शरीर को फिट और एक्टिव रखने के लिए एक्सरसाइज़ बेहद आवश्यक है। इससे शरीर में एनर्जी का स्तर बढ़ता है और कैलेरीज़ को एकत्रित होने से भी रोका जा सकता है। वहीं कार्डियो एक्सरसाइज़ (Cardio exercise) और एरोबिक्स के अलावा वेट लिफ्टिंग भी बेहतरीन विकल्प है। इसे वर्कआउट रूटीन में शामिल करने से वेटलॉस करने और पोश्चर को उचित बनाए रखने में मदद मिलती है। हांलाकि उम्र के साथ हड्डियों में बढ़ती कमज़ोरी को रोकने के लिए वेट लिफ्टिंग की सलाह दी जाती है। मगर अक्सर मन में यही सवाल उठता है कि किस उम्र में इसकी शुरूआत करनी चाहिए। जानते हैं किस उम्र में करें वेट लिफ्टिंग(weightlifting) की शुरूआत और किन एक्सरसाइज़ को करें रूटीन में शामिल।।
इस बारे में फिटनेस एक्सपर्ट शिखा सिंह बताती हैं कि 8 साल की उम्र से लेकर 80 साल की उम्र तक सभी लोग वेट लिफ्टिंग (weightlifting) कर सकते हैं। इसकी शुरूआत करने के लिए किसी एक्सपर्ट या कोच की गाइडेंस अवश्य लें और खुद से कोई भी प्रयास करने से बचें। लोगों की ऐसी धारणा बनी हुई है कि वेट लिफ्टिंग से बच्चे की ग्रोथ रूक जाती है, मगर ये पूरी तरह से गलत है। इसे नियमित रूप से करने से बच्चों में लाइफस्टाइल डिसऑर्डर का खतरा कम होने लगता हैं और हाईट बढ़ने लगती है।
वे लोग जो मोटापे के शिकार है, वेट लिफ्टिंग से उनका वज़न नियंत्रित रहता है। वहीं इसे रोज़ाना करने से हड्डियां मज़बूत बनती हैं, मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है और शरीर एक्टिव बना रहता है। साथ ही मेंटल स्पेस के लिए भी ये बेहद ज़रूरी है। बॉडी फंकशनिंग को नियमित बनाए रखने के लिए वेट लिफ्टिंग (weightlifting) करें। इसकी फॉर्म को समझकर कोच की सुझाई डाइट और दिनचर्या को फॉलो करना ज़रूरी है।
जर्नल ऑफ स्ट्रेंथ ट्रेनिंग और टाइप 2 डायबिटीज और कार्डियोवैस्कुलर डिजीज के रिसर्च पेपर के अनुसार वे महिलाएं जो स्ट्रेंथ ट्रेनिंग करती हैं, उनमें टाइप 2 डायबिटीज का जोखिम 30 प्रतिशत कम होता है। वहीं कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों के विकसित होने का जोखिम भी 17 प्रतिशत कम होने लगता है। साथ ही महिलाओं में उम्र से संबंधित ऑस्टियोपोरोसिस विकसित होने की संभावना भी कम होने लगती है।
कोर मसल्स और कंधों की मज़बूती के लिए रश्यिन ट्विस्ट की मदद ली जाती है। इस एक्सरसाइज़ को करने के लिए डंपबैल, कैटलबेल और प्लेट्स की मदद ली जाती है। इससे पीठ दर्द से राहत मिलती है और जोड़ों की मोबिलिटी बढ़ने लगती है।
इस डंबल चेस्ट प्रेस एक्सरसाइज़ को करने से अपर बॉडी के मसल्स को फायदा मिलता है। मैट पर लेटकर की जाने वाली इस एक्सरसाइज़ से शरीर का लचीलापन बढ़ने लगता है। साथ ही पेट की मांसपेशियों में खिंचाव आने से बैली फैट को भी कम किया जा सकता है।
इस एक्सरसाइज़ से ग्लूट्स और कोर मसल्स एगेंज होने लगते है। इससे शरीर में लचीलापन बढ़ने लगता है। साथ ही बैक बल्ज से भी राहत मिलती है। इसे करने के लिए डंबल की मदद ली जाती है और कंधों के मसल्स को मज़बूती मिलती है।
टांगों के मसल्स में बढ़ने वाली स्टिफनेस और अतिरिक्त वेट को कम करने के लिए लेटरल लंज बेहद फायदेमंद है। इससे काफ मसल्स को मज़बूती मिलती है और शरीर में ब्लड का सर्कुलेशन बढ़ने लगता है।
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