क्या आपको कभी इस बात से ईर्ष्या हुई है कि सेलिब्रिटीज कठिन आसन भी बड़ी आसानी से कर लेते हैं? तो चलिए आपको उनका ये राज़ बताते हैं। लचीलापन यानी फ्लेक्सिबिलिटी ये उनके नियमित योगाभ्यास का ही परिणाम है। जिस वजह से उनका शरीर लचीला हो जाता है। तो अब समय आ गया है कि आप भी अपने आपको लचीला (flexible) बनाएं। इसके लिए आपको बस अपने वर्कआउट रुटीन में हॉर्स पोज (Horse pose) या (vatayanasana) वातायनासन को शामिल करना है।
वातायनासन यानी हॉर्स पोज इसे फ्लाइंग हॉर्स पोज़ या हॉर्स फेस पोज के नाम से भी जाना जाता है। ये मूल रूप से एक संतुलन मुद्रा है, जो क्वाड्स, ग्लूट्स और आंतरिक जांघ की मांसपेशियों को लक्षित करता है। इस योगासन को कोई भी व्यक्ति कर सकता है। यहां कोई भी से तात्पर्य है, वह भी जिसने कभी योगा नहीं किया हो वह भी।
तो लेडीज, अपने वर्कआउट रूटीन में इस योगासन को शामिल करने से पहले नीचे दी गई जानकारी जरुर पढ़ें। अगर आपके साथ ये समस्याएं है, तो इस आसन से बचें:
1 यदि आप गर्भवती हैं, तो वातायनासन का अभ्यास करने से बचें।
2. जो लोग स्लिप डिस्क से पीड़ित हैं, उन्हें ये योगासन नहीं करना चाहिए।
3. जिनकों घुटने, कूल्हे या टखने में समस्या है, उन्हें भी इससे बचना चाहिए।
4. यदि आप हर्निया से पीड़ित हैं, तो इस आसन का अभ्यास न करें, क्योंकि इससे दर्द बढ़ सकता है।
ये आसन उन लोगों के लिए है, जो शुरुआती तौर पर योगा कर रहे है, ये रहे योगासन करने के चरण:-
1.सबसे पहले सीधे खड़े हो जाएं।
2.फिर अपने पैरों को खोलें, पैर की उंगलियां बाहर की ओर होनी चाहिए।
3.सांस लेने के साथ ही, अपनी भुजाओं को कंधों के साथ बाहर की तरफ खींचे।
4.फिर अपनी सांस बाहर छोड़ते समय अपने घुटनों को 90 डिग्री के कोण पर मोड़ दें।
5.घुटनों को जोड़कर रखें।
6.इस आसन को 30 सेकंड तक रोककर (होल्ड) रखें और सांस लेते रहें।
1. सबसे पहले फर्श पर बैठें, बाएं पैर को कूल्हे के पास दाहिनी जांघ पर रखें यानी आधा पद्मासन।
2. फिर हथेलियों को फर्श पर रखते हुए अपने हाथों को बगल में रखें।
3. सांस छोड़ते हुए आप अपने धड़ को फर्श से उठाएं।
4. फिर बाहरी रूप से बाएं पैर को घुमाते हुए फर्श पर रख दें।
5. अब दाहिने पैर को आगे करके दाहिनी एड़ी को बाएं घुटने के पास रखें।
6. सुनिश्चित करें कि दाहिनी जांघ फर्श के समानांतर है।
7. सांस लें और अपनी पीठ को सीधा करें, श्रोणि को आगे बढ़ाएं। अपने हाथों को छाती के स्तर तक उठाएं ।
8. फिर दोनो दाएं और बाएं हाथों को एक दूसरे पर लपेट दें।
9. अब, हथेलियों को आपस में मिला लें।
10. पोज दें और सामान्य रूप से सांस लेते रहें ।
11. पैरों को सीधा करके फर्श पर बैठ जाएं।
12. पैर और भुजाओं की स्थिति को बदलकर मुद्रा को रोकें।
यदि नियमित रूप से अभ्यास किया जाए तो ये मांसपेशियों में तनाव को कम करता है। मुद्रा में शामिल खिंचाव मांसपेशियों को ज्यादा लचीलापन देता है।
ये हड्डियों और मांसपेशियों की क्षमता और स्थिरता को बढ़ाता है। आखिरकार, आपकी हड्डियां और मांसपेशियां मजबूत हो जाती हैं।
आसन निचले शरीर में रक्त संचार में सुधार करता है। ये विशेष रूप से हिप क्षेत्र के माध्यम से रक्त के उचित प्रवाह की सुविधा देता है।
वजन बढ़ने से होने वाली समस्याओं से सतर्क रहने के लिए
बीएमआई चेक करेंये मुद्रा शरीर में किसी भी कठोरता से छुटकारा पाने में मदद करती है और जोड़ों के दर्द से राहत देती है।
निचले शरीर पर ध्यान देने के साथ, यह मुद्रा कूल्हों और पैरों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है। वातायनासन के नियमित अभ्यास से कूल्हों और पैरों की मामूली समस्या में सुधार आता है। साथ ही फ्लेक्सिबिलिटी और संतुलन में भी सुधार होता है। इसलिए, ये आपके पोश्चर में भी सुधार करता है।
वातायनासन एकाग्रता और ध्यान केंद्रित करने में सुधार करता है। ये संतुलन बढ़ाता है, लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात ये है कि ये उचित संतुलन पर एकाग्रता के कारण व्यक्ति की मानसिक स्थिरता को भी मजबूत करता है।
ग्रैंड मास्टर अक्षर बताते हैं कि “कई शोध यह साबित कर चुके हैं कि वातायनासन करने वाले व्यक्ति का संतुलन और एकाग्रता में सुधार होता है।”
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