महामारी खत्म होने के बाद लोग अपने घरों से निकलकर अब ऑफिस से काम करने लगे हैं। फिर भी कुछ लोग अभी भी वर्क फ्रॉम होम (डब्ल्यूएफएच) या हाइब्रिड वर्किंग फॉर्मेट का पालन कर रहे हैं। घर से काम करने के कारण पीठ, गर्दन और आंखों में उन्हें समस्याएं हो रही हैं। घर से काम करना सुविधाजनक हो सकता है, लेकिन सही सुझावों का पालन न करने के कारण आपके स्पाइन हेल्थ पर बुरा असर पड़ सकता है। आपको कमर दर्द हो सकता है। आइए इससे बचने के उपाय जानते हैं।
कई घरों में डेस्क वर्क की उचित व्यवस्था नहीं होती है। मनुष्यों की रीढ़ लंबे समय तक बैठने की मुद्रा को बनाए रखने में सक्षम नहीं होती है। अधिकतर लोगों को थोड़े समय बाद ही दर्द होने लगता है। एर्गोनोमिक कुर्सियां हर किसी के पास उपलब्ध नहीं होती हैं। हम आमतौर पर डाइनिंग टेबल चेयर या कुर्सी पर कुशन लगाकर का प्रयोग करते हैं।
सपोर्ट के लिए तकिए के साथ साधारण प्लास्टिक रिक्लाइनिंग कुर्सियों का भी उपयोग किया जाता है। उपयोग की जाने वाली सामान्य कुर्सियाें पर बैठकर कुछ समय के लिए स्टडी तो की जा सकती है, लेकिन ऑफिस वर्क के लिए ये सही नहीं हैं। सोफे पर बैठकर और आगे झुककर तो और भी बुरी स्थिति है। सबसे खराब तो बिना सहारे के फर्श पर बैठकर काम करना है। लंबे समय तक इस स्थिति में बैठा जाए, तो यह रीढ़ की हड्डी के लिए बेहद नुकसानदायी है।
लैपटॉप हैंडी तो होता है, लेकिन इस पर काम करने के लिए जिस मुद्रा में बैठा जाता है वह ‘फॉरवर्ड स्टूप’ कहलाता है। लंबे समय तक इस अवस्था में बैठने पर वर्टीब्रल डिस्क पर दबाव दो गुना से अधिक बढ़ जाता है। यह मांसपेशियों की थकान और कोर मांसपेशियों में आलस्य की ओर भी ले जाता है। दोनों ही पीठ दर्द का कारण बनते हैं। लैपटॉप के इस्तेमाल से सिर हमेशा शरीर से आगे की ओर झुक जाता है।
यह ‘टेक नेक’ सिंड्रोम कहलाता है, जिसमें गर्दन के लचीलेपन में वृद्धि के साथ डिस्क का तनाव तेजी से बढ़ता है। यह स्थिति उन लोगों के लिए और भी अधिक खराब है, जो अपने काम के लिए लैपटॉप और मोबाइल दोनों का प्रयोग करते हैं।
यात्रा करने के दौरान हम चलते हैं, बैठते हैं, खड़े होते हैं और फिर चलते हैं। शरीर के लिए मूवमेंट अच्छा होता है, क्योंकि यह ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाता है और टिश्यू न्यूट्रीशन में सुधार लाता है। वर्क फ्रॉम होम के दौरान बहुत सारे लोगों में बिल्कुल मूवमेंट नहीं होता है, जिससे मांसपेशियों और हड्डियों का स्वास्थ्य बिगड़ सकता है।
वर्क फ्रॉम होम के कारण ज्यादा घंटे तक काम करना पड़ता है, इससे भी एक्सरसाइज और मूवमेंट नहीं हो पाता है।
शहरी जीवनशैली में सूरज की रोशनी से मिलने वाला एक्सपोजर बहुत महत्वपूर्ण है, जिसे अक्सर अनदेखा या असंभव बना दिया जाता है। हड्डियों के स्वास्थ्य और शरीर के कई कार्यों के लिए विटामिन डी सर्वोपरि है, जो सूरज की यूवी बी किरणों के संपर्क में आने पर ही बनता है। यह दोपहर के सूरज में अधिकतम होता है। घर से काम करने के कारण सूर्य से एक्सपोजर न के बराबर मिल पाता है।
यदि आपने अपनी समस्या को पहचान लिया है, तो समझें आपका आधा काम हो गया। यदि आप वर्क फ्रॉम होम करती हैं, तो कुछ टिप्स पर ध्यान दें।
वजन बढ़ने से होने वाली समस्याओं से सतर्क रहने के लिए
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