इंटरमिटेंट फास्टिंग पिछले कुछ दिनों में काफ़ी लोकप्रिय हो रही है। कई फ़िटनेस लवर्स इस उपाय को वेट लॉस के लिए परफेक्ट मानते हैं। लेकिन क्या इंटरमिटेंट फास्टिंग साइंटिफिकली प्रूवन है? इस सवाल का जवाब हम आपको देंगे।
सबसे पहले तो यह जानना जरूरी है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग एक स्पेशल डाइट प्लान है, जिसको खासतौर पर वेट घटाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसमें आप एक निर्धारित समय तक उपवास रखते हैं और फिर हाई प्रोटीन फ़ूड खाते हैं। इसे दो हिस्सों में बांटा जा सकता है- फास्टिंग पीरियड और इटिंग विंडो। इंटरमिटेंट फास्टिंग का सबसे पॉपुलर तरीका है 16:8। यानी 16 घण्टे का फ़ास्ट और 8 घण्टे का इटिंग विंडो।
फ़ास्ट पीरियड के दौरान आप पानी, ग्रीन टी और ब्लैक कॉफी जैसे जीरो कैलोरी फ़ूड ले सकते हैं।
इटिंग विंडो में 3 मील लिए जाते हैं, जो प्रोटीन और फाइबर में भरपूर होनी चाहिए। इस दौरान कार्बोहाइड्रेट को अवॉइड करना चाहिए।
जर्नल ऑफ क्लीनिक इन्वेस्टिगेशन में 2016 के एक शोध में पाया गया इंटरमिटेंट फास्टिंग वेट लॉस का सबसे कारगर तरीका है।
शोध की मानें तो जब हम 14 से 16 घण्टे तक कोई कैलोरी नहीं लेते तो हमारी बॉडी सर्वाइवल मोड में चली जाती है। ऐसे में ऊर्जा के लिए बॉडी फैट सेल्स को बर्न करती है। इटिंग विंडो के दौरान हाई प्रोटीन आहार लिया जाता है जिससे मसल्स लॉस नहीं होता।
अगर इस दौरान आप कार्बोहाइड्रेट खा लेंगे तो बॉडी उन कार्ब्स को ऊर्जा के लिए इस्तेमाल करने लगेगी और फैट बर्न नहीं होगा। हाई फाइबर आहार लेने से आपको भूख भी कम लगेगी।
ज्यादातर फ़िटनेस फ्रीक इस डाइट का सुझाव देते हैं। इसके लिए आप रात में जल्दी डिनर कर लें और फिर ब्रेकफास्ट स्किप कर दें। उस बीच खूब सारा पानी पियें।
पबमेड सेंट्रल में प्रकाशित स्टडी के अनुसार, अगर सही तरीके से निभाया जाए तो यह उपाय बहुत कारगर हो सकता है। क्योंकि इंटरमिटेंट फास्टिंग सिर्फ फैट बर्न नहीं करती, बल्कि बॉडी में कई पॉज़िटिव बदलाव भी करती है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के रिसर्च के अनुसार शार्ट-टर्म फास्टिंग मेटाबॉलिक रेट को 14% तक बढ़ाती है जिससे बॉडी ज्यादा कैलोरी बर्न करती है। यही नहीं, इंटरमिटेंट फास्टिंग जमे हुए फैट को टारगेट करता है और आसानी से इंचेस में फर्क दिखता है।
इंटरमिटेंट फास्टिंग में अन्य वेट लॉस प्लान्स के मुकाबले मसल्स लॉस लगभग जीरो होता है। साइंटिफिक लिटरेचर के 2014 के स्टडी के अनुसार 3 से 24 हफ्ते के लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग को फ़ॉलो करने से बेस्ट रिजल्ट मिलते हैं।
वजन बढ़ने से होने वाली समस्याओं से सतर्क रहने के लिए
बीएमआई चेक करेंहम सब जानते हैं कि ब्लड शुगर बढ़ने और इंसुलिन कम होने के कारण डायबिटीज होती है। इंटरमिटेंट फास्टिंग ब्लड में शुगर लेवल को कम कर डायबिटीज के रिस्क को कम करती है। हालांकि महिलाओं से ज्यादा कारगर इसे पुरुषों में देखा गया है। तो बॉटम लाइन यह है कि कम से कम पुरुषों में इंटरमिटेंट फास्टिंग से डायबिटीज का जोखिम कम हो जाता हैं।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ हेल्थ के रिसर्च के अनुसार फास्टिंग के दौरान हमारे शरीर मे ‘ऑटोफेजी’ की प्रक्रिया होती है जिसमें शरीर पुराने सेल्स को हटा कर नए सेल्स तेज़ी से बनाता है। ऑटोफेजी से अल्ज़ाइमर्स जैसी कई गम्भीर बीमारियों की सम्भावना कम हो जाती है। यानी कि इंटरमिटेंट फास्टिंग आपको गंभीर बीमारियों से बचा सकती है।
1. अगर आप इंटरमिटेंट फास्टिंग शुरू कर रही हैं तो शुरुआती दिनों में आपको काफी भूख लगेगी। इससे बचने के लिए आप फास्टिंग शुरू करने से एक हफ्ते पहले से ही अपनी डाइट कम कर दें। खूब सारा पानी पिएं और डाइट में फाइबर की मात्रा बढ़ाएं।
2. सर दर्द और चक्कर जैसी समस्या शुरुआत में आ सकती हैं। इसके लिए खुद को मेंटली तैयार रखें। इटिंग विंडो के दौरान 3 मील ज़रूर लें। अपनी डाइट में फल और फ्रेश सब्जियां ज़रूर रखें
3. चिड़चिड़ापन, खासकर महिलाओं में, इंटरमिटेंट फास्टिंग के कारण देखने को मिलता है।
4. फास्टिंग शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह ले लें। एकदम से फास्टिंग शुरू न करें, बल्कि धीरे-धीरे अपनी डाइट कम करें।
अगर आप डायबिटिक हैं तो इंटरमिटेंट फास्टिंग बिल्कुल न करें। प्रेग्नेंसी में भी फास्टिंग नहीं करनी चाहिए। इस दौरान गलती से भी जंक फ़ूड न खाएं।