अगर आप सिर्फ वेट लाॅस या बेली फैट कम करने के लिए एक्सरसाइज कर रहीं हैं, तो आपके लिए हमारे पास एक और खुश खबरी है। असल में हर रोज एक्सरसाइज करना न केवल आपके शारीरिक स्वास्थ्य, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है। हाल ही में हुई एक रिसर्च में यह सामने आया है कि एक्सरसाइज का फायदा पुरुषाें की बजाए महिलाओं को ज्यादा मिलता है। क्योंकि वे इसे समूह (benefits of group exercise) में करना पसंद करती हैं। है न अच्छी खबर! आइए जानते हैं इसके बारे में और भी बहुत कुछ।
अमेरिका के कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, सैन डिएगो के शोधकर्ताओं ने पाया कि एक्सरसाइज में भाग लेने पर केवल महिलाओं में डिमेंशिया से बचाव की संभावना अधिक होती है। शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया कि यह विशेष प्रकार की एक्सरसाइज के कारण संभव हुआ।
उन्होंने बताया कि ज्यादातर पुरुषों ने अकेले एक्सरसाइज की। जबकि महिलाओं ने क्लास में शामिल होकर एक्सरसाइज करना पसंद किया। इसका अर्थ यह हुआ कि उनके बीच सोशल इंटरैक्शन भी हुआ। लेकिन वैज्ञानिकों ने यह भी बताया कि निष्कर्षों की पुष्टि के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है।
यूसीएसडी के शोधकर्ताओं ने पाया कि एक्सरसाइज महिलाओं में डिमेंशिया को रोकने में अधिक मदद कर सकता है। इसके अलावा, तेज चलने, साइकिल चलाने या यहां तक कि गोल्फ खेलने से भी बुढ़ापे में मेंटल डिक्लाइन से बचने में मदद मिल सकती है।
यह डेटा केवल महिलाओं पर ही लागू हो सकता है। उनका मानना है कि महिलाओं द्वारा की जाने वाली एक्सरसाइज का प्रकार इसके पीछे की वजह हो सकता है। पुरुषों की अपेक्षा बड़ी उम्र की महिलाओं के समूह अभ्यासों में भाग लेने की अधिक संभावना बनी।
संज्ञानात्मक व्यायाम यानी कॉगनिटिव एक्सरसाइज सभी के लिए मूल्यवान हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि दोनों लिंग मेंटल एक्टिविटीज जैसे कि पढ़ने, बिंगो खेलने और कक्षाओं में भाग लेकर 13 साल तक अपनी एजिंग को धीमा करने में सक्षम हो सकते हैं।
अध्ययन के अनुसार, अधिक शारीरिक गतिविधि महिलाओं में सोचने की क्षमता से जुड़ी होती है, लेकिन ऐसा पुरुषों में नहीं होता।
चूंकि अल्जाइमर रोग के लिए निश्चित रूप से कम-से-कम प्रभावी उपचार हैं, इसलिए रोकथाम महत्वपूर्ण है। कम्युनिटी सेंटर के क्लासेज में जाने, अपने दोस्तों के साथ बिंगो खेलने, सैर करने या बागवानी में अधिक समय बिताने जैसे सरल कदम उठाकर लोग संभावित रूप से अपने कॉगनिटिव रिजर्व में सुधार कर सकते हैं।
न्यूरोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित स्टडी में वैज्ञानिकों ने 758 लोगों की मानसिक क्षमता का मूल्यांकन किया, जो लगभग 76 वर्ष के थे। इनमें शामिल कुछ लोगों को किसी प्रकार की थिंकिंग या मेमोरी प्रॉब्लम नहीं थी, तो कुछ को हल्की संज्ञानात्मक दिक्कतें थीं और अन्य को डिमेंशिया था।
मानसिक गतिविधि को मापने के लिए, प्रतिभागियों से पूछा गया कि क्या वे पत्रिकाएं, किताबें या समाचार पत्र पढ़ते हैं, क्लासेज में जाते हैं या पिछले 13 महीनों में कभी कार्ड गेम खेला है?
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बीएमआई चेक करेंशारीरिक गतिविधि को मापने के लिए प्रतिभागियों का इंटरव्यू लिया गया कि वे प्रत्येक सप्ताह कौन-कौन सी एक्सरसाइज करते हैं?
प्रतिभागियों ने औसतन लगभग 1.4 अंक प्राप्त किए। उन्होंने प्रत्येक सप्ताह लगभग 15 मिनट तक ऐसी गतिविधियों में भाग लिया, जिनमें उनकी हार्ट बीट बढ़ गई।
इसके बाद प्रतिभागियों का ब्रेन स्कैन किया गया और उनके कॉगनिटिव रिजर्व का मूल्यांकन करने के लिए थिंकिंग और मेमोरी स्पीड टेस्ट किया गया। इसमें पाया गया कि डिक्लाइन को कवर करने के लिए ब्रेन बफर जेनरेट करता है।
इससे शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि एक्सरसाइज पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को अधिक प्रभावित करती है। ताश खेलने और पढ़ने की गतिविधियों के विपरीत समूह-आधारित कक्षाओं ने स्वाभाविक रूप से संज्ञानात्मक क्षमताओं को प्रभावित किया।
अध्ययन उत्तरी मैनहट्टन, न्यूयॉर्क पर केंद्रित था, जिसका अर्थ यह हुआ कि इसमें ग्रामीण क्षेत्रों के लोग शामिल नहीं थे। प्रतिभागियों में लगभग दो-तिहाई महिलाएं थीं, जबकि शेष पुरुष थे। इसमें सामाजिक और संरचनात्मक कारकों को भी नहीं मापा गया। जिन्हें वैज्ञानिकों ने मानसिक क्षमता के प्रमुख निर्धारक बताया।
शोधकर्ताओं ने यह निर्धारित करने के लिए अधिक अध्ययन की जरूरत पर बल दिया कि क्या केवल महिलाओं में डिमेंशिया के खिलाफ व्यायाम अधिक कारगर रूप से काम करता है।
इससे पहले पिछले साल दिसंबर में ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड ब्रेन इंस्टीट्यूट ने यह पेपर पब्लिश किया कि एक्सरसाइज स्वीट स्पॉट कॉगनिटिव डिक्लाइन को स्लो करता है। दूसरी रिसर्च यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफाेर्निया के अनुसार, रोज पावर वॉकिंग या बाइक राइडिंग के माध्यम से अल्जाइमर के रिस्क को कम करने की बात करती है।
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