Grounding benefits for weight loss: नंगे पैर चलना और जमीन पर बैठना वेट लॉस में भी हो सकता है मददगार, यहां जानिए कैसे

ग्राउंडिंग शरीर में बढ़ने वाली सूजन, हार्मोन इंबैलेंस और नींद की गुणवत्ता को सुधारने में मदद करता है। ग्राउंडिंग दो प्रकार की होती है इनडोर और आउटडोर। इनडोर ग्राउडिंग को लेटकर और बैठकर किया जा सकता है। वहीं आउटडोर ग्राउंडिंग नंगे पांव चलकर की जाती है।
Grounding se weight loss mei milti hai madad
ग्राउंडिंग नींद को बेहतर बनाने का एक आसान तरीका है। इससे अप्रत्यक्ष रूप से वजन घटाने में मदद मिलती है।
Published On: 11 Dec 2024, 08:00 am IST
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वजन कम करने के लिए कई तरह की डाइट को फॉलो किया जाता हैं। इसमें कोई दोराय नहीं कि स्वस्थ आहार की मदद से शरीर में जमा अतिरिक्त कैलोरीज़ को बर्न करने में मदद मिलती है। मगर साथ ही ग्राउंडिंग थेरेपी की मदद से शरीर के वज़न को संतुलित रखा जा सकता है। ग्राउंडिंग यानि जमीन से जुड़ने की वो तकलीक जिससे शरीर को कई फायदे मिलते हैं। कई तरीके से ज़मीन से जुड़कर अतिरिक्त कैलोरीज़ को बर्न करने में मदद मिलती है। सबसे पहले जानते हैं ग्राउंडिंग क्या है और ये वेटलॉस (grounding for weight loss) में कैसे सहायक साबित हो सकती है।

ग्राउंडिंग किसे कहा जाता है (What is Grounding)

अर्थिंग और ग्राउंडिंग नींद को बेहतर बनाने का एक आसान तरीका है। इससे अप्रत्यक्ष रूप से वजन घटाने में मदद मिलती है। धरती में फ्री इलेक्ट्रॉनों की हाई कंस्टरेशन के कारण निगेटिव इलेक्ट्रिकल चार्ज होता है। जब शरीर लेटकर, चलकर, तैरकर या व्यायाम करके पृथ्वी के सीधे संपर्क में लाते हैंए तो इन मुक्त इलेक्ट्रॉनों में एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव होता है। वे शरीर को हार्मफुल फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं और बेहतर नींद, कम तनाव, बेहतर ऊर्जा और कम दर्द सहित कई लाभ प्रदान करते हैं। इसके लिए नंगे पैर बाहर घूमकर ग्राउंडिंग और अर्थिंग के लाभों का अनुभव कर सकते है।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार ग्राउंडिंग से शरीर में बढ़ने वाली सूजन को कम करने, हार्मोन इंबैलेंस को दूर करने और नींद की गुणवत्ता को सुधारने में मदद करता है। एक अन्य रिसर्च के अनुसार ग्राउंडिंग लिविंग मैट्रिक्स को प्रभावित करती है, जो लिविंग सेल्स सेंट्रल कनेक्टर का काम करते हैं। के बीच केंद्रीय कनेक्टर है।

मैट्रिक्स में इलेक्ट्रिकल कंडक्टीविटी मौजूद होती है जो एंटीऑक्सीडेंट की ही तरह प्रतिरक्षा प्रणाली की रक्षा के रूप में कार्य करती है। ग्राउंडिंग के माध्यम से शरीर की प्राकृतिक सुरक्षा को बहाल किया जा सकता है।

Grounding ke fayde
ग्राउंडिंग लिविंग मैट्रिक्स को प्रभावित करती है, जो लिविंग सेल्स सेंट्रल कनेक्टर का काम करते हैं।

ग्राउंडिंग से वेटलॉस में कैसे मिलती है मदद (Grounding for weight loss)

1. सूजन में कमी

ग्राउंडिंग की मदद से शरीर में सूजन कम होने लगती है। इससे शरीर में वजन बढ़ने और इंसुलिन रज़िस्टेंस को नियंत्रित किया जा सकता है। सूजनरोघी गुणों के चलते शरीर का वज़न संतुलित बना रहता है और लाइफ क्वालिटी में भी सुधार आने लगता है।

2. हार्मोनल संतुलन बनाए रखना

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार जमीन पर सोने से कॉर्टिसोल जैसे स्ट्रेस हार्मोन को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। इससे मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है और शरीर में जमा कैलेरीज़ को एनर्जी के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

3. नींद की गुणवत्ता को बढ़ाए

जमीन पर बैठने, लेटने या नंगे पाव चलने से शरीर में ऊर्जा के स्तर को बढ़ाने में मदद मिलती है। साथ ही इलेक्ट्रिक एनर्जी को रिअलाइन भी किया जाता है। इस थेराप्यूटिक तकनीक से अनिद्रा की समस्या हल हो जाती है और नींद की गुणवत्ता में सुधार आने लगता है।

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4. तनाव का कम होना

शरीर में तनाव का स्तर बढ़ने से ओरइटिंग का सामना करना पड़ता है, जिससे वेटगेन का सामना करना पड़ता है। ऐसे में उदासी को दूर करने में मदद मिलती है, जिससे वेटलॉस में मदद मिलती है। हार्वर्ड हेल्थ की रिपोर्ट के अनुसार नियमित रूप से ग्राउंडिंग करने से मेंटल हेल्थ बूस्ट होती है और शरीर एक्टिव रहता है।

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नींद न पूरा होना हो सकता है आपके स्ट्रेस का कारण। चित्र- अडोबीस्टाॅक

जानें कैसे करें ग्राउंडिंग

ग्राउंडिंग दो प्रकार की होती है इनडोर और आउटडोर। इनडोर ग्राउडिंग को लेटकर और बैठकर किया जा सकता है। वहीं आउटडोर ग्राउंडिंग नंगे पांव चलकर की जाती है।

1. नंगे पाव चलना

घास पर 15 से 20 मिनट तक नंगे पाव चलने से शरीर को एनर्जी की प्राप्ति होती है। इससे शरीर में गुड हार्मोन रिलीज़ होते हैं, जिससे एनर्जी का उचित स्तर बना रहता है। साथ ही पैदल चलने से वेटलॉस में भी मदद मिलती है।

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2. बैठकर व्यायाम करें

जमीन पर बैठकर योगाभ्यास, मेडिटेशन और स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज़ करें। इससे तन और मन एक्टिव रहता है। साथ ही शरीर में बढ़ने वाले तनाव और एंग्ज़ाइटी से बचा जा सकता है, जो वेटगेन का कारणसाबित होता है।

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अनियमित वर्कआउट के चलते शरीर में एनर्जी का स्तर कम होने लगता है। चित्र : शटरस्टॉक

3. ज़मीन पर लेटना

लेटने से शरीर धरती के डायरेक्ट कॉटेक्ट में आता है। इससे शरीर में होने वाली थकान को दूर किया जाता है। साथ ही मानसिक तनाव को भी दूर किया जा सकता है। इसके लिए बाज़ार में उपलब्ध ग्राउंडिंग मैट्स की भी मदद ली जा सकती है।

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लेखक के बारे में
ज्योति सोही
ज्योति सोही

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं।

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