अकसर हम वजन उठाने या वेट लिफ्टिंग को स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं मानते हैं। पर शोध और एक्सपर्ट बताते हैं कि वेट लिफ्टिंग पुरुष और महिला दोनों के लिए बढ़िया होता है। वेट लिफ्टिंग को ही स्ट्रेंथ ट्रेनिंग भी कहा जाता है। वेट लिफ्टिंग से वजन नियंत्रित होता है। इससे मेटाबोलिज्म एक्टिव होता है। इससे जीवन की गुणवत्ता भी बढ़ती है। अर्थराइटिस या पीठ दर्द जैसी पुरानी स्थितियों को प्रबंधित करने में भी मदद मिलती है। इससे मानसिक स्वास्थ्य को भी बढ़ावा मिलता है। एक्सपर्ट बताते हैं कि वजन उठाने से कार्डियोवैस्कुलर डिजीज (weight lifting for heart disease risk) और डायबिटीज का रिस्क भी घटता है।
सीनियर फीजियोथेरेपिस्ट डॉ. जितेंद्र कुमार बताते हैं, ‘हृदय रोग और अन्य स्वास्थ्य स्थितियों वाले लोगों के लिए वेट लिफ्टिंग रेसिस्टेंस ट्रेनिंग एरोबिक व्यायाम जितना ही सुरक्षित है। अधिकांश लोगों के लिए हृदय रोग के जोखिम को कम करने में समान या अधिक लाभ प्रदान कर सकता है। मिशिगन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ काइन्सियोलॉजी के शोधकर्ता के अनुसार, प्रतिरोध प्रशिक्षण हृदय रोग के कई अन्य जोखिम कारकों, जैसे नींद, मेंटल स्टेटस और ब्लड वेसल्स के स्टिफनेस को भी कम करता है।
हृदय रोग वाले और बिना हृदय रोग वाले लोगों के लिए वेट लिफ्टिंग कम से कम एरोबिक व्यायाम जैसे कि वॉकिंग और बाइक चलाना जितना ही सुरक्षित है। बिना प्रतिरोध प्रशिक्षण की रिपोर्ट करने वाले वयस्कों की तुलना में प्रतिरोध प्रशिक्षण मृत्यु दर के लगभग 15% जोखिम कम करता है और हृदय रोग के जोखिम को 17% कम करता है।‘
वेट लिफ्टिंग लिपिड, ग्लूकोज और हाई ब्लड प्रेशर जैसे पारंपरिक हृदय रोग जोखिम कारकों में सुधार करता है। यह नींद, मेंटल स्टेटस, जीवन की गुणवत्ता और ब्लड वेसल्स के काम करने के तरीके जैसे गैर-पारंपरिक हृदय रोग जोखिम कारकों में भी सुधार करता है। यह डायबिटीज से पीड़ित वृद्ध लोगों में पिछले दो या तीन महीनों में औसत ब्लड शुगर लेवल में 0.34% की गिरावट से जुड़ा है। 40 से अधिक उम्र के स्वस्थ लोगों में वेट लिफ्टिंग ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में भी मदद कर सकता है।
वेट लिफ्टिंग एक्सरसाइज में लो रेसिस्टेंस और मोर रिपीटिशन होता है। एक्सरसाइज शुरू करने से पहले अनुभवी फिजियोथेरेपिस्ट से यह सलाह जरूर लें की कितनी वेट के साथ एक्सरसाइज करना है। लोगों को अधिकतम लाभ के लिए सप्ताह में दो दिन वेट लिफ्टिंग करने का लक्ष्य रखना चाहिए। 8-10 अलग-अलग व्यायामों के 1-3 सेट करने चाहिए, जिनमें सभी मांसपेशी समूह शामिल हो सकें। अधिकांश लोगों को प्रत्येक व्यायाम की 8-12 पुनरावृत्ति करनी चाहिए। संपूर्ण वर्कआउट में कम से कम 15 मिनट का समय लग सकता है।
डॉ. जितेंद्र कुमार बताते हैं, ‘हल्के वज़न के साथ शुरुआत करना अच्छा होता है। हमें ऐसा वज़न चुनना चाहिए, जिससे महसूस हो कि मांसपेशियां थक गई हैं । इसके लिए डम्बल के कुछ सेट या कुछ रेसिस्टेंस ट्यूबिंग या बैंड पर्याप्त होंगी। आपके पास जो कुछ भी है, उसका उपयोग कर सकती हैं। कोई भी भारी घरेलू सामान या पानी से भरे बकेट भी अच्छे डम्बल बन सकते हैं। ये फैंसी उपकरणों के समान ही काम कर सकते हैं। इसलिए जिम सदस्य होने या बहुत सारे उपकरण खरीदने की आवश्यकता भी नहीं पड़ती है।‘
डॉ. जितेंद्र के अनुसार, व्यायाम के लिए भारी वजन उठाने का समय आ गया है। मांसपेशियों की थकान तक पहुंचने से पहले एक-दो वर्कआउट में दो या दो से अधिक दोहराव हासिल कर सकती हैं। कम से कम कुछ महीनों तक वेट लिफ्टिंग करने के बाद तीव्रता बढ़ाने के लिए छोटी अवधि के लिए आराम किया जा सकता है। अपने नर्व्स और मांसपेशियों को अनुकूल बनाने के लिए रेसिस्टेंस ट्रेनिंग वर्कआउट के बीच कम से कम 1-2 दिन का आराम करने का प्रयास करना चाहिए।
यह ग़लतफ़हमी है कि महिलाओं को वेट लिफ्टिंग नहीं करनी चाहिए। इसके विपरीत, शक्ति प्रशिक्षण महिलाओं के लिए बेहद फायदेमंद है। इससे न केवल उन्हें तेजी से वजन कम करने और बेहतर स्वास्थ्य प्राप्त करने में मदद मिल सकती है, बल्कि ताकत और आत्मविश्वास भी बढ़ता है। यह इसलिए फायदेमंद है, क्योंकि महिलाओं के शरीर में पुरुषों की तुलना में लगभग 6 से 11 प्रतिशत अधिक (weight lifting for heart disease risk) वसा होती है।
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