आपके नियमित दिनचर्या में उतार-चढ़ाव आना, मानसिक और शारीरिक थकान होना, चिड़चिड़ापन बेचैनी, तरह-तरह की पेट से जुड़ी समस्याएं, इत्यादि आमतौर पर सभी को परेशान करती हैं। ऐसे मे खुद को संतुलित रखने में पद्मासन आपकी मदद कर सकता है। यह योगाभ्यास आपकी समग्र सेहत के लिए काफी फायदेमंद (padmasana benefits in hindi) होता है।
यदि आप अपने दिनचर्या से 10 से 15 मिनट निकालकर भी इसका नियमित अभ्यास करती है, तो आप कई स्वास्थ्य जोखिमों को खुद से दूर रख सकती हैं। तो चलिए जानते हैं, पद्मासन के बारे में अधिक विस्तार से और साथ ही जानेंगे इसे करने का सही तरीका।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन द्वारा अगस्त 2017 में की गई एक अध्ययन के अनुसार पद्मासन शरीर में ऊर्जा शक्ति को बनाए रखता है। वहीं इस स्टडी में 20 से 23 साल की उम्र के 50 लोगों को पद्मासन की स्थिति में 30 मिनट तक बैठने को कहा गया। परिणामस्वरूप सामान्य लोगों की तुलना इन सभी के एनर्जी लेवल को ज्यादा पाया गया।
पद्मासन की मुद्रा पेट के निचले हिस्से के मसल्स को रिलैक्स रहने में मदद करती है। ऐसे में पीरियड्स के दौरान पद्मासन का अभ्यास आपके दर्द में फायदेमंद हो सकता है। यह योगा पोज पेल्विक रीजन को मजबूती देती है और साथ ही इसकी इलास्टिसिटी को भी बढ़ाती है। जिस वजह से मेंस्ट्रुएशन के दौरान होने वाले क्रैमप्स की संभावना कम हो जाती है।
प्रेगनेंसी के दौरान पद्मासन का अभ्यास आपके डिलीवरी को आसान बनाता है। यह पेल्विक मसल्स को मजबूती देता है और साथ ही हिप के आसपास के एरिया को स्ट्रेच करता है। जिसकी वजह से डिलीवरी के दौरान होने वाला लेबर पेन कहीं हद तक कम हो सकता है। प्रेगनेंसी के दौरान लेबर फ्री डिलीवरी के लिए इस अभ्यास को जरूर करें।
जो पेट के मसल्स को रिलेक्स करता है और साथ ही डाइजेशन को बूस्ट करने में भी मदद कर सकता है। यदि आप कॉन्स्टिपेशन, अपच, इत्यादि जैसी पेट की अन्य समस्याओं से परेशान रहती हैं, तो पद्मासन को अपनी नियमित दिनचर्या में जरूर शामिल करें।
पद्मासन की मुद्रा में हम अपनी आंखों को बंद करके अपने सांस पर फोकस करते हैं। वहीं इस दौरान यह हमारे दिमाग को शांत रखता है और फोकस बढ़ाने में मदद करता है। इस पोजीशन में गहरी सांस लेना और फिर इसे छोड़ना शरीर और दिमाग दोनों को ही रिलैक्स करता है और शरीर और मन को एक दूसरे के साथ बैलेंस बनाए रखने में भी मदद करता है।
स्टेप 1 – सबसे पहले मैट पर पैरों को सीधा करके बैठ जाएं। ध्यान रहे की रीढ़ की हड्डी बिल्कुल सीधी होनी चाहिए।
स्टेप 2 – अब अपने दाहिने घुटने को मोड़ते हुए अपने तलवों को बाय जांघ के ऊपर रखें। ध्यान रहे कि आपके पैर की उंगलियां बाहर की ओर रहें और आपकी एड़ी पेट के निचले हिस्से के नजदीक हों।
स्टेप 3 – अब अपने बाएं पैर के घुटनों को भी ठीक पहले की तरह मोड़ते हुए दाएं पैर के जांघ के ऊपर रखें।
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बीएमआई चेक करेंस्टेप 4 – अब अपने दोनों हाथों को सीधा करके अपने दोनों घुटनों पर रखें।
स्टेप 5 – जब तक आप पद्मासन की स्थिति में हैं, तब तक अपने गर्दन, सर और रीढ़ की हड्डी को पूरी तरह सीधा रखें।
स्टेप 6 – अब इस स्थिति में बनी रहें और नाक से गहरी सांस लें। फिर 5 सेकंड तक सांस को रोके रहें अब इसे नाक से ही बाहर की ओर छोड़ दें। उचित परिणाम के लिए नियमित रूप से इस पोजीशन में कम से कम 10 से 15 मिनट तक बैठें।
यदि आप बिगिनर हैं तो इस अभ्यास को करना आपके लिए थोड़ा कठिन हो सकता है। क्योंकि दोनों पैरों को एक साथ ऊपर की ओर चढ़ाकर पद्मासन पोज में ज्यादा देर तक बैठने के लिए नियमित अभ्यास की जरूरत पड़ती है। ऐसे में आप अर्ध पद्मासन की स्थिति में बैठ सकती हैं। इसमें आपको केवल एक पैर को दूसरे पैर के ऊपर चढ़ाना है। फिर धीरे-धीरे पहले एक पैर से बैठने की आदत बनाएं उसके बाद पद्मासन की स्थिति में बैठने का अभ्यास करें। कुछ समय बाद आपका पैर लचीला हो जाएगा और आपको इस तरह बैठने में कोई समस्या नहीं होगी।
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