कोरोना वायरस के चलते जहां पूरी दुनिया एक तरह से रुक गई है, वहां योगा एक्सपर्ट मधु मिश्रा योग-प्राणायाम के माध्यम से लोगों को मानसिक और शारीरिक रूप से फिट रहने के लिए तैयार कर रहीं हैं। मधु मिश्रा इंटरनेशनल योगा एंड वेलनेस कोच और मृत्युंजय योग स्टूडियो की फांउडर हैं। वे मॉरीशस में एक्वा और एरियल योगा की ट्रेनर रह चुकी हैं।
कोविड-19 महामारी के दौर में योगा और वेलनेस कोच मधु मिश्रा सभी को योग-प्राणायाम अपनाने की सलाह देती हैं। जिस वजह से आज हर व्यक्ति मेंटली और इमोशनल रूप से कमजोर होता जा रहा है। बच्चे भी इससे बच नहीं पाए हैं। खासतौर से वे बच्चों को 5 साल की उम्र से ही योगाभ्यास करवाने की सलाह देती हैं। ताकि बड़े होकर उन्हें हेल्दी आदतों के लिए खुद को मजबूर न करना पड़े।
कोविड-19 के समय में योग आपके और आपके परिवार के लिए कैसे मददगार हो सकता है, इस पर हमने मधु मिश्रा से विस्तार से बात की। पेश हैं उस बातचीत के कुछ अंश –
योग के प्रति मेरा रुझान मेरे पापा के कारण बना, क्योंकि योगा हमारे घर में किसी परंपरा के जैसा था। सुबह पापा हमें उठाते थे और 20 मिनट तक हम योग करते थे। फिर स्कूल में भी योगाभ्यास करवाया जाता था। फिर मैंने ग्रेजुएशन पूरी की और योगा से एम.ए किया।
योगा से पोस्ट ग्रेजुएशन करने का मन इसलिए था क्योंकि मेरी जिंदगी में योगा बचपन से था और इसे करने के लिए किसी स्पेशल सब्जेक्ट की जरूरत नहीं होती हैं। उस समय दिमाग में था कि खुद भी हेल्दी रहना है और परिवार को भी हेल्दी रखना है और इसमें करियर स्कोप भी है।
मैंने 2012 में उत्तराखंड यूनिवर्सिटी हरिद्धार से योगाचार्या में एम.ए किया। उसके बाद मैंने ऋषिकेश में रहकर अष्टांग और हठ योग में वाईटीसी (Yoga Teaching career course) किया। फिर एरियल योगा सिखाने के बाद 1 साल तक योगा सिखाया और 2018 में मॉरीशस चली गई।
मॉरीशस में 2 साल तक योग सिखाया। 2020 में मैं वापस भारत आई और कानपुर में अपना योगा स्टूडियो (मृत्युंजय योगा स्टूडियो) खोला। और इसकी दूसरी ब्रांच जो बलरामपुर जिलें में है। यहां स्टूडियो खोलने का कारण ये था कि यहां के जिम में लड़कियां कंफर्टेबल नहीं थी। तो मैंने यहां दूसरी ब्रांच जनवरी में खोल दी और अब मैं यहां योगा सिखा रही हूं।
योग से मेरे जीवन में काफी बैलेंस आया है। पहले मैं बात-बात पर गुस्सा करती थी, बहुत जल्दी रिएक्ट करती थी। अब योग करने से मेरे अंदर काफी संतुलन आया है। लोगों को बाहरी तौर पर फायदे दिखाई देते हैं, पर इंटरनल फायदे कोई नहीं देखता। वो इंटरनल फायदा मैंने महसूस किया। इससे निर्णय लेने में आसानी होती है, ये मानसिक रूप से आपको रिलैक्स करता है।
आप देखेंगी की इस माहौल में हर व्यक्ति डरा हुआ है, यह अच्छी सूचना नहीं है। पर इस समय अच्छा ये हुआ है कि लोग योग की तरफ आ रहें हैं। लोगों को लग रहा है कि योग करना और हेल्दी फूड लेना जरूरी है।
अगर लाभ की बात करें, तो इसमें दो बातें आती हैं – एक ये कि जिन लोगों को कोविड हो गया है और दूसरे वो जिनको कोविड नहीं हुआ है। जिन लोगों को कोविड नहीं हुआ है, वो सबसे पहले पैनिक न हो और वो सुबह सूर्योदय के समय 15 से 20 मिनट के लिए प्राणायाम करें, उनको सूर्य के सामने बैठ कर अनुलोम-विलोम, कपालभाति और सूर्य-नमस्कार करना चाहिए।
वजन बढ़ने से होने वाली समस्याओं से सतर्क रहने के लिए
बीएमआई चेक करेंऔर जिनको कोविड हो गया है, उन्हें कुछ माइल्ड प्राणायाम करने चाहिए जैसे- चंद्रभेदन प्राणायाम, शवासन, अनुलोम-विलोम प्राणायाम और कुछ सूक्ष्म व्यायाम कर सकते हैं।
हां ये हम लोगों की आदत है कि जब कोई चीज़ बाहर से आती है, तो हमें बहुत फैंसी लगती है। जबकि योग और प्राणायाम पहले से भारत के मूल रहे है, ये हमारी ही चीज़ है। आप तो जानते ही हैं कि अमेरिका कैसे ब्रांडिंग करता है- जैसे पावर योगा, हॉट योगा और पिलाटी।
हमारी ही चीज़ को फैंसी तरीके से डिजाइन किया। लेकिन इससे एक बात अच्छी हो गई कि लोग पहले मानते थे कि योग बूढ़े और बीमार लोगों के करने की चीज है। पर अब आप देखेंगी कि बालीवुड में शिल्पा शेट्टी और मलाइका अरोड़ा जैसे सेलिब्रिटी भी योगाभ्यास कर रहीं हैं। जिनसे आज की पीढ़ी को लग रहा है कि हां, योग से अपना फिगर अच्छा बन सकते हैं।
मैं जिन टीनएजर्स को योगा करवाती हूं, उनको लगता है कि उनकी हाइट भी शिल्पा शेट्टी जैसी हो जायेगी। भले ही लोग ग्लैमर की तरफ जा रहे हैं यहां की चकाचौंध देखकर पर लोग एक स्वस्थ आदत की ओर बढ़ रहे हैं।
कुछ खास आहार फॉलो करने की ज़रूरत नहीं है। हां, लेकिन योगा वेजिटेरियन फूड को प्रमोट करता है, क्योंकि नॉनवेज फूड पेट में आसानी से टूट नहीं पाता है। जिस वजह से आपके पाचन तंत्र को उस तरह के भोजन को पचाने में काफी समय और मेहनत लगती है।
इसलिए कोशिश करें कि ज्यादा से ज्यादा सब्जियां और फल खाएं। योगा में शुद्ध और सात्विक आहार को प्रधानता दी गई है। गलती से भी मैदा, रिफाइंड ऑयल और वाइट शुगर का सेवन न करें, क्योंकि मैदा और चीनी को आयुर्वेद और योग में सफेद जहर बोला गया है। जहां तक संभव हो घर का बना ही खाएं।
बाजार में मिलने वाले डिब्बाबंद जूस को अवॉइड करें। घर का बना जूस पिएं या आप फल भी खा सकती हैं। ध्यान रखें कि आपकी प्लेट खूब कलरफुल होनी चाहिए- जैसे हरी सब्जियां, फल और कलरफुल सलाद इन सब से भरी होनी चाहिए।
कोशिश करें कि आप अपनी छत या बालकनी का इस्तेमाल करें, अगर आपकी छत इतनी बड़ी नहीं या कोई और समस्या है, तो आप कमरे में प्राणायाम कर सकती हैं, लेकिन विंडो खोल के। बंद कमरे में आप योग, प्राणायाम नहीं कर सकते। कमरे में अगर आप योग और प्राणायाम कर रही हैं, तो एयर कंडीशनर न चलाएं, खिड़कियां खुली रखें।
ऐसा सभी आसनों के साथ तो नहीं है पर हां कुछ प्राणायाम हैं जैसे शीतली और शीतकारी प्राणायाम, जिन्हें सर्दी के मौसम में नहीं करना चाहिए। ये बॉडी को बहुत जल्दी ठंडा करता है। गर्मी के मौसम में भी आप करके देखेंगे, तो आपको पता चलेगा कि बॉडी कितनी रिलैक्स हो जाती है।
कुछ प्राणायाम ऐसे है भी हैं, जो सर्दियों में आपको राहत पहुंचा सकते है- जैसे कपालभाति और भस्त्रिका ये प्राणायाम आपकी बॉडी को गर्म रखते हैं।
हां, बिल्कुल सीख सकते हैं पर प्रोफेशनल ट्रेनर से। ये आपको उतना ही लाभ देगा, जितना ऑफलाइन क्लास से मिलता। बस आप अपनी मेडिकल हिस्ट्री अपने ऑनलाइन टीचर को बता दें और अगर किसी बीमारी से गुजर रहे हैं तो एक बार डॉक्टर से पूछ लें।
योग को अपनी लाइफ का हिस्सा बनाएं, आपको बस दिन में 15 मिनट का समय निकालना है। उसमें सूर्य नमस्कार के 2 से 4 राउंड करने हैं और अनुलोम-विलोम करना है। आप एक अच्छी वेबसाइट में जा कर देखें और फिर उसे करें, दैट्स इट।
कई लोग सोचते हैं कि योगा सिर्फ मोटे लोगों को करना चाहिए। आप स्टूडेंट है, वर्किंग है, करियर प्रॉब्लम है, आपकी पर्सनल रिलेशनशिप इशू हैं, इन चीज़ों से जितना स्ट्रेस होता है, वह सब नियमित योगाभ्यास से आप संभाल पाएंगी। आपका फोकस और निर्णय लेने की क्षमता में भी बढ़ोतरी होगी।
फिट रहने के लिए आप दौड़ सकते हैं, बैडमिंटन खेल सकते हैं, साइकिल चला सकते हैं। लेकिन उससे आपकी फिजिकल हेल्थ को फायदा होगा। पर आपको शांत रहना है, फोकस्ड रहना है, इमोशनली स्ट्रॉन्ग और फिट रहना है तो उसके लिए आपको योग की तरफ आना ही पड़ेगा।
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