दिनों दिन बढ़ रहा वायु प्रदूषण फेफड़ों की कार्यक्षमता (lung capacity) को प्रभावित कर रहा है। इससे ब्लड को ऑक्सीजन पहुंचाने से लेकर सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया की गति धीमी होने लगती है। अक्सर सांस संबधी समस्याओं को हल करने और लंग के कार्य को सुचारू बनाए रखने के लिए ब्रीदिंग एक्सरसाइज़ (Breathing exercise for lungs) की मदद ली जाती है। मगर जंपिग रोप (jumping rope) से भी फेफड़ों के स्वास्थ्य को हेल्दी बनाया जा सकता है। छोटी उम्र से ही रस्सी कूदने का अभ्यास किया जाता है। मगर समय की कमी इन खेलों को हमसे दूर कर देती है। जानते हैं एक्सपर्ट से कि किस प्रकार अन्य फायदों के अलावा रस्सीकूद से फेफड़ों की कार्यक्षमता ( jumping rope benefits for lungs) में भी किया जा सकता है सुधार।
इस बारे में रेस्पिरेटरी, पल्मोनोलॉजी और स्लीप मेडिसिन, कंसल्टेंट .आर्टेमिस हॉस्पिटल्स डॉ अरुण चौधरी कोटा ने जानकारी दी। उन्होंने बताया कि फेफड़ों की सेहत (lungs health) का ख्याल रखने के लिए रस्सीकूद बेहद फायदेमंद है। उनके अनुसार रस्सी कूद (jumping rope benefits) एक ऐसी एक्सरसाइज है, जिसे खेल की तरह बच्चे अक्सर खेला करते हैं। इससे न केवल सांस लेने की क्षमता में सुधार आता है बल्कि हृदय संबधी समस्याओं का खतरा कम होने लगता है। इसके नियमित अभ्यास से ब्रेन हेल्थ बूस्ट (boost brain health with jumping rope) होती है और शरीर में ऑक्सीजन का फ्लो बना रहता है।
जंपिंग रोप (Jumping rope) की मदद से ब्लड से कार्बन डाइऑक्साइड (carbon dioxide) को हटाने और इनहेल व एगजे़ल में मदद मिलती है। दरअसल, फेफड़े की कैपेसिटी (lung capacity) को ऑक्सीजन की मात्रा की मदद से मापा जाता है। रस्सी कूदने से फेफड़े की क्षमता में सुधार के साथ फंक्शनिंग भी बढ़ जाती है।
जर्नल ऑफ फिज़िकल थेरेपी साइंस के अनुसार लगातार रस्सी कूदने से हार्ट रेट बढ़ता है, जिससे फेफड़ों की क्षमता में भी सुधार नज़र आने लगता है। रस्सी कूदने के दौरान फेफड़ों को ज्यादा ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। इससे सांस न ले पाने (Breathing problem) की समस्या और सांस फूलने से छुटकारा मिल जाता है। दिनभर 10 मिनट 3 बार रस्सी कूदने से सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया में सुधार आने लगता है।
रस्सी.कूद को बेस्ट कार्डियो एक्सरसाइज माना जाता है। यह दिल की बीमारियों और हार्ट स्ट्रोक (heart stroke) का खतरा कम करता है। इससे ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और सांसों में भी सुधार होता है। इससे कुल मिलाकर हमारे फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है। इसीलिए यह सांसों से जुड़ी समस्या को कम करने में भी सहायक है।
रस्सी.कूद वजन कम करने के भी सबसे कारगर तरीकों में से एक है। अगर इसके साथ डाइट एवं अन्य बातों का ध्यान रखा जाए तो वजन को कम करने में बहुत मदद मिलती है। यह ओवरऑल बॉडी फैट (body fat) को कम करने वाली एक्सरसाइज है, जिसके लिए किसी महंगी मशीन की जरूरत नहीं पड़ती है। नियमित रूप से रस्सी कूदना वजन नियंत्रण में बहुत मदद कर सकता है।
रस्सी कूद दिमाग के लिए भी बहुत काम की एक्सरसाइज है। इससे एकाग्रता बढ़ती है। रस्सी कूदते समय लगातार यह ध्यान रखना होता है कि पैर रस्सी पर न पड़ें। यह प्रक्रिया एकाग्रता बढ़ाती है। इससे हाथ, पैर और दिमाग के बीच सामंजस्य बढ़ता है, जो कि मानसिक स्वास्थ्य की दृष्टि से भी बहुत अच्छा है। रस्सी कूदना एंजाइटी और डिप्रेशन जैसी समस्याओं से भी बचाने में सक्षम है।
रक्त संचार सही होने फेफड़े एवं दिल की गतिविधि सुचारु होने से त्वचा की चमक भी बढ़ती है। वैसे तो किसी भी तरह की एक्सरसाइज से चेहरे पर चमक बढ़ जाती है। रस्सी.कूद इस मामले में और भी कारगर है। साथ ही यह हड्डियों को मजबूत बनाने और शरीर में लचीलापन बढ़ाने में भी कारगर है।
इसे नियंमित तौर पर करने से पैरों के दर्द और ऐंठन से राहत मिलती है। इसके अलावा थाई और काफ मसल्स को मज़बूती मिलती है। इससे टांगों पर जमा अतिरिक्त फैट्स को बर्न करके शरीर को एक्टिव रखा जा सकता है। सुबह और शाम इसका अभ्यास पैरों में दर्द औश्र सूजन को कम करता है। इससे वॉटर रिटेंशन के खतरे को भी कम किया जा सकता है।
रस्सी.कूद को भले ही खेल समझा जाता है, लेकिन यह ऐसी एक्सरसाइज है, जिससे पहले थोड़ी देर वार्म.अप करना बहुत जरूरी है। पैरों में कोई नरम जूता पहनकर रखें जिससे रस्सी कूदते समय चोट न लगे। साथ ही अगर किसी तरह का खिंचाव लगे या कोई परेशानी हो तो तुरंत रुक जाएं। तकलीफ ज्यादा लगे तो विशेषज्ञ से मिलकर ही दोबारा शुरुआत करें।
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