हमारे डेली रूटीन का प्रभाव हमारे शरीर पर नज़र आने लगता है। उचित दिनचर्या न होने के कारण हमारा इम्यून सिस्टम वीक होने लगता है और शरीर कई तरह के रोगों की चपेट में आ जाता है। इसके अलावा दिनभर सुस्ती और आलस्य हमें घेरे रखता है। बाहरी संक्रमण के प्रभावों से खुद को बचाने के लिए यूं तो हम कई प्रकार के घरेलू उपाय और दवाईयों का सेवन करते हैं। मगर बावजूद इसके सही डाइट और योग न करने के चलते हमारा शरीर कमज़ोर होने लगता है। जानते हैं, एक ऐसा योग, जो हमारे इम्यून सिस्टम को मज़बूत ((Yoga pose for immunity) )बनाता है।
वहीं योग के नियमित अभ्यास से हम अपनी शारीरिक क्षमता को पुर्नजीवित कर पाते हैं। इससे शरीर रोग मुक्त रहता है। महामुद्रा के नाम से विख्यात इस येग को करने से साइटिका का पेन दूर होता है। इससे शरीर की मांसपेशियां स्ट्रेच होती है, जो अंगों में आई स्टिफनेस को दूर भगाती है।
योगा भ्यास हमारे शरीर को अंदरूनी तौर पर एक्टिव बनाता है। इसे करने से शरीर में ब्लड फ्लो बढ़ने लगता है। साथ ही गहरी सांस लेने और छोड़ने का उचित अभ्यास भी आपकी रोध प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का काम करता है। प्रकृति के नज़दीक इस योगासन को नियमित तौर पर करने से शरीर में थकान का अनुभव नहीं होता है। अगर आप बार बार संक्रमणों की चपेट में आ रहे हैं, तो इस आसान योगासन को दो सेट्स में दोहराएं। इससे श्वसन तंत्र मज़बूत होता है।
जानु शीर्षासन को एक आसान योग की कैटेगरी में रखा जाता है। अष्टांग योग शैली में किए जाने वाले इस योग को करने से गर्दन, कंधे, नाभि, लंग्स और घुटनों पर दबाव बनता है। इसे करने से शरीर में लचीलापन बढ़ने लगता है और शरीर मज़बूत होता है।
इस योग को करने से सभी इंटरनल और एक्सटरनल ऑगन सक्रिय हो जाते हैं। हमारा पाचनतंत्र मज़बूत बनता है। शरीर कई प्रकार के दर्द से दूर हो जाता है। शरीर को नियमित भूख लगने लगती है। इसे करने से पेट के भीतरी अंग एक्टिव हो जाते हे।
इसे रोज़ाना करने से मस्तिष्क में गहरी शांति का अनुभव होने लगता है। इसमें सिर को घुटने पर टिकान से हेड में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ने लगता है। इससे हमारा माइंड तनाव और एंग्जाइटी से मुक्त होने लगता है। इसके अलावा भूलने की समस्या और ज्यादा सोचने की परेशानी भी दूर हो जाती है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए रोज़ाना करें जानु शिरासन
इसे करने के लिए दोनों पैरों को एक दम सीधा सामने की ओर रखें।
अब अपने बांए पैर को धीरे धीरे घुटने से मोड़ते हुए बाइं थाइज़ को टच करें। वहीं दाईं टांग को सीधा कर लें।
ध्यान रखें की घुटना एकदम सीधा हो। इस दौरान सीधा बैठने का प्रयास करें और कमर को भी सीधी कर लें। इसके बाद आगे की ओर झुक जाए।
वजन बढ़ने से होने वाली समस्याओं से सतर्क रहने के लिए
बीएमआई चेक करेंदोनों हाथों से दांए पैर के पंजे को पकड़ लें। साथ ही माथे से घुटने का छूने का प्रयास करें।
इसके बाद दांए पैर से भी इस प्रक्रिया को करें। बारी बारी से इस आसन को दोनों टांगों से करने से आपके शरीर में लचीलापन बए़ने लगता है।
इस मुद्रा को 10 सेकण्ड से लेकर 30 सेकण्ड तक रहें।
अगर आपका शरीर स्लिप डिस्क, साइटिका और हर्निया की तकलीफ से गुज़र रहा है, तो इस योग को करने से बचना चाहिए। ऐसे लोग पीछे की ओर झुकने वाले आसनों को दिनचर्या का हिस्सा बना सकते हैं।
पेट, घुटना या गर्दन की सर्जरी के बाद इस योग को कुछ वक्त के लिए करने से बचें। इससे शरीर में मौजूद मांसपेशियों में खिंचाव आने का खतरा बना रहता है।
प्रेगनेंसी के समय में इस प्रकार के योग को न करें। इससे पेट की मांसपेशियों और पेल्विक पर दबाव बनता है। जो गर्भावस्था में बच्चे के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।
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