जब भी वेट गेन (Weight Gain) होता है, तो फास्टिंग को वेट लॉस (Fasting for weight loss) का जरिया बना लिया जाता है। फास्टिंग और स्वास्थ्य पर इसके प्रभावों के बारे में हमेशा पॉजिटिव और निगेटिव बातें कही जाती रही हैं। कुछ इसके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव की और इंगित करते हैं, तो कुछ स्वास्थ्य पर बढ़िया प्रभाव डालने की बात कहते हैं। अध्ययन और एक्सपर्ट बताते हैं कि इंटरमिटेंट फास्टिंग प्रतिरक्षा प्रणाली (Intermittent fasting for immune system) को रीसेट कर सकता है। इससे बढ़िया हृदय स्वास्थ्य, हाई ब्लड प्रेशर पर कंट्रोल और सूजन (Intermittent fasting lowers inflammation) भी कम हो सकता है।
इंग्लैंड जर्नल ऑफ़ मेडिसिन के अध्ययन के अनुसार इंटरमिटेंट फास्टिंग से वाइट ब्लड सेल्स की संख्या कम हो जाती है। इसके परिणामस्वरूप प्रतिरक्षा प्रणाली नई व्हाइट ब्लड सेल्स का उत्पादन शुरू कर देती है। श्वेत रक्त कोशिकाएं (Lymphocytes) शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली का एक प्रमुख घटक है। व्हाइट ब्लड सेल्स मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए जिम्मेदार होती है। एक बार जब फास्टिंग के बाद दोबारा खाना शुरू किया जाता है, तो स्टेम सेल का नवीनीकरण हो जाता है।
इस फास्टिंग में लाभ प्राप्त करने के लिए कई घंटों तक लगातार उपवास करना पड़ता है। मूल रूप से ऊर्जा भंडार ग्लाइकोजन को पूरी तरह से ख़त्म करना पड़ता है। इसमें शरीर को कम से कम 24- 48 घंटे घंटे लगते हैं। स्वास्थ्य लाभ पाने के लिए संभवतः वर्ष में केवल एक या दो बार इंटरमिटेंट उपवास करने की जरूरत पड़ती है।
फिटनेस एक्सपर्ट सत्या व्यास कहते हैं कि 3-दिन या 72 घंटे तक लगातार उपवास करना ज्यादातर लोगों के लिए बहुत मुश्किल है। इसकी बजाय आसान उपवास आज़माया जा सकता है। इसे समय-प्रतिबंधित (time-restricted) उपवास कहा जाता है। इस रणनीति के साथ 6 घंटे या 8 घंटे के अंतराल का हर दिन उपवास किया जा सकता है।
इस समय-प्रतिबंधित (time-restricted) उपवास में दोपहर का भोजन दोपहर 12 बजे लें। फिर रात का खाना 8:00 बजे तक लें। अगले दिन दोपहर तक उपवास करें। इस तरह 16 घंटे का उपवास हो जायेगा। ऐसा हर दिन कर सकती हैं। इसके अलावा प्रत्येक सप्ताह 2 अलग-अलग दिनों के लिए उपवास रखा जा सकता है। इसका अर्थ है कि उन दिनों में केवल 500-700 कैलोरी का भोजन और पेय लेना। बाकी 5 दिन सामान्य रूप से खाया जा सकता है।
सत्या व्यास के अनुसार, यह शरीर को ग्लूकोज मेटाबोलिज्म से कीटोन मेटाबोलिज्म में बदल देता है। सामान्य दिन में 3 बार का भोजन शरीर को ग्लूकोज के रूप में ईंधन का एक निरंतर स्रोत प्रदान करता है। एक बार जब ग्लूकोज का उपयोग हो जाता है, तो शरीर फैटी एसिड और कीटोन बॉडी का उपयोग करना शुरू कर देता है। कीटोन मेटाबोलिज्म से कई स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं। समय-समय पर शरीर को इसकी आदत डालनी पड़ती है।
तीन दिन का उपवास आंशिक रूप से काम करता है। यदि ऐसा किया जाता है, तो 2-3 दिनों का लंबा उपवास शरीर को कुछ पुरानी प्रतिरक्षा कोशिकाओं को साफ करने और नई कोशिकाओं के प्रोडक्शन पर स्विच करने के लिए प्रेरित करता है। इंटरमिटेंट फास्टिंग ऑयली और फैटी फ़ूड को खाने से रोकता है। यह शरीर को क्लीन करता है, वजन कम करता है, ग्लूकोज या लिपिड मेटाबोलिज्म को रेगुलेट करता है। यह ब्लड प्रेशर को कम करने और प्रतिरक्षा प्रणाली को बूस्ट कर पूरे शरीर को स्वस्थ करता है।
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