हाथ, पैर, एड़ियों, कमर और कंधे सहित शरीर के किसी भी हिस्से में आपको दर्द का सामना करना पड़ सकता है। कई बार यह थकान की वजह से होता है, तो कभी-कभी कुछ पोषक तत्वों की कमी इसके लिए जिम्मेदार हो सकती है। जबकि आंकड़े बताते हैं कि महिलाओं में बढ़ता मोटापा भी मांसपेशियों में दर्द का कारण बन रहा है। आइए एक विशेषज्ञ से जानते हैं कि क्या है बढ़ते वजन और मसल पेन (obesity and muscle pain) का कनैकशन।
मोटापा एक ऐसी बीमारी है, जिसका सामना ज्यादातर महिलाओं को 30 और 40 के दशक में करना पड़ता है। कारण ओवर इटिंग नहीं बल्कि व्यायाम और सही डाईट की अनदेखी है। एक वो दौर था जब महिलाएं परिवार के अन्य लोगों के खाना खाने के बाद भोजन के लिए बैठती थी। कभी पूरा खाना बचता था, तो कभी आधा अधूरा ही खा पाती थी। इससे महिलाओं में पोषण की कमी बढ़ने लगती है। जबकि नए लाइफस्टाइल में उन्हें भोजन की कमी भले ही न हो, मगर अनहेल्दी चुनाव के कारण पोषण की कमी अब भी बनी हुई है। यह दो तरह से आपको नुकसान पहुंचाता है। पहला आप सही-गलत बस खाती रहती हैं, जिससे वजन बढ़ता है। दूसरा, सही पोषण न मिलने के कारण बोन्स और मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं।
इस बारे में चेन्नई में मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष और निदेशक व डायबिटोलॉजिस्ट डॉ वी. मोहन जानकारी दे रहे हैं। उनका कहना है कि 20 साल पहले केवल 2 से 5 फीसदी महिलाएं मोटापे का शिकार हुआ करती थी। मगर अब ये आंकड़ा बढ़कर 30 से 40 फीसदी तक पहुंच चुका है। वहीं 20 से 30 फीसदी महिलाएं ओवरवेट हैं। ओबेसिटी और ओवरवेट होने से उसका पूरा प्रेशर हमारी ओवरऑल बॉडी पर पड़ने लगता है। इससे घुटनों में दर्द और स्पाइन पेन रहने लगता है। उसके बाद वो फैट्स हमारी बाजूओं, टांगों और पेट पर चढ़ने लगता है। इसके बाद सर्वाइक्ल की समस्या बढ़ने लगती है। साथ ही जोड़ों में दर्द की समस्या भी बढ़ जाती है।
डॉ वी. मोहन बताते हैं कि वेटलॉस के लिए एक्सरसाइज़ सबसे महत्वपूर्ण स्टेप है। इसमें हमें एफएआर (FAR) के रूल को याद रखना होगा। इसका मतलब है फलैक्सिबिलीटी (Flexibility), एरोबिक्स (Aerobics) और रेजिस्टेंस ट्रेनिंग (Resistance training) । जो वेटलॉस में काफी सहायक सिद्ध होता है।
शरीर में फलैक्सिबिलीटी को बढ़ाने के लिए आपको आगे की ओर झुकना होना यानि ज़मीन की ओर झुककर अपने पैरों को छुएं। इससे पेट की मांसपेशियों में खिंचाव बढ़ने लगता है और धीरे धीरे वज़न कम होने लगता है। साथ ही पीठ दर्द जैसी समस्याओं से भी मुक्ति मिल जाती है। इसके लिए आप बालासन, उत्तानासन और चक्रासन की प्रैक्टिस करें।
पीठ को सीधा रखने के लिए लेटकर एक्सरसाइज़ करें। इसके अलावा हाथों को पीछे की ओर ले जाकर पीठ को आराम पहुंचाने वाली एक्सरसाइज़ करें। इसके अलावा अर्ध अपानासन और धनुरासन अवश्य करें।
नेक पेन भी मोटापे के कारण होने लगता है। इसके लिए नेक को टिल्ट अप और टिल्ट डाउन करें। साथ ही
गर्दन से जुड़े योगासनों को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं और उष्ट्रासन व भुजंगासन का प्रयास करें।
टांगों और घुटनों के मसल्स को भी सीधा रखें और प्राणायाम करें। आप रिलैक्स महसूस करेंगे।
एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचकर की जाने वाली एक्सरसाइज़ एरोबिक्स कहलाती हैं। इसमें वॉकिंग, जागिंग, रनिंग और स्विमिंग सभी आते हैं। इस एक्सरसाइज़ को करने से हार्ट रेट बढ़ता है। साथ ही खुलकर सांस लेने से हमारे लंग्स भी हेल्दी होते हैं। शुरूआत में इसे आप 30 मिनट रोज़ाना करें। इसके बाद 45 मिनट से लेकर 1 घंटा कर सकते हैं।
इसमें आप वेट उठा सकते हैं। इससे आप बाइसेप्स को बिल्ड अप कर सकते हैं। साथ ही हैवी वेट एक्सरसाइज़ को अपेन रूटीन में शामिल कर सकते हैं। किसी प्रशिक्षक की मदद से आप इन रूटीन एक्सरसाइज़ को अवश्य करें।
अगर आप दिनभर में हर मीन में कार्ब्स इनटेक कर रहे हैं, तो कैलोरीज़ बढ़ने लगेंगी और शरीर मोटापे का शिकार होने लगेगा। अगर आप कैलोरीज लेने के साथ एक्सरसाइज़ कर रही हैं, तो शरीर में नेगेटिव कैलोरी बैलेंस बढ़ने लगाता है। इससे जो भी फैट और कैलोरीज इनटेक किए गए, वो बर्न भी हुए। हम एक ऐसे देश में हैं, जहां कार्ब्स को अधिक महत्व दिया जाता है।
चाहे नार्थ, हो, साउथ हो, इस्ट हो या वेस्ट। इसके लिए कार्ब्स को 20 से फीसदी डाइट में घटाकर प्रोटीन को एड करें। इसके लिए अपनी डाइट में लैग्यूम्स और दालों को एड करें। इससे प्रोटीन के साथ साथ फाईबर की भी प्राप्ति होने लगेगी। जहां कार्ब्स फैट्स में बदल जाते हैं, तो वहीं प्रोटीन मसल्स बिल्ड करने का काम करता है।
फ्रूट जैम और फ्रूट पुडिंग की जगह फलों और सब्जियों को कच्चा खाएं। वहीं हरी सब्जियों की बात करें, तो पत्ता गोभी, पालक, ब्रोकली और मेथी समेत हरी सब्जियों को कच्चा या पकाकर खाएं। इससे हमें बी कॉमप्लेक्स, फलेवनॉइडस, एंटी ऑक्सीडेंटस और विटामिन्स व मिनरल्स की प्राप्ति होती है।
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