वातावरण में बदलाव, गलत खानपान और अनहेल्दी लाइफस्टाइल के कारण मोटापे की समस्या बढ़ती जा रही है। वर्किंग वुमन हो या होम मेकर मोटापा सभी को प्रभावित कर रहा है। हालांकि, कई महिलाएं ऐसी होंगी, जो फैमिली प्लानिंग के बारे में सोच रही होंगी। क्या आप भी मां बनने के लिए एक्साइटिड है? यदि ऐसा है तो सबसे पहले अपने वजन का ख्याल करें। क्या आपका वेट कंसीव करने के लिए सही है? या आपका वजन प्रेगनेंसी के दौरान कॉम्प्लिकेशंस का कारण बन सकता है? जवाब है हां। यहां एक विशेषज्ञ बता रहीं हैं कि प्रेगनेंसी प्लान करने के लिए क्यों जरूरी है सही वजन बनाए रखना।
प्रेगनेंसी प्लान करने से पहले अपने बॉडी वेट को संतुलित रखना बहुत जरूरी है। अन्यथा शिशु की ग्रोथ पर भी इसका प्रभाव पड़ सकता है। डॉक्टर ऋतु राठी के अनुसार मोटापे से ग्रसित व्यक्ति का बॉडी मास इंडेक्स 30 से अधिक होता है। ऐसे में जिन महिलाओं का बॉडी मास इंडेक्स 30 से अधिक है, उन्हें प्रेगनेंसी प्लान करने से पहले स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श कर लेना चाहिए। साथ ही कंसीव करने से पहले अपने वजन को एक्सरसाइज, योग तथा अन्य माध्यम से संतुलित कर सकती हैं।
सेक्टर 14 गुड़गांव क्लाउड नाइन हॉस्पिटल की सीनियर कंसलटेंट और सेक्टर 31 गुडगांव एपेक्स क्लीनिक की डायरेक्टर डॉ ऋतु सेठी के अनुसार यदि कोई महिला प्रेगनेंसी प्लान कर रही हैं, तो उनके लिए अपने वजन को संतुलित रखना बहुत महत्वपूर्ण है। कोविड-19 महामारी ने लगभग सभी एज ग्रुप के लोगों को मोटापे की समस्या से ग्रसित कर दिया है। महामारी के दौरान खानपान में बदलाव, शारीरिक रूप से सक्रिय न रहने के कारण कई लोग जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों की चपेट में आ गए थें जिसका प्रभाव अभी तक बना हुआ है।
डॉक्टर ऋतु सेठी कहती है कि यदि कोई महिला मोटापे से ग्रसित हैं और प्रेगनेंसी प्लान कर रही हैं, तो उन्हें इस यात्रा के दौरान कई जटिल समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। मां की कोख का वातावरण ही शिशु के जन्म से पहले और जन्म के बाद की कंडीशन के लिए रिस्पांसिबल होता है। ऐसे में मां का स्वस्थ रहना सबसे ज्यादा जरूरी है।
डॉ ऋतु सेठी बताती है कि मोटापे से ग्रसित ज्यादातर महिलाएं पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम से ग्रसित होती हैं। जिसकी वजह से गर्भधारण करना मुश्किल हो जाता है। साथ ही मोटापे से ग्रसित महिलाएं नियमित रूप से ओव्यूलेशन नहीं कर पाती हैं। इस वजह से महिलाओं को इन विट्रो फर्टिलाइजेशन और अन्य तकनीकों को अपनाना पड़ता है।
मोटापे से ग्रसित महिलाओं में गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है। वजन बढ़ने से शरीर मे क्रोमोसोमल नॉर्मल एम्ब्रॉयस की कमी होने लगती है जिस वजह से मिसकैरेज हो सकता है।
अपैक्स क्लीनिक, गुडगांव कि डायरेक्टर, डॉक्टर ऋतु सेठी के अनुसार यदि कंसीव करने वक्त महिला मोटापे से ग्रसित हैं, तो उनमें हाई ब्लड प्रेशर जैसी समस्याओं की संभावना बढ़ जाती है। जिसकी वजह से महिलाएं प्रेगनेंसी के दौरान हाइपरटेंशन और घबराहट महसूस करती हैं।
प्रेगनेंसी के दौरान मोटापे से ग्रसित महिलाओं में ज्यादातर डायबिटीज की समस्या देखने को मिलती है। डॉ ऋतु शेट्टी के अनुसार वजन बढ़ने से शरीर में इंसुलिन की मात्रा अनियंत्रित हो जाती है, जिस वजह से प्रेग्नेंट महिलाओं में गर्भकालीन मधुमेह (गेस्टेशनल डायबिटीज) विकसित होने की संभावना भी बढ़ जाती है।
डॉक्टर के अनुसार थ्रोम्बोम्बोलिज़्म एक मेडिकल कंडीशन है, जिसमे ओबेसिटी से ग्रसित महिलाओं के पैरों में क्लॉटिंग हो जाती है जो प्रेगनेंसी के दौरान लंग्स और हार्ट तक पहुंच सकता है। यह बच्चे और मां दोनों की सेहत को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है।
गायनेकोलॉजिस्ट ऋतु शेट्टी के अनुसार मोटापे से ग्रसित ज्यादातर गर्भवती महिलाओं के बच्चे का वजन असामान्य होता है। यदि गर्भावस्था में किसी महिला का वजन अधिक है, तो उनके बच्चे का वजन भी बहुत ज्यादा (4 किलो से अधिक) हो सकता है। ठीक इसी तरह यदि मां का वजन बहुत कम है, तो बच्चा भी कम वजन (25 किलो से कम) के साथ और कमजोर पैदा हो सकता है।
यदि कोई प्रेगनेंट महिला जीवनशैली से जुड़ी समस्या जैसे कि मोटापे से ग्रसित है तो उनमें प्रीमेच्योर डिलीवरी की संभावना बढ़ जाती है। ओबेसिटी के कारण मां की कोख में बच्चे पूरी तरह विकसित नहीं हो पाते, इसकी वजह से बच्चा या तो कमजोर या अनियमित भजन के साथ पैदा हो सकता है।
गायनेकोलॉजिस्ट ऋतु सेठी का कहना है कि मोटापे से ग्रसित प्रेग्नेंट महिलाओं में डिलीवरी के समय कॉम्प्लिकेशंस देखने को मिलते हैं। आम महिलाओं की तुलना में ओबेसिटी से ग्रसित महिलाओं में फैट की मात्रा ज्यादा होने से वेजाइनल डिलीवरी में उन्हें डिफिकल्टी उठानी पड़ती है।
मोटापे से ग्रसित ज्यादातर गर्भवती महिलाओं में सिजेरियन डिलीवरी की संभावना होती है। एक्सपर्ट्स के अनुसार प्रेगनेंसी के दौरान वजन ज्यादा होने से वेजाइनल डिलीवरी में काफी डिफिकल्टी आती है। यही नही मैटरनल वेट के कारण सिजेरियन डिलीवरी से होने वाले घाव को भी भरने में ज्यादा समय लगता है।
डॉ ऋतु शेट्टी सुझाव देती है कि प्रेगनेंसी प्लान करने से पहले अपने वजन को संतुलित कर लें, यह बच्चे और मां दोनों की सेहत के लिए फायदेमंद रहेगा।
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