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Kapalbhati Benefits : सांस के साथ अंदर गई गंदगी को बाहर निकाल देगा कपालभाती, बिगिनर्स के लिए यहां है सही गाइड

दिवाली की रात न चाहते हुए भी आपने बहुत सारी गंदगी सांस के साथ निगल ली है। जिसका असर आपकी आवाज और श्वास पर साफ नजर आ रहा है। इस गंदगी को बाहर निकालने में कपालभाती प्राणायाम सबसे विश्वसनीय और आसान तरीका है।
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कपालभाती प्राणायाम फेफड़ों में फंसी गंदगी केा बाहर निकालने में आपकी मदद कर सकता है। चित्र: शटरस्‍टॉक
Published On: 1 Nov 2024, 05:05 pm IST

दिवाली की रात आतिशबाजी की मेहरबानी से दिल्ली-एनसीआर का एयर क्वालिटी  इंडेक्स 400 के पार पहुंच गया। यह हालत तब है जब पटाखों पर बैन था। तेज शोर और धुएं कारण सेहत को प्रभावित होना स्वभाविक है। खराब हवा में सांस लेना स्वस्थ्य युवा लोगाें के लिए भी खतरनाक है। जिसके शॉर्ट टर्म और कई लॉन्ग टर्म इफेक्ट हो सकते हैं। इस स्थिति में कपालभाती प्राणायाम उस गंंदी हवा को बाहर निकालने में मददगार हो सकता है, जो सांस के साथ आपने मजबूरन इनहेल कर ली है। 200  ईसा पूर्व का श्वास यह अभ्यास आपको नए समय की समस्याओं से लड़ने में भी सहायता कर सकता है। आइए जानते हैं क्यों और कैसे।

क्या है कपालभाती 

यह वास्तव में सांस लेने की एक प्राचीन विधि है। इसमें इनहेलेशन की बजाए श्वास छोड़ने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। इस अभ्यास में आप श्वास इतनी तेजी से छोड़ते हैं कि सांस के साथ अंदर गई गंदगी और टॉक्सिंस खुद ब खुद बाहर आ जाते हैं।

योगाचार्य आचार्य प्रतिष्ठा कहती हैं, “प्राणायाम में कपालभाती उतना ही महत्वपूर्ण है जिना योगासनों में सूर्य नमस्कार। अगर इसे ठीक से किया जाए तो यह 80 गंदगी को श्वास के साथ बाहर फेंक देता है। इसलिए हम कहते हैं कि जब भी आप कपालभाती करें तो एक रुमाल या छोटा तौलिया साथ लेकर बैठें, क्योंकि अब बहुत सारी गंदगी नाक के रास्ते बाहर निकलने वाली है।”

नियमित रूप से 10 मिनट कपालभाति करने से ऑक्सीजन की आपूर्ति बढृती है। चित्र: शटरस्टॉक

6 सप्ताह कपालभाती करने पर श्वसन क्षमता में देखी गई बढ़ोतरी 

डॉ एमजीआर मेडिकल यूनिवर्सिटी में डिपार्टमेंट ऑफ फिजियोलॉजी के दिनेश थंगावेल, एसएचआईएटीएस (Sam Higginbottom University of Agriculture, Technology and Sciences) के गौरव गौर और जेआईपीएमईआर (Jawaharlal Institute of Postgraduate Medical Education & Research) के विवेक शर्मा ने कपालभाति पर एक शोध किया। रिसर्चगेट में प्रकाशित इस शोध में 60 लोगों पर 6 सप्ताह तक कपालभाति प्राणायाम  के अभ्यास का आकलन किया गया।

दो समूहों में बांटे गए इन लोगों पर पहले सप्ताह एक मिनट में 50 बार और फिर एक दिन में तीन बार से पांच बार तक इस अभ्यास को दोहराया गया। देखा गया कि यह स्वस्थ युवा लोगों में हृदय स्वास्थ्य, फेफड़ों के स्वास्थ्य, पेट की मांसपेशियों की मजबूती और मानसिक शांति प्रदान करने में कारगर साबित हुआ। शोध में यह भी कहा गया कि यह आपकी इम्युनिटी को मजबूत बनाकर उन बीमारियों से लड़ने में मदद करता है, जो खराब हवा और पानी के साथ आपके शरीर में दाखिल हो जाती हैं।

सेहत के लिए योग-ध्यान-प्राणायाम तीनों हैं जरूरी 

योग एक प्राचीन भारतीय शारीरिक अभ्यास का तरीका है। पर योगाभ्यास अकेला ही आपके स्वास्थ्य के लिए काफी नहीं है। इसमें ध्यान और प्राणायाम को शामिल करना भी जरूरी है। योगाभ्यास जहां  आपको शारीरिक रूप से फिट रखता है, वही प्राणायाम श्वास प्रणाली को शुद्ध और एक लय में करता है। इन दोनों के बाद ही आप ध्यान के लिए तैयार हो सकते हैं। जो किसी भी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य और मन को शांत करने के लिए जरूरी है।

कपालभाति के फायदे (Kapalbhati benefits for young) 

1 फेफड़ों और श्वसन तंत्र को शुद्ध करता है

जब-जब भी आप गंदी हवा में सांस लेते हैं, आपके फेफड़े बीमार होते जाते हैं। साफ और शुद्ध हवा फेफड़ों की खुराक है। कपालभाती यही खुराक उपलब्ध करवाने की इफेक्टिव विधि है। इसमें आप पेट को अंदर खींच कर सांस बाहर फेंकते हैं। जिससे इनहेलेशन की प्रक्रिया में भी बढ़ोतरी है। ज्यादा ऑक्सीजन ग्रहण करने से श्वसन तंत्र और फेफड़ों को लाभ मिलता है।

वायु प्रदूषण के दुष्प्रभावों से बचाता है कपालभाती। चित्र : एडॉबीस्टॉक

2 शुद्ध ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाता है

कपालभाती को शुरुआत में एक मिनट में बीस बार श्वास छोड़ने का अभ्यास किया जाता है। धीरे-धीरे इसे बढ़ाया जाता है। श्वास छोड़ना श्वास ग्रहण करने की क्षमता में भी बढ़ोतरी करता है। जिससे आप ज्यादा मात्रा में साफ ऑक्सीजन अंदर ले पाते हैं। जब विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं, तब आपके रेस्पिरेटरी सिस्टम के लिए भी ज्यादा मात्रा में ऑक्सीजन ले पाना आसान हो जाता है।

3 रक्त को शुद्ध करता है

यह लाभ उपरोक्त दूसरे लाभ का ही बायप्रोडक्ट है। जब टॉक्सिंस बाहर निकल जाते हैं, तब आपका रक्त अपने आप शुद्ध होने लगता है। साफ रक्त का संचरण अर्थात ब्लड फ्लो और भी आसान और बेहतर हो जाता है। रक्त को शुद्ध करने की प्रक्रिया के कारण ही इसे कपालभाती भी कहा जाता है। जिससे आपके मस्तिष्क तक साफ ब्लड की सप्लाई होती है और वह बेहतर तरीके से काम कर पाता है। अर्थात कपाल रोशन हो जाता है।

4 पेट की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है

कपालभाती में पेट को अंदर खींच कर तेजी से सांस बाहर छोड़ी जाती है। इस प्रक्रिया में पेट की मांसपेशियां लगातार एक्टिव होती है और फिर शिथिल पड़ती है। जिससे उनकी प्राकृतिक मालिश होती है। इसमें आंत, लिवर सहित पाचन तंत्र के सभी अंगों की मांसपेशियां सक्रिय और लचीली हो जाती हैं। आचार्य प्रतिष्ठा इसे महिलाओं के लिए बहुत उपयोगी प्राणायाम अभ्यास बताती हैं।

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5  बैली फैट कम मरता है

योग विशेषज्ञ योग सिद्ध अक्षर कहते हैं, कपालभाती प्राणायाम पेट की मांसपेशियों को मजबूत बनाने के साथ ही आपको बैली फैट से भी छुटकारा दिलाता है। अगर तनाव या सिडेंटरी लाइफस्टाइल के कारण आपका पेट लटकता जा रहा, तब आपके लिए यह बहुत कारगर साबित हो सकता है। यह तनाव काे कंट्रोल करता है और पेट की मांसपेशियों को एक्टिव करता है। जिसका परिणाम होता है पेट की चर्बी में कमी। इसके लिए कम से कम 6 सप्ताह तक आपको इसका नियमित अभ्यास करना चाहिए।

बिगिनर्स के लिए कपालभाति शुरु करने के जरूरी टिप्स (Kapalbhati guide for beginners)

1 सही जगह चुनें

अगर आप किसी भी योग, ध्यान या प्राणायाम का भरपूर लाभ लेना चाहते हैं, तो सबसे ज्यादा जरूरी है सही जगह का चुनाव। घबराइए नहीं, इसके लिए आपको शहर से दूर पहाड़ों पर जाने की जरूरत नहीं है। आप अपने घर में ही एक ऐसे शांत कोने का चुनाव कर सकते हैं, जहां कम से कम आधा घंटा आपको कोई डिस्टर्ब न करे।

2 सही समय चुनें

प्राणायाम के लिए सही समय का पता होना और भी ज्यादा जरूरी है। यह जुंबा या डांस नहीं है कि आप इसे शाम की क्लास में भी कर सकें। कपालभाती करने का सबसे सही समय सुबह का है, जब आप खाली पेट होते हैं। अगर आप किसी भी वजह से सुबह यह अभ्यास नहीं कर पा रहीं, तो यह सुनिश्चित करें कि अभ्यास से तीन घंटे पहले तक आपने कुछ न खाया हो।

3 सही मुद्रा के बारे में जानें

किसी भी प्राणायाम का अभ्यास रीढ़ एकदम सीधी करके किया जाता है। जिससे आपके पॉश्चर में भी सुधार होता है। इस प्राणायाम का अभ्यास पद्मासन या सुखासन की सहज मुद्रा में किया जाता है। मगर रीढ़ सीधी और कंधों को ढीला छोड़ना होता है। अभ्यास करते वक्त यह ध्यान रखें कि आपकी दोनों हथेलियां घुटनों पर ऊपर की ओर खुली हुई हों।

कपालभाती का अभ्यास करते समय आपकी पीठ एकदम सीधी और कंधे ढीले रखें। चित्र ; अडोबी स्टॉक

4 क्रम निश्चित करें

कपालभाती में तेजी से सांस छोड़ी जाती है। जिसमें आपका पेट पीछे स्पाइन तक खिंचता है। जितना भी संभव हो। अगर आप बिगिनर हैं, तो आप एक मिनट में 20 बार श्वास छोड़ने के क्रम से शुरुआत कर सकते हैं। इसके बाद इसे धीरे-धीरे बढ़ाएं।

5 गति का ध्यान रखें

योग एवं प्राणायाम में गति का ध्यान रखना बेहतर लाभ के लिए जरूरी है। अपने शरीर पर उतना ही दबाव डालें, जितना वह संभाल सके। अपनी क्षमता के अनुसार ही गति का भी निर्धारण करें। अगर आप एक मिनट में सिर्फ बीस बार ही श्वास छोड़ पा रहे हैं, तो आदर्श गति के लिए खुद को पचास की तरफ न धकेलें।

6 अपनी मेडिकल कंडीशन के बारे में भी जानें 

अगर आप अभी हाल ही  में कपालभाती का अभ्यास शुरू कर रहे हैं, तो आपको अपनी सेहत के लिए कुछ चीजों का ध्यान जरूर रखना चाहिए। अगर आपको कमर दर्द है, पीठ दर्द है, या स्पाइन से संबंधित किसी भी समस्या का सामना कर रहे हैं, तो आपको कपालभाती का अभ्यास नहीं करना चाहिए। हार्निया की स्थिति में भी इसे करने से मना किया जाता है।

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लेखक के बारे में
योगिता यादव

कंटेंट हेड, हेल्थ शॉट्स हिंदी। वर्ष 2003 से पत्रकारिता में सक्रिय।

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