माइग्रेन (migraines) कितना खतरनाक है- यह जानने के लिए आपको पीड़ित होने की आवश्यकता नहीं है। साइंस के कारण अब माइग्रेन (migraines) को समझ पाना ज्यादा मुश्किल नहीं रह गया है। मौसम में बदलाव, तनाव, नींद की कमी, अनहेल्दी डाइट कोई भी कारण हो सकता है जो माइग्रेन को बढ़ा दे या उसे और भी ज्यादा असहनीय बना दे।
अभी तक माइग्रेन के लिए कोई शर्तिया इलाज नहीं मिल पाया है इसलिए माइग्रेन के रोगी को सलाह दी जाती है कि वह इस तरह का लाइफस्टाइल जिएंं, जिसमें इस बीमारी के साथ बेहतर संयोजन किया जा सके। जब आप दर्द से राहत पाने के लिए ओटीसी पेन किलर्स और स्प्रे पर भरोसा करते हैं, तो एक बार योगाभ्यास भी करके देखें। योग माइग्रेन से मुकाबला करने की आपकी शक्ति में इजाफा करता है।
यह आपके डॉक्टर द्वारा सुझाई गयी दवाओं का विकल्प नहीं है, पर इन योगाभ्यासों से आपके सिर में ब्लड सर्कुलेशन में सुधार होता है, जिससे आप माइग्रेन के लक्षणों पर काबू पा सकते हैं। तो चलिए शुरू करते हैं-
एक आरामदायक मुद्रा में बैठें। अपनी नाक के माध्यम से गहरी सांस लें और सांस छोड़ें। सांस लेते समय अपनी छाती फुलाएं और फिर अपना पेट। सांस छोड़ते हुए, अपने पेट और फिर अपनी छाती को अंदर की ओर संकुचित करें। 10 बार इसका अभ्यास करें। अब सांस लेने की तुलना में सांस छोड़ने की अवधि को बढ़ाने का प्रयास करें। उदाहरण के लिए, यदि आप 3 सेकंड के लिए सांस लेते हैं, तो 6 सेकंड के लिए सांस छोड़ें। (अनुपात 1: 2 होना चाहिए) 6 राउंड के लिए इसका अभ्यास करें।
एक आरामदायक मुद्रा में बैठें। अपने बाएं घुटने पर अपने बाएं हाथ को रखें और अंगूठे एवं तर्जनी को ज्ञान मुद्रा में मोड़ें। अपने दाहिने हाथ की मिडल और रिंग फिंगर से आईब्रो के बीच के हिस्से को टच करें। अपने दाहिने हाथ के अंगूठे से, दाहिने नथुने को बंद करें। अपने बाएं नथुने के माध्यम से गहरी सांस लें।
बाएं नथुने को रोकने के लिए अपनी दाईं अनामिका का उपयोग करें और दाईं ओर से सांस छोड़ें। अब यही मुद्रा दूसरी तरफ से भी करें। इस तरह आप अनुलोम-विलोम का एक साइकल पूरा कर पाएंगी। इस तरह से पांच से छह राउंड करें। सुनिश्चित करें कि सांस छोड़ना अब सांस लेने से दोगुना है।
अपने हाथों से ज्ञान मुद्रा बनाते आरामदायक मुद्रा में बैठें, आपका हाथ अपने घुटनों पर ही रहना चाहिए। अपनी पीठ को सीधा रखें और आंखें धीरे से बंद करें। गहरी सांस लें और सांस छोड़ते समय गले के पीछे से मधुमक्खी जैसी आवाज़ निकालने की कोशिश करें। -जैसे कि ओउम बोलते समय उसके केवल ‘म’ हिस्से पर फोकस करना। नौ से 10 बार सांस लेते हुए इसे दोहराएं।
अपनी हथेलियों को अपने शरीर से जोड़ते हुए पीठ के बल लेट जाइए। पैर थोड़े से फैलाकर रखें और पंजों के बीच भी इसी तरह अंगुलियां बाहर की ओर फैली हुई हों। अपनी आंखें बंद करें और अपनी सांस और अपने पेट की गति पर कुछ मिनटों तक ध्यान केंद्रित करें। इसके अलावा अपने शरीर के माध्यम से अपनी जागरूकता बढ़ाएं।
अपने शरीर के हर हिस्से को सिर से पैर तक स्कैन करें। आप चाहें तो इसे खुद ही कर सकती हैं, और न हो तो आप इस तरह की ऑडियो टेप चलाकर उससे भी निर्देशन ले सकती हैं। अपनी गति के हिसाब से वापस अपनी जागृत मुद्रा में आएं, अपने आसपास को महसूस करें और अपने इस सुंदर समय के लिए खुद के प्रति आभार व्यक्त करें।
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