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क्या आर्थराइटिस के मरीजों को चलानी चाहिए साइकिल? जानिए इस बारे में क्या कहते हैं एक्सपर्ट

जाड़े के दिनों में साइकिलिंग हार्ट हेल्थ के लिए बढ़िया है। यह मेंटल हेल्थ और वेट लॉस के लिए भी बढ़िया वर्कआउट है। लेकिन आर्थराइटिस के मरीज को बरतनी होगी सावधानी।
Updated On: 20 Oct 2023, 09:58 am IST
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दिन में कम से कम 30 मिनट साइकल चलाने से हृदय और मांसपेशियों की सहनशक्ति बढ़ सकती है। चित्र:शटरस्टॉक

जाड़े के दिनों में किसी वीकेंड पर या छुट्टी के दिन कभी साइकिल चलाई है? यदि नहीं, तो चलाकर देखें। पूरे शरीर की स्ट्रेचिंग हो जायेगी। साथ ही, मूड भी फ्रेश हो जाएगा। आपकी इच्छा होगी कि रोज ही साइकिल चलाऊं। बिल्कुल सही सोचा है आपने। वैसे साइकिल चलाने के सालों भर फायदे मिलते हैं। सर्दी के मौसम में तो साइकिल चलाना फिजिकल और मेंटल हेल्थ दोनों के लिए फायदेमंद है। पर
क्या आर्थराइटिस के मरीज चला सकते हैं साइकिल(is cycling bad for arthritis)। फ़िज़ियोथेरेपिस्ट और योग थेरेपिस्ट डॉ. अमित खन्ना साइकिलिंग के फायदों और सावधानी के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।

साइकिलिंग हैं कई फायदे, लेकिन आर्थराइटिस के मरीज बरतें सावधानी

1 बेहतरीन कार्डियो वर्कआउट है साइकिल चलाना (cycling for cardiovascular exercise)

डॉ. अमित बताते हैं, ‘साइकिल चलाना कार्डियोवैस्कुलर सहनशक्ति अभ्यास (cardiovascular endurance practice) है। यह एक बेहतरीन कार्डियो वर्कआउट है। दिन में कम से कम 30 मिनट साइकल चलाने से हृदय और मांसपेशियों की सहनशक्ति बढ़ सकती है। साइकिल चलाने से हृदय, फेफड़े और सभी मांसपेशियों का व्यायाम हो पाता है। यह कार्डियो वर्कआउट का एक रूप है, जो वजन घटाने और फैट घटाने दोनों में आपकी मदद कर सकता है। दिल को सुरक्षित रखने के लिए नियमित शारीरिक गतिविधियों जैसे कि पैदल चलना, साइकिल चलाना सही होता है। ये एक्टिविटीज हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में भी मदद कर सकते हैं।

2 सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर में प्रभावी है साइकिलिंग (cycling for SAD)

होपकिंस विश्वविद्यालय में सायकियेट्री में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. ऋषि गौतम ने हेल्थ शॉट्स से बताया, जाड़े के दिनों में धूप की कमी से व्यक्ति में सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर हो जाता है।इसके कारण व्यक्ति अवसादग्रस्त हो जाता है। उसे रोजमर्रा के काम करने में मजा नहीं आता है।

साइकलिंग एक बेहतरीन एक्‍सरसाइज है। चित्र: शटरस्‍टॉक
जाड़े में आप सैड से प्रभावित हो जाती हैं, तो साइकिल उठाकर घर से बाहर किसी खुली जगह में चली जाएं। चित्र: शटरस्‍टॉक

वह हमेशा लो फील करता रहता है।’ यदि आप भी जाड़े में सैड से प्रभावित हो जाती हैं, तो साइकिल उठाकर घर से बाहर किसी खुली जगह में चली जाएं। सूर्य की रोशनी के संपर्क में आते ही सेरोटोनिन हॉर्मोन निकलेगा और आपका मूड अच्छा हो जायेगा।

3 वजन घटता (Weight Loss) और फिट होता है शरीर

आप सर्दियों में साइकिल चलाएंगी, तो आपकी सुस्ती आपसे कोसों दूर भाग जायेगी। सूर्य की रोशनी के संपर्क में आने पर आपकी हड्डियां मजबूत होंगी। आपका इम्यून सिस्टम स्ट्रोंग होगा। इससे सुचारू रूप से ब्लड फ्लो हो पाता है। मसल्स स्ट्रोंग हो पाते हैं। स्ट्रेस लेवल भी कम होगा। इनके अलावा, यह फैट बर्न, कैलोरी बर्न और फिर वजन घटाने में भी मदद कर सकता है। वजन घटाने के लिए आपको नियमित रूप से एक निश्चित गति के साथ साइकिल चलानी होगी।

4 आर्थराइटिस के मरीज साइकिल चलाने में बरतें सावधानी (cycling precautions for arthritis)

डॉ. अमित बताते हैं, ‘ साइकिल चलाने को घुटने से आराम देने वाला व्यायाम माना जाता है। इसमें झुकने या बैठने की जरूरत नहीं पड़ती है, जिससे घुटने का बचाव होता है। बार-बार पेडलिंग से घुटने में चोट लग सकती है। वहीं ठंड के कारण जोड़ों की सूजन बढ़ सकती है।

ह पैरों की मांसपेशियों को मजबूत रखने के लिए सबसे अच्छी कसरत है. चित्र : शटरस्टॉक
आर्थराइटिस के मरीज  को नियमित साइकिल नहीं चलाना चाहिए। चित्र : शटरस्टॉक

उन्हें नियमित साइकिल नहीं चलाना चाहिए। ऐसी स्थिति में उन्हें स्टैटिक साइकिलिंग करनी चाहिए। स्टैटिक साइकिलिंग एक मशीन होती है, जिसमें निरंतर स्थैतिक गति (CPM) होती है। ऐसी गतिशीलता गठिया के लिए बढ़िया होती है। इसे आप दिन में दो बार कर सकती हैं। एक सेशन 15-20 मिनट का होना चाहिए।

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आर्थराइटिस के मरीज एक्यूट केस (Acute Arthritis) में नहीं करें साइकलिंग

आर्थराइटिस के मरीज को मौसम का भी ख्याल रखना चाहिए। ठंडी हवा में उन्हें घर से बाहर निकलने से परहेज करना चाहिए। ठंड के मौसम में यह समस्या बढ़ जाती है। यदि आपको घुटने या शरीर के अन्य जोड़ में बहुत अधिक दर्द रहता है। या लंबे समय से गठिया है, तो साइकिलिंग कभी नहीं करें। गठिया के तीव्र मामले में विशेष रूप से ऑस्टियोआर्थराइटिस वाले मरीज को साइकिल चलाने से बचना चाहिए।

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लेखक के बारे में
स्मिता सिंह
स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है।

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