बाकी दुनिया की तरह भारत भी एक सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे से जूझ रहा है। वह है हृदय रोग यानी हार्ट डिजीज (Heart disease)। हार्ट डिजीज के मरीजों की संख्या में कोई कमी नहीं दिख रही है। भारत सहित दुनिया के बाक़ी देशों, जहां हार्ट डिजीज के मरीजों की संख्या बहुत अधिक है, उन्हें जागरूक करने के लिए वर्ल्ड हार्ट डे या विश्व हृदय दिवस मनाया जाता है। गतिहीन जीवनशैली (Inactive Lifestyle), ऊंचा तनाव स्तर (High Stress Level), बेहतर सामाजिक आर्थिक स्थिति (Good Social and Financial Status), फास्ट फ़ूड (Fast food), जंक फूड (Junk Food) की खपत में वृद्धि हार्ट डिजीज के घातक कारण बनते हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि वेट लॉस भी इसके कारण बनते हैं।
मानव शरीर के सबसे जरूरी अंगों में से एक है हार्ट। वर्ल्ड हार्ट डे या विश्व हृदय दिवस दुनिया भर के सभी लोगों को अपने दिल की देखभाल करने की याद दिलाता है। इस वर्ष का अभियान सबसे पहले अपने दिल को जानने के जरूरी कदम पर केंद्रित है। इस वर्ष हृदय रोगों की रोकथाम के लिए सक्रिय कदम उठाने की अपील कर रहा है वर्ल्ड हार्ट डे। इस वर्ष के वर्ल्ड हार्ट डे की थीम ((World Heart Day 2023 Theme) -दिल का उपयोग करें, दिल को जानें (Use Heart, Know Heart) है। यह दुनिया भर के लोगों को हृदय की देखभाल के महत्व पर जोर देती है।
व्यस्त लाइफस्टाइल के कारण भारतीयों की थाली से अलग-अलग आहार यानी आहार विकल्प गंभीर रूप से कम हो गये हैं। इसके कारण मोटापा बहुत अधिक बढ़ गया है। इसका हृदय स्वास्थ्य पर घातक प्रभाव पड़ता है। मोटापा अपने साथ डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और धमनी में ब्लोकेज (arteriosclerotic blockages) भी लाता है। धमनी में ब्लोकेज को ही बैड कोलेस्ट्रॉल ब्लोक्स ( bad cholesterol blocks) कहा जाता है।
“भारत में मोटापा तेजी से एक महामारी बनता जा रहा है। यह सिर्फ एक कॉस्मेटिक मुद्दा नहीं है। बढ़ता बीएमआई दिल के काम में परेशानी पैदा करता है। यह हृदय संबंधी समस्याओं को भी बढ़ा देता है। यह दिल के बगल में टिक-टिक करता हुआ टाइम बम रखने जैसा है।”
ऐसे देश में जहां बॉडी मास इंडेक्स (BMI) को अक्सर नजरअंदाज किया जाता है या गलत समझा जाता है, वहां इसके महत्व को उजागर करना जरूरी है। 30 से 60 वर्ष की आयु के औसत वयस्क के लिए सामान्य बीएमआई 18.5-24.9 के बीच होता है। बीएमआई में वृद्धि हृदय पर असंतुलित कार्य भार डालती है। हृदय की मांसपेशियों को अधिक पंप करना पड़ता है, जिसके कारण अंततः यह मोटी और बड़ी हो जाती है। हाई ब्लड प्रेशर होने से हृदय की कार्यप्रणाली भी काफी हद तक प्रभावित हो जाती है।
हृदय स्वास्थ्य समस्या केवल वृद्ध आबादी तक ही सीमित नहीं है। चिंताजनक बात यह है कि भारत में युवा वयस्कों में दिल के दौरे और कोरोनरी धमनी में रुकावट की घटनाएं (heart attacks and coronary artery blockages ) बढ़ रही हैं। खान-पान की गलत आदतों के साथ-साथ खराब जीवनशैली युवाओं को उस बीमारी के प्रति संवेदनशील बना रही है, जिसे कभी बुजुर्गों की बीमारी माना जाता था।
इस उभरते संकट का इलाज जीवनशैली में जागरूक बदलाव लाने में है। घर पर पकाए गए संपूर्ण खाद्य पदार्थों को खाने और प्रोसेस्ड या पैक किए गए खाद्य पदार्थों से परहेज करने जैसे सामान्य कदम जरूरी अंतर ला सकते हैं।
वज़न घटाना एक मैराथन है, तेज़ दौड़ नहीं। क्रैश डाइट या अत्यधिक जिम दिनचर्या के माध्यम से अचानक वजन कम करने का प्रयास घातक परिणाम दे सकता है। जिम में अचानक मौतों की बढ़ती घटनाओं को देखा जा सकता है। प्रभावी वजन घटाने के लिए धीरे धीरे प्रयास करना (gradualism) सही है। जैसे-जैसे शरीर स्वस्थ वजन के अनुरूप ढलता है, हृदय को भी राहत मिलती है। इससे उसका कार्यभार कम हो जाता है।
आज के डिजिटल युग में स्मार्टवॉच किसी की गतिविधि स्तर पर नज़र रखने के लिए एक विश्वसनीय उपकरण के रूप में उभरा है। स्वस्थ वजन और स्वस्थ हृदय बनाए रखने के लिए प्रतिदिन न्यूनतम 10,000 कदम चलना जरूरी है। घर पर बने भोजन से भरपूर संतुलित आहार एक्सरसाइज आहार के लिए आदर्श पार्टनर के रूप में कार्य कर सकता है।
जीवनशैली में तेजी से बदलाव होने के कारण हृदय स्वास्थ्य पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है। अपनी उम्र और ऊंचाई के अनुसार मध्यम वजन बनाए रखना जरूरी है। जैसा कि हम इस वर्ष विश्व हृदय दिवस मना रहे हैं, आइए बेहतर जीवन शैली विकल्प चुनकर अपने हृदय को प्राथमिकता देने का संकल्प लें। एक स्वस्थ हृदय केवल एक अंग नहीं है, बल्कि ओवरआल हेल्थ की आधारशिला है।
इसलिए याद रखें, स्वस्थ हृदय का रास्ता संतुलित जीवन से होकर गुजरता है। अधिक घूमें, बुद्धिमानी से खाएं और सचेत रूप से जिएं।
यह भी पढ़ें :- Aortic aneurysms: दिल के हाईवे को चोट पहुंचाने वाला साइलेंट किलर है एओर्टिक एन्यूरिज्म, जानिए इस बारे में सब कुछ
वजन बढ़ने से होने वाली समस्याओं से सतर्क रहने के लिए
बीएमआई चेक करें