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वेट लिफ्टिंग शुरू करना चाहती हैं, तो एक्सपर्ट से जानिए इसकी सही उम्र और अभ्यास का तरीका

वेटलिफ्टिंग की शुरूआत करने के लिए किसी एक्सपर्ट या कोच की गाइडेंस अवश्य लें। वे लोग जो मोटापे के शिकार है, वेट लिफ्टिंग से उनका वज़न नियंत्रित रहता है। वहीं इसे रोज़ाना करने से हड्डियां मज़बूत बनती हैं।
वेट लिफ्टिंग वर्कआउट रूटीन में शामिल करने से वेटलॉस करने और पोश्चर को उचित बनाए रखने में मदद मिलती है। चित्र : एडॉबीस्टॉक
Published On: 19 Jan 2025, 08:00 am IST

शरीर को फिट और एक्टिव रखने के लिए एक्सरसाइज़ बेहद आवश्यक है। इससे शरीर में एनर्जी का स्तर बढ़ता है और कैलेरीज़ को एकत्रित होने से भी रोका जा सकता है। वहीं कार्डियो एक्सरसाइज़ (Cardio exercise) और एरोबिक्स के अलावा वेट लिफ्टिंग भी बेहतरीन विकल्प है। इसे वर्कआउट रूटीन में शामिल करने से वेटलॉस करने और पोश्चर को उचित बनाए रखने में मदद मिलती है। हांलाकि उम्र के साथ हड्डियों में बढ़ती कमज़ोरी को रोकने के लिए वेट लिफ्टिंग की सलाह दी जाती है। मगर अक्सर मन में यही सवाल उठता है कि किस उम्र में इसकी शुरूआत करनी चाहिए। जानते हैं किस उम्र में करें वेट लिफ्टिंग(weightlifting) की शुरूआत और किन एक्सरसाइज़ को करें रूटीन में शामिल।।

वेट लिफ्टिंग किस उम्र में की जानी चाहिए (Right age for weightlifting)

इस बारे में फिटनेस एक्सपर्ट शिखा सिंह बताती हैं कि 8 साल की उम्र से लेकर 80 साल की उम्र तक सभी लोग वेट लिफ्टिंग (weightlifting) कर सकते हैं। इसकी शुरूआत करने के लिए किसी एक्सपर्ट या कोच की गाइडेंस अवश्य लें और खुद से कोई भी प्रयास करने से बचें। लोगों की ऐसी धारणा बनी हुई है कि वेट लिफ्टिंग से बच्चे की ग्रोथ रूक जाती है, मगर ये पूरी तरह से गलत है। इसे नियमित रूप से करने से बच्चों में लाइफस्टाइल डिसऑर्डर का खतरा कम होने लगता हैं और हाईट बढ़ने लगती है।

वे लोग जो मोटापे के शिकार है, वेट लिफ्टिंग से उनका वज़न नियंत्रित रहता है। वहीं इसे रोज़ाना करने से हड्डियां मज़बूत बनती हैं, मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है और शरीर एक्टिव बना रहता है। साथ ही मेंटल स्पेस के लिए भी ये बेहद ज़रूरी है। बॉडी फंकशनिंग को नियमित बनाए रखने के लिए वेट लिफ्टिंग (weightlifting) करें। इसकी फॉर्म को समझकर कोच की सुझाई डाइट और दिनचर्या को फॉलो करना ज़रूरी है।

वे लोग जो मोटापे के शिकार है, वेट लिफ्टिंग से उनका वज़न नियंत्रित रहता है।

शरीर के लिए वेट लिफ्टिंग क्यों है ज़रूरी (Importance of weightlifting)

जर्नल ऑफ स्ट्रेंथ ट्रेनिंग और टाइप 2 डायबिटीज और कार्डियोवैस्कुलर डिजीज के रिसर्च पेपर के अनुसार वे महिलाएं जो स्ट्रेंथ ट्रेनिंग करती हैं, उनमें टाइप 2 डायबिटीज का जोखिम 30 प्रतिशत कम होता है। वहीं कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों के विकसित होने का जोखिम भी 17 प्रतिशत कम होने लगता है। साथ ही महिलाओं में उम्र से संबंधित ऑस्टियोपोरोसिस विकसित होने की संभावना भी कम होने लगती है।

इन वेट लिफ्टिंग एक्सरसाइज़ को करें रूटीन में शामिल

1. रश्यिन ट्विस्ट (Russian twist)

कोर मसल्स और कंधों की मज़बूती के लिए रश्यिन ट्विस्ट की मदद ली जाती है। इस एक्सरसाइज़ को करने के लिए डंपबैल, कैटलबेल और प्लेट्स की मदद ली जाती है। इससे पीठ दर्द से राहत मिलती है और जोड़ों की मोबिलिटी बढ़ने लगती है।

जानें करने की विधि

  • इसे करने के लिए मैट पर बैठ जाएं और टेल बोन को जमीन से लगाएं। अब दोनों टांगों को घुटनों से मोड़ते हुए पैर जमीन पर रखें।
  • अब हाथों में वज़न लेकर बारी बारी से दाई से बाई ओर लेकर जाएं। इस दौरान पैरों को उपर उठाएं और हाथों को चेस्ट के पास रखें।
  • इस एक्सरसाइज़ 10 से 20 बार रिपीट करें। इससे कोर मसल्स को मज़बूती मिलती है और जोड़ो में बढ़ने वाली ऐंठन कम होती है।

2. चेस्ट प्रेस (Chest press)

इस डंबल चेस्ट प्रेस एक्सरसाइज़ को करने से अपर बॉडी के मसल्स को फायदा मिलता है। मैट पर लेटकर की जाने वाली इस एक्सरसाइज़ से शरीर का लचीलापन बढ़ने लगता है। साथ ही पेट की मांसपेशियों में खिंचाव आने से बैली फैट को भी कम किया जा सकता है।

जानें इसे करने की विधि

  • इसे व्यायाम को करने के लिए बेंच या किसी मैट पर सीधा लेट जाएं और पीठ को एकदम सीधा कर लें।
  • बेंच पर लेटकर टांगो को घुटनों से मोड़ते हुए जमीन पर लगाकर रखें और मैट पर लेटकर टांगों को घुटनों से मोड़कर रखें।
  • अब हाथों में वज़न लेकर उन्हें उपर की ओर लेकर जाएं। उसके बाद कोहनी को 90 डिग्री पर रखते हुए वज़न को चेस्ट के पास लाएं।
  • इसे नियमित रूप से करने से वेटलॉस में मदद मिलती है और शारीरिक अंगों में बढ़ने वाला र्द कम होने लगता है।
शरीर को जितना अधिक एक्टिव किया जायेगा, उतना ही अधिक कैलोरी बर्न होगी और वजन घटेगा। चित्र : अडोबी स्टॉक

3. बेन्ट ओवर रो एक्सरसाइज़ (Bent over row exercise)

इस एक्सरसाइज़ से ग्लूट्स और कोर मसल्स एगेंज होने लगते है। इससे शरीर में लचीलापन बढ़ने लगता है। साथ ही बैक बल्ज से भी राहत मिलती है। इसे करने के लिए डंबल की मदद ली जाती है और कंधों के मसल्स को मज़बूती मिलती है।

जानें इसे करने की विधि

  • इसे करने के लिए फ्लोर पर सीधे खड़े हो जाएं। अब घुटनों को मोड़कर हिप्स को बाहर की ओर पुश करें।
  • पीठ को एकदम सीधा रखें और दोनों हाथों में डंबल को पकड़ें और उन्हें पेट के नज़दीक लेकर जाएं।
  • अब दोनों कोहनियों को मोड़े और पेट के पास डंबल लाएं और फिर पीछे लेकर जाएं। नियमित रूप से इसका अभ्यास करें।

4. लेटरल लंज

टांगों के मसल्स में बढ़ने वाली स्टिफनेस और अतिरिक्त वेट को कम करने के लिए लेटरल लंज बेहद फायदेमंद है। इससे काफ मसल्स को मज़बूती मिलती है और शरीर में ब्लड का सर्कुलेशन बढ़ने लगता है।

जानें इसे करने की विधि

  • पैरों को कंधे की चौड़ाई पर रखकर खड़े हो जाएँ। इस दौरान को पीठ को एकदम सीधा रखें।
  • अब पंजों को आगे की ओर रखते हुए एक पैर से बगल की ओर कदम बढ़ाएँ। उसके बाद
    घुटने को मोड़ें।
  • शरीर को तब तक नीचे करें जब तक थाइज़ ज़मीन के पैरलल न हो जाए।
  • अपने ऊपरी शरीर को सीधा रखें और अपने दूसरे पैर को सीधा रखें। शरीर की क्षमता के मुताबिक अभ्यास करें।

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लेखक के बारे में
ज्योति सोही

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं।

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