आप उदास या दुखी हो तो खाना खाने का भी मन न करे, ऐसा सभी के साथ नहीं होता। बल्कि कुछ लोगों को मानसिक तनाव, गुस्से या उदासी की स्थिति में ज्यादा भूख लगने लगती है। इतनी ज्यादा कि आप अनहेल्दी मंचिंग के लिए भी प्रेरित हो जाते हैं। जिससे ओवर ईटिंग और ओवर वेट होने की भी समस्या हो सकती है। यहां जानिए कैसे आपके इमोशन्स (emotional eating) के साथ जुड़ी है आपकी भूख।
कभी-कभी जब हम बहुत अधिक दुखी होते हैं, तो हमें भूख भी ज्यादा लगने लगती है। हम न चाहते हुए भी मंचिंग करने लग जाते हैं। कभी-कभी अच्छी भावनाएं भी हमें खूब खाने के लिए प्रेरित करती हैं। यानी भूख हमारे इमोशंस से जुड़ी है।
क्या आपके साथ भी यह समस्या होती है? जब आप गुस्से में होती हैं या आपको किसी तरह का कोई बढ़िया समाचार मिलता है, तो आप बहुत खुश हाेकर मंचिंग करने लग जाती हैं। आपके सामने जो भी खाद्य पदार्थ आते हैं, आप उन्हें खाने लग जाती हैं। यदि ऐसा है, तो हमें इसके कारणों को जरूर जानना चाहिए।
इसके लिए हमने बात की गुरुग्राम के पारस अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट साइक्लोजिस्ट डॉ. आर. सी. जिलोहा से।
डॉ. आर. सी. जिलोहा ने महिलाओं पर की गई एक ऑब्जर्वेशनल स्टडी का हवाला देते हुए बताया कि स्टडी में शामिल जो महिलाएं भूखी थीं, वे अपनी भावनाओं पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाईं। चिंता और घृणा जैसी नकारात्मक भावनाओं के दौरान उन्होंने ज्यादा भूख लगने की सूचना दी।
जैसा कि अपेक्षित था जिन महिलाओं को भूख अधिक लगी थी, उन्होंने तृप्त महिलाओं की तुलना में अधिक समग्र नकारात्मक भावनाओं की सूचना दी। जिसमें उच्च स्तर का तनाव, क्रोध, थकान और घबराहट और कम उत्साह था।
डॉ. आर. सी. जिलोहा के अनुसार “भूख के कारण बुरे स्वभाव या चिड़चिड़े होने को ह्यूमन साइकोलॉजी में आमतौर पर हैंगरी (hangry) कहा जाता है। भावनाएं भूख को प्रभावित करती हैं। जो महिलाएं अपने खाने में कटौती करने की कोशिश करती हैं, उन्हें भूख और प्रतिकूल भावनाओं के खराब चक्र में फंसने का खतरा अधिक हो सकता है।’
दूसरे शब्दों में, बुरी भावनाएं भूख लगने का कारण बन सकती हैं। यह बाद में अधिक खाने का कारण भी बन सकता है। जब अधिक खाने पर महिलाएं स्वयं को प्रतिबंधिकत करती हैं, तो यह ज्यादा भूख लगने का कारण भी बन सकता है।
जब लोग भूख की बजाय भावना से भोजन करते हैं, तो इसे भावनात्मक भोजन (emotional eating) के रूप में जाना जाता है। जब लोग परेशान, एकाकी, उदास, चिंतित या ऊब महसूस करते हैं, तो वे अक्सर भोजन का सहारा लेते हैं। छोटे-छोटे दैनिक तनाव के कारण जब आप आराम की तलाश में होती हैं, तो यह तलाश आपको भोजन की ओर ले जा सकती है।
हालांकि, भावनात्मक भोजन (Emotional eating) को अच्छी भावनाओं से भी जोड़ा जा सकता है, जैसे वेलेंटाइन डे पर एक साथ मिठाई का आनंद लेने का रोमांच या छुट्टी की दावत का आनंद।
इससे बचने का सिर्फ एक ही उपाय है कि अपने माइंड को कॉन्सन्ट्रेट करने की कोशिश करें।
स्वयं को योग-प्राणायाम से जोड़ें।
अच्छी किताबें, अच्छी आदतें डालकर स्वयं को निगेटिव विचारों से मुक्त करने की कोशिश करें।
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