अस्थमा जैसी सांस लेने संबंधी समस्या को दूर करने में योग आसन और श्वास तकनीक एक शक्तिशाली व प्रभावशाली तरीका है। योग का मुख्य उद्दश्यों में से एक ये भी है कि यह मन और शरीर दोनों से तनाव को खत्म करने में मदद करता है। चिंता और तनाव जैसे तमाम कारक मुख्य रूप से सांस फूलने की समस्या का कारण हैं। और नियमित योग अभ्यास करके हम आसानी से अपनी इस समस्या से राहत, फेफड़ों की कार्यक्षमता और स्वास्थ्य को बेहतर कर सकते हैं। आइए जानते हैं उन योगासनों के बारे में जो आपके फेफड़ों के स्वास्थ्य को बूस्ट कर सकते हैं।
आप भी इन योग मुद्राओं और प्राणायाम या सांस संबंधित तकलीफों में राहत दिलाने वाले एक्सरसाइज को दिन में दो बार अपनाकर अपने फेफड़ों को मजबूत बना सकती हैं साथ ही अस्थमा और सांस की अन्य बीमारियों में राहत पा सकती हैं।
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अस्थमा के दौरान समस्या को और बढ़ाने वाले कुछ पर्यावरणीय कारक और लाइफस्टाइल यहां शामिल हैं।
घातक वायु प्रदूषण जो हवा की क्वालिटी बिगाड़ने के लिए जिम्मेदार होते हैं
सिगरेट पीना
औद्योगिक धूल
ठंडी हवा
फूलों से निकलने वाले परागकण और अन्य एलर्जी फैलाने वाले कण उन लोगों के लिए सांस लेना मुश्किल बना सकते हैं, जो पहले ही अस्थमा या ब्रोंकाइटिस जैसी समस्या से जूझ रहे हैं। ये स्थिति बच्चों के लिए और भी ज्यादा खतरनाक हो सकती है। क्योंकि उनकी श्वास नली वयस्कों की तुलना में काफी छोटी होती है।
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अस्थमा से जूझ रहे मरीजों को राहत कैसे मिले उस पर हेल्थ शॉट्स की टीम ने योग एवं आध्यात्मिक गुरु और लाइफस्टाइल कोच ग्रैंड मास्टर अक्षर से बात की। बातचीत के दौरान लाइफस्टाइल कोच अक्षर ने कई प्रभावी योग आसनों के बारे में बताया है। इन आसनों के अभ्यास से अस्थमा के दौरान होने वाली तकलीफों से आप आराम पा सकती हैं।
योग करने से फेफड़ों की कई समस्याएं दूर हो जाती हैं। दरअसल यह अस्थमा के दौरान होने वाली समस्याओं से राहत व तकलीफों को कम करने में मददगार हैं। अस्थमा के लक्षणों को कम करने में योग मददगार साबित होता है। इसलिए इस बीमारी से जूझ रहे लोगों के लिए योग का अभ्यास जरुर करना चाहिए। यह उन्हें काफी फायदा पहुंचाता है।
लाइफस्टाइल कोच अक्षर बताते हैं कि सांस संबंधी समस्याओं से जूझ रहे मरीजों को स्वास्थ्य लाभ पाने के लिए अपनी दिनचर्या में बद्ध कोणासन, हलासन, जानू सिरसासन जैसी मुद्राओं का अभ्यास करना चाहिए। इनके आलावा चाहे तो भस्त्रिका प्राणायाम, अनुलोम विलोम प्राणायाम, खंड प्राणायाम और कपाल भाति को भी दैनिक अभ्यास में शामिल कर सकती हैं।
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योग का अभ्यास करने से अस्थमा मरीजों के फेफड़ों की ऑक्सीजन क्षमता बढ़ती है।
यह अस्थमा मरीजों के वायुमार्ग और नाक के मार्ग को दुरुस्त करता है।
अस्थमा, ब्रोंकाइटिस जैसी अन्य श्वसन संबंधी बीमारियों को ठीक करने में मदद करता है। साथ ही इन बीमारियों से हुए फेफड़ों के नुकसान को सही करने में सहायक होता है।
यह श्वसन संबंधी बीमारियों की ठीक करने में तेजी और उन समस्याओं की चपेट में आने से बचाव करता है।
वजन बढ़ने से होने वाली समस्याओं से सतर्क रहने के लिए
बीएमआई चेक करेंइनका अभ्यास खाली पेट करना चाहिए और इसे करने का सही समय सुबह की शुरुआत है।
आप योग आसन व श्वास संबंधी एक्सरसाइज की शुरूआत करने से पहले सिद्ध वॉक कर सकती हैं। इसे अन्य नाम जैसे इन्फिनिटी वॉक, योगा वॉक और माइंड वॉक से भी जाना जाता है। योग मास्टर अक्षर बताते हैं कि सिद्ध वॉक एक प्राचीन योगाभ्यास है जो आपके मन, शरीर और आत्मा को असंख्य फायदा पहुंचाती है।
आपको इसके लिए अक्षर 8 की आकृति में दक्षिण से उत्तर दिशा की ओर चलना होगा और फिर अगले चक्कर के लिए दिशा बदलनी होगी। दोनों दिशाओं में तकरीबन 21 मिनट इसे जरुर करना चाहिए।
अपने चिकित्सक से सलाह लेने के बाद इन चार आसनों का अभ्यास किया जा सकता है। साथ ही जब भी इन अभ्यासों की प्रैक्टिस की शुरुआत करें, तो इस बात खास ख्याल रखें कि आप एक प्रशिक्षित योग टीचर की निगरानी में यह योग आसन कर रही हैं।
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इस योग आसन में अपने पैरों को आगे की ओर फैलाकर अपनी चटाई पर बैठ जाएं और अपनी पीठ को सीधा रखें। फिर सांस भरते हुए दोनों पैरों को 30 से 45 डिग्री के एंगल पर ऊपर उठाकर कुछ देर रोकें। इस दौरान अपने पीठ को सीधा रखें और बैठने की मुद्रा में हिप बोन पर संतुलन बनाएं रखें।
अपनी पीठ को सीधा रखते हुए एक पैरों को क्रॉस की स्थिति में रखकर बैठ जाएं । अब सामान्य रूप से सांस अंदर लें और बाहर छोड़ें। अपनी आँखों बंद कर लें। और दोनों हाथों को अपने दोनों घुटनों पर ले जाकर रखें।
सर्प आसन के लिए सबसे पहले पेट के बल लेट जाएं और हाथों को पीठ की ओर ले जाकर उंगलियों को गूंथ लें। औऱ जैसे ही आप सांस अंदर की ओर लेती हैं, अपने सिर, छाती और कंधों को जितना संभव हो सके ऊपर की ओर उठाएं। अपने आपस में गूथे उंगलियों यानी दोनों हाथों को पीछे की ओर फैलाएं। इस दौरान अपने पैरों को फर्श से उठने न दें।
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अपने कंधों की सीध में, हथेलियों को ठीक सपाट नीचे रखकर पेट के बल लेट जाएं। इस दौरान पैरों को एक साथ सीध में रखें। सांस अंदर की ओर लेते समय अपने दाहिने हाथ और बाएं पैर को अपने घुटने को सीधा रखते हुए ऊपर उठाएं। साथ ही अपने सिर और छाती को भी ऊपर उठाना चाहिए। अब धीरे-धीरे कर सांस छोड़ें और यही प्रक्रिया दूसरी तरफ से दोहराएं। याद रहे इस मुद्रा में 10 से 15 सेकंड तक खुद को रोके।
यदि आप पहली बार योग आसन कर रही हैं , तो आपके लिए सलाह है कि इन आसनों के साथ अपने सांस लेने और बाहर निकालने की प्रक्रिया को धीरे-धीरे कर योग के सभी मुद्राओं का अभ्यास भी आराम से करें। इन योग आसनों के साथ आप अपनी दिनचर्या में पांच मिनट के लिए प्राणायाम को भी शामिल कर सकती हैं और धीरे-धीरे कर इसके अवधि को बढ़ा भी सकती हैं। इन सभी योग आसनों के दौरान आने वाले वाली मुद्राओं में 10-15 सेकंड के लिए खुद को रोक कर रख पाने का प्रयास करें और इन योग अभ्यास को 2 से 3 बार दोहराएं।
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