्टोफैन का स्तर बढ़ जाता है। यदि हम पर्याप्त नहीं खाते हैं या कम कैलोरी लेते हैं, तो हार्मोनल बैलेंस प्रभावित हो जाता है और हमें नींद नहीं आती है।
हर समय तनाव में रहना, क्विक वेट लॉस के लिए डायटिंग करना और नींद न आने की समस्या, आपके रिश्तों को भी प्रभावित कर सकती है। इसलिए यह जरूरी है कि किसी भी क्विक वेट लॉस डाइट प्लान के लिए परेशान न हों और हेल्दी तरीके से आराम से वजन घटाएं।
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