इन दिनों वजन घटाने और मसल्स की मजबूती के लिए बर्बेरिन का खूब प्रयोग किया जा रहा है। बर्बेरिन एक प्लांट प्रोडक्ट है, जो एक्सरसाइज के पहले या बाद में लिया जाता है। माना जाता है कि यह मांसपेशियों के निर्माण और वसा हानि में सहायता कर सकता है। इसका उपयोग पारंपरिक चीनी चिकित्सा में सैकड़ों वर्षों से किया जाता रहा है। क्या यह सचमुच व्यायाम को प्रभावित करता है? क्या यह मांसपेशियों के निर्माण और वसा हानि में सहायता (berberine for weight loss) कर सकता है? आइए एक एक्सपर्ट से जानते हैं।
मॉलीक्यूल जर्नल में प्रकाशित शोध के अनुसार, बरबेरी और गोल्डनसील प्लांट का उपयोग अक्सर दवाओं में किया जाता रहा है। दोनों हर्ब्स में केमिकल बर्बेरिन होता है। इनके अलावा, गोल्डथ्रेड, ओरेगॉन ग्रेप्स, पेलोडेंड्रोन और टरमरिक प्लांट में भी पाया जाता है। बर्बेरिन कड़वा स्वाद वाला पीले रंग का केमिकल है।
यह रुट, राइज़ोम और तने की छाल में भी पाया जाता है। यह हार्ट बीट को मजबूत करने में मदद कर सकता है, जिससे हार्ट डिजीज वाले लोगों को फायदा हो सकता है। बर्बेरिन को बैक्टीरिया के विकास को रोकने में भी मदद कर सकता है। इसलिए यह प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर ढंग से कार्य करने में मदद कर सकता है।
इसे एक्सट्रेक्टेड फॉर्म में लिया जाता है। इसलिए इसे पाउडर या कैप्सूल फॉर्म में सप्लीमेंट लिया जाता है। एक कैप्सूल लगभग 500 एमजी का होता है। यदि ओरेगॉन ग्रेप या बर्बेरीज एरिस्टा फल उपलब्ध है, तो इसे लिया जा सकता है। आप इसे रेजिन फॉर्म में सुखाकर भी खा सकती हैं।
अमेरिका का नेशनल सेंटर ऑफ़ कॉम्प्लिमेंट्री एंड इंटीग्रेटिव हेल्थ की स्टडी कन्क्लूजन के अनुसार, बर्बेरिन सीधे तौर पर व्यायाम को प्रभावित नहीं करता है, लेकिन परिणाम पर असर जरूर डाल सकता है। यह ऊर्जा बढ़ाने, मांसपेशियों में वसा हानि और ऊर्जा भंडारण को बढ़ाने में मदद करता है।
एक्यूट वर्कआउट से जुड़ी मांसपेशियों की क्षति को कम करने में भी यह मदद करता है। यह उन लोगों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है, जो मसल्स बनाना चाहते हैं। यह मेटाबोलिज्म, ग्लूकोज इंटेक और रिकवरी में मदद करता है। यह ऊर्जा स्तर को भी बढ़ाता है।
अमेरिका का नेशनल सेंटर ऑफ़ कॉम्प्लिमेंट्री एंड इंटीग्रेटिव हेल्थ के अध्ययन के अनुसार, बर्बेरिन उन जीनों को नियंत्रित करता है, जो आंतों में कोलेस्ट्रॉल के अवशोषण के लिए जिम्मेदार होते हैं। इससे फैट डिपोजिशन को रोका जा सकता है। यह ब्राउन फैट थर्मोजेनेसिस को भी सक्रिय करता है।
इस तरह यह वजन बढ़ने को सीमित करते हुए ऊर्जा के स्तर में सुधार कर सकता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट और सूजन-रोधी गुण होते हैं। ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस मार्कर को यह कम कर सकता है। इस तरह से यह तीव्र वर्कआउट से जुड़े नुकसान का मुकाबला कर सकता है।
मॉलीक्यूल जर्नल में प्रकाशित शोध के अनुसार, बर्बेरिन का प्रभाव इंसुलिन के समान होता है। इससे कोशिकाओं में ग्लूकोज के अवशोषण में सुधार होता है। यह मेटाबोलिज्म को तेज़ करता (berberine increase metabolic rate) है और ब्लड शुगर को कम करता है।
यह शरीर में जमा होने वाले ग्लूकोज और लिपिड की मात्रा को सीमित करता है, जिससे वजन या वसा घटाने में सहायता मिलती है। जो लोग मांसपेशियां बनाना चाहते हैं, उनके लिए यह ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देता है। कोशिकाओं के टूटने को रोकने में मदद करता है। परीक्षण बताते हैं कि यह उन महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन को कम कर सकता है, जिनमें पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम होता है। हालांकि इस पर अभी और शोध होना बाकी है।
हार्वर्ड हेल्थ की स्टडी के अनुसार, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि बर्बेरिन प्री-वर्कआउट (berberine for pre workout) लिया जाता है या पोस्ट वर्कआउट (berberine for post workout)। पर यह ध्यान देना जरूरी है कि बर्बेरिन का सेवन खाली पेट नहीं करना चाहिए। इससे हाइपोग्लाइसीमिया का खतरा होता है। इसे भोजन के साथ लेना सबसे अच्छा है।
अधिकांश लोग ब्रेकफास्ट के साथ लेना पसंद करते हैं। शाम के भोजन के साथ भी इसे लिया जा सकता हैं। यह ध्यान देना भी जरूरी है कि इसकी डोज डॉक्टर की सलाह के अनुसार लेना चाहिए।
इससे पोषण संबंधी समस्या हो सकती है। इसे प्रेग्नेंट वीमेन और ब्रेस्ट फीडिंग वीमेन को नहीं लेना चाहिए। इससे समस्या हो सकती है।
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