जीवन में योग का खास महत्व है। मगर बहुत से लोग ऐसे हैं, जो अष्टांग योग को करने में कई दिक्कतों का सामना करते हैं। ऐसे में रॉकेट योगा एक बेहतरीन विकल्प है। अष्टांग योग को सरल बनाने के लिए किए जाने वाले इस योगासन से शरीर को कई लाभ मिलते हैं। दरअसल, रॉकेट योग में अष्टांग योग के समान सुखासन में बैठना, ट्विस्ट, बेंड्स और सूर्य नमस्कार भी शामिल हैं। इन योग मुद्राओं को अपनी दिनचर्या में शामिल करने से शारीरिक और मानसिक विकास में वृद्धि होने लगती है। इसे नियमित तौर पर करने से सेल्फ कॉफिडेंस, सेल्फ कंट्रोल और सेल्फ रियलाइजे़शन बढ़ने लगते हैं। जानते हैं रॉकेट योग के फायदे और इसे करने का तरीका (Benefits of rocket yoga)।
रॉकेट योग को पावर योगा की यूनीक फॉर्म माना जाता है। रॉकेट योगा यानि एक ऐसी क्यूरेटिड प्लेलिस्ट, जिसमें एक-एक कर योग करते हुए शरीर में ऊर्जा का स्तर बढ़ने लगता है। अष्टांग योग के इस विकल्प में लोग एक से दूसरे योग की ओर बड़ी ही सरलता से बढ़ने लगते हैं। सन् 1980 मेंए सैन फ्रांसिस्को में हर कोई रॉकेट योग का अभ्यास करते हुए पाया जाता था।
अपने रोचक नाम से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने वाला रॉकेट योगा की शुरूआत लैरी शुल्त्स ने की। उनके अनुसार इस योग का अभ्यास नियमित तौर पर करने से फिज़िकल और स्पीरिचुअल वेलबींग बढ़ने लगती है। ये हर व्यक्ति के लिए उचित है, फिर चाहे को योगाभ्यास करता हो या कोई नया हो। इसके माध्यम से व्यक्ति के स्वस्थ्य में तेज़ी से प्रगति होने लगती है और स्टेमिना भी बूस्ट होता है।
शरीर को हेल्दी रखने के लिए रॉकेट योगा एक बेहतरीन कार्डियो वर्कआउट है। इससे मसल्स मज़बूत बनती हैं और शरीर में जमा कैलोरीज़ बर्न होने लगती है। शरीर के पोश्चर में सुधार आने लगता है और एक्टिवनेस बनी रहती है।
योग के माध्यम से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन नियमित होने लगता है। इससे हृदय संबधी समस्याओं यानि हार्ट अटैक, स्ट्रोक और हाई ब्लड प्रेशर का रेगुलेट करने में मदद मिलती है। इससे दिल की धड़कन भी नियंत्रित बनी रहती है।
उम्र के साथ शरीर में बढ़ने वाली स्टिफनेस को दूर करने के लिए रॉकेट योग एक बेहतरीन विकल्प है। इसे राज़ाना करने से शरीर का लचीलापन बरकरार रहता है। शरीर का संतुलन बनाए रखने के साथ सांस पर नियंत्रण बढ़ने लगता है।
ऑक्सीजन के फ्लो को मेंटेन रखने के लिए योग का अभ्यास आवश्यक है। इससे ब्रेन में ब्लड सर्कुलेशन नियमित तौर पर होने लगता है, जिससे शरीर हेल्दी और एक्टिव रहता है। इससे शरीर का स्टेमिना भी बूस्ट होने लगता है।
मसल्स को हेल्दी रखने के लिए किए जाने वाले रॉकेट योग में 140 योगासन शामिल किए जाते हैं। इन्हें तीन कैटेगरीज़ में बांटा जाता है।
युवाओं के लिए ये योगासन बेहद फायदेमंद है। प्राइमरी रॉकेट योगा सीरिज अष्टांग योग सीरीज़ के ही समान है। इसमें दंडासन, बद्धकोणासन और सेतु बंधासन को शामिल किया जाता है।
इसमें हिप ओपनिंग और आगे की ओर झुककर किए जाने वाले योगासन सम्मिलित होते हैं।
इनका मकसद कोर मसल्स और टांगों की मांसपेशियों को मज़बूती प्रदान करता है।
योगासनों की मदद से बाजूओं का बैलेंस मेंटेन रहता है और उठने बैठने में मदद मिलती है।
योगाभ्यास के दौरान नवासन और सुप्त कोणासन को शामिल किया जा सकता है।
पूर्ण रूप से रॉकेट 1 के सभी योगासनों को करने के बाद रॉकेट 2 में प्रेवश किया जाता है।
इसमें धनुरासन, बालासन, भारद्वाजासन, अर्ध मत्सेंद्रासन समेत कई योगासनों को शामिल किया जाता है।
मौजूद योगासन किसी व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक तौर पर मज़बूत बना देता है।
अष्टांग योग की इस दूसरी सीरीज़ में सीधे बैठकर किए जाने वाले योगासनां को शामिल किया जाता है।
इससे रीढ़ की हड्डी की मज़बूती बढ़ जाती है और पीठ से संबधी समस्याओं से राहत मिलती है।
इस सीरीज़ में बकासन और सुप्त वज्रासन से शरीर को मज़बूती मिलती है।
इस सीरीज़ में रॉकेट 1 और रॉकेट 2 को कंबाइन करके योगासनों को शामिल किया गया है।
इस फाइनल सीरीज़ में शामिल योगासनों में टविस्ट, फोल्ड और बैलेंसिंग सभी कुछ शामिल है।
इसका अभ्यास करने से शरीर में मज़बूती और लचीलापन दोनों ही बढ़ने लगते हैं।
रॉकेट 3 सीरीज़ को हैप्पी आवर कहा जाता है। ये एक फास्ट पेस्ड सीरीज़ है, जिसमें एक के बाद एक योगासनों को किया जाता है।
वे लोग हृदय संबधी समस्याओं से ग्रस्त है और किसी कारण से चोटिल है, तो उन्हें इन योगासनों को करने से बचना चाहिए।
गर्भवती महिलाओं को इन योगासनों को नहीं करना चाहिए। इसे करने से शरीर में कई प्रकार के बदलाव महसूस होते हैं।
अगर कोई व्यक्ति किसी पुरानी बीमारी से जूझ रहा है, तो वो धीमी गति से इन योगासनों का अभ्यास करे।
योगासनों का अभ्यास करने से पहले अपने शरीर की सुनें और शरीर के स्टेमिना के अनुसार इन योगासनों को करें।
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