क्या मेनोपॉज में महिलाओं के लिए सेफ है रनिंग? एक फिटनेस एक्सपर्ट से जानते हैं इसके बारे में सब कुछ
शरीर को फिट रखने के लिए रनिंग एक बेहतरीन ऑप्शन है। इस कार्डियो एक्सरसाइज से शरीर को कई फायदे मिलते है। मगर बात जब मेनोपॉज की आती है, तो उस दौरान रनिंग को लेकर महिलाएं कंफ्यूज़ नज़र आती है। इसमें कोई दोराय नहीं कि रनिंग से शरीर एक्टिव और फिट रहता है लेकिन मेनोपॉज के दौरान शरीर में कई परेवर्तन आने लगते है। इसके चलते रनिंग को जारी रखना उचित है या अनुचित। जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट।
रनिंग मेनोपॉज के दौरान किस प्रकार से फायदेमंद है
मिस्कुलोस्केटल फिजिशियन डॉ रजत चौहान का कहना है कि मेनोपॉज के दौरान महिलाओं के शरीर में कई प्रकार के बदलाव होते है। ऐसे में शारीरिक अंगों में दर्द, कमज़ोरी और थकान का सामना करना पड़ता है। मेनोपॉज के दौरान रनिंग करने से शरीर में एनर्जी का लेवल मेंटेन रहता है। साथ ही शरीर पर हार्मोल असंतुलन का असर कम नज़र आता है। शरीर दिनभर एक्टिव रहता है और मेनेपॉज के दौरान मानसिक स्वास्थ्य में आने वाले उतार चढ़ावों को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। मेनोपॉज के दौरान शरीर के स्टेमिना के अनुसार रनिंग करना फायदेमंद साबित होता है।
इस बारे में फिटनेस कोच अंकित गौतम बताते हैं कि मेनोपॉज के दौरान महिलाओं को इचिंग, हेयरलॉस, नाइट स्वैट और क्रेविंग्स का सामना करना पड़ता है। कुछ महिलाएं तेज़ी से वेटगेन कर लेती है। ऐसे में शरीर को एक्टिव रखना ज़रूरी है। इस दौरान बढ़ने वाली बॉडी पेन और तनाव को दूर करने के लिए रनिंग और एक्सरसाइज़ दोनों फायदेमंद साबित होते हैं। इसके अलावा ब्रिस्क वॉक भी आवश्यक है, जिससे वेट मैनेजमेंट में मदद मिलती है और मेंटल हेल्थ में भी सुधार आने लगता है। शरीर को फिट रखने के अलावा इस दौरान स्मोकिंग और अल्कोहल के सेवन से बचें।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार वे महिलाएं जिनका लाइफस्टाइल सिडेंटरी यानि गतिहीन है। वे सक्रिय महिलाओं की तुलना में अधिक गंभीर मेनोपॉज के लक्षण (signs of menopause) का सामना करती है। रिसर्च के अनुसार व्यायाम और रनिंग करने वालों को नींद से जुड़ी समस्या, वज़न बढ़ना और मूड स्विंग (mood swing) का सामना बहुत कम करना पड़ता है। हार्मोनल बदलाव के बावजूद उनका शरीर एक्टिव और एनर्जी से भरपूर रहता है।
जानते हैं मेनोपॉज में रनिंग किस प्रकार से है फायदेमंद
1. हार्मोनल संतुलन के लिए जरूरी
दौड़ना हार्मोन को संतुलित बनाए रखने का बेहतरीन विकल्प है। दौड़ने से शरीर में ब्लड का सर्कुलेशन (blood circulation) बना रहता है, जिससे हार्मोन के परिवहन को बढ़ाया जा सकता है। हार्मोन शरीर में केमिकल मैसेंजर के समान कार्य करते है। इससे शरीर को एक्टिव रखने के अलावा तनाव मुक्त रखने में भी मदद मिलती है। रनिंग और एक्सरसाइज़ से शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर उचित बना रहता है। दिनभर में 30 मिनट की रनिंग फायदेमंद साबित होती है।
2. मसल्स स्टिफनेस से बचाती है
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार मेनोपॉज के दौरान जोड़ों के दर्द और ऐंठन का सामना करना पड़ता है। ऐसे में शरीर के लचीलेपन को बनाए रखने के लिए स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज़ और रनिंग फायदेमंद है। शरीर को एक्टिव रखने से वेटलॉस में मदद मिलती है और हड्डियों व जोड़ों पर आने वाला तनाव स्टिफनेस कम करता है।
3. वेटगेन कंट्रोल करता है
शरीर में हार्मोन के असंतुलन के चलते मेनोपॉज के दौरान न केवल वेटगेन का सामना करना पउ़ता है बल्कि शरीर की चौड़ाई बढ़ने लगती है। ऐसे में हेल्दी वेट मेंटेन करने और बॉडी पोश्चर को उचित बनाए रखने के लिए रनिंग की मदद ली जा सकती है। इससे शरीर में जमा होने वाली अतिरिक्त कैलोरीज़ से बचा जा सकता है। इसके अलावा दर्द व ऐंठन कम हो जाती है। दरअसल, मेनोपॉज के समय मेटाबॉलिज्म स्लो होने लगता है, जिससे वेटगेन का सामना करना पड़ता है।
4. बोन डेंसिटी में सुधार होता है
रजोनिवृत्ति के कारण एस्ट्रोजन का स्तर गिरने लगता है, जिससे बोन डेंसिटी प्रभावित होने लगती है। इसके चलते शरीर में ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है, जिससे फ्रैक्चर और सूजन का सामना करना पड़ता है। ऐसे में बोन डेंसिटी को बनाए रखने के लिए रनिंग एक कारगर उपाय है। अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार रनिंग करने से शरीर को फायदा मिलता है।
5. तनाव कम होता है
बॉडी को एक्टिप रखने से शरीर में एंडोर्फिन का रिलीज़ बढ़ जाता है। इसके चलते शरीर में हैप्पी हार्मोन रिलीज़ होता है, जिससे तनाव, चिंता और डिप्रेशन से राहत मिलती है। इससे मेंटल हेल्थ बूस्ट होती है और महिलाओं में बढ़ने वाली ब्रेन फॉग की समस्या से भी बचा जा सकता है।