दुनिया भर में आज यानी 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (International Yoga Day) मनाया जा रहा है। यह सुखद है कि शारीरिक और मानसिक फिटनेस (Physical and mental fitness) की एक वैज्ञानिक पद्धति अब दुनिया भर में प्रचलित हो गई है। बड़े राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मंचों से लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म तक सब जगह लोग योग और योगाभ्यास (Yoga Practice) को सेलिब्रेट कर रहे हैं। आइए योग के इस भव्य आयोजन में हिस्सा लें। पर उससे पहले जान लें योग (Important things about Yoga) के बारे में कुछ जरूरी और वैज्ञानिक तथ्य।
प्राचीन काल में भारत की भूमि पर कई ज्ञानशाखाओं का उद्गम और विकास हुआ। उनमें से जो गिनी-चुनी ज्ञान की शाखाएं आज भी मजबूती के साथ टिकी हुई हैं, उनमें योग का नाम प्रमुख रूप से लिया जा सकता है। योग का इतिहास कितना पुराना है, यह बता पाना कठिन है। योग क्या है इसे स्पष्ट रूप से परिभाषित कर पाना और भी कठिन है। किसी भी आध्यात्मिक साधना को योग कहा जा सकता है, चाहे वह किसी भी सम्प्रदाय या धर्म से जुड़ी हो।
आज अधिकतर लोग योग को एक व्यायाम पद्धति के रूप में जानते हैं और पिछले कुछ वर्षों में योग की प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जा रहीं हैं। जिनसे योग एक फिटनेस तकनीक के रूप में भी धीरे-धीरे प्रतिष्ठापित हो रहा है। किन्तु योग का यह स्वरूप उसके मूल स्वरूप से बहुत भिन्न है।
महर्षि पतंजलि को योग के शास्त्र की सुव्यवस्थित रूप से रचना करने का श्रेय दिया जाता है। जिनका काल लगभग ईसापूर्व दूसरी सदी माना जाता है। पतंजलि ने अपने योगशास्त्र में योग साधनाओं के साथ मनोविज्ञान का भी विस्तार से वर्णन किया है।
चित्त का स्वरूप क्या है, विचार कैसे उत्पन्न होते हैं, विचारों का नियंत्रण कैसे किया जा सकता है, चित्त, शरीर, इन्द्रिय और आत्मा इनमें क्या सम्बन्ध है, हमारा स्वभाव कैसे बनता है, एकाग्रता कैसे प्राप्त करें इत्यादि अनेक विषयों का विस्तार से वर्णन योगसूत्र में किया गया है।
योगसूत्रों में वर्णित इन सभी विषयों को पढ़ने के बाद यह स्पष्ट रूप से ज्ञात होता है कि योग का मूल अर्थ केवल आसन या प्राणायाम तक सीमित नहीं था। कालान्तर में योग की अवधारणा में कई परिवर्तन होते गए। अनेक योग-साधनाएं विलुप्त होतीं गईं और योग केवल घरबार छोड़कर जंगलों में रहने वाले जोगी-संन्यासियों द्वारा की जानेवाली उग्र तपस्या समझा जाने लगा।
गत पन्द्रह-बीस वर्षों से परिस्थिति फिर से बदलने लगी। योग की प्रसिद्धि बढ़ने लगी, योग के लिए फिर अच्छे दिन आ गए, टीवी चैनलों पर योगगुरु प्रतिदिन सुबह योग का पाठ देने लगे और जोगी-संन्यासियों का योग घर-घर तक और सामान्य व्यक्ति तक पहुंच गया। लोगों को योग का महत्त्व समझ में आने लगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी के प्रयास से 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (International Yoga Day) मनाया जाने लगा, जिससे योग को वैश्विक मान्यता मिल गयी।
आज योग का महत्त्व सर्वविदित है | हजारों लोग अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित रखने के लिए नियमित योग का अभ्यास करते हैं, यह निश्चित ही प्रशंसनीय उपलब्धि है। इस उपलब्धि के साथ ही कुछ महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं की ओर ध्यान देना आवश्यक है।
सोशल मीडिया के कारण योग का काफी प्रचार-प्रसार हुआ है, किन्तु यह विकसित शहरों में ही अधिकतर देखने को मिलता है। एक ओर जहां बड़े-बड़े शहरों में योग स्टूडियो, जिम, मॉल्स आदि जगहों पर हजारों रुपये देकर योग की कोचिंग दी जाती है, वहीं दूसरी ओर छोटे कस्बों में या गावों में व्यवस्थित रूप से योग सीखने के साधन उपलब्ध नहीं हैं।
टीवी और यूट्यूब के वीडियो देखकर योग सीखने में फ़ायदे कम और नुकसान अधिक हैं। योग्य शिक्षक के मार्गदर्शन में योग सीखना और योगाभ्यास करना आवश्यक है, अन्यथा गलत अभ्यास करने से शरीर को नुकसान होने की संभावना अधिक है।
योग का प्रचार-प्रसार करने के लिए कुछ लोग ‘योग से केवल फ़ायदे ही होते हैं, किन्तु योग से कोई हानि नहीं होती’ ऐसा भ्रम फैलाते हैं। जबकि गलत पद्धति से की गयी योगसाधना भी नुकसानदायक हो सकती है। इस बात पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है कि योग और पहलवानी कसरत में अंतर है।
यह भी पढ़ें – अंतरराष्ट्रीय योग दिवस : तन-मन ही नहीं, आपसी संबंधों को भी मजबूत बनाता है योग
डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।