शरीर में असंतुलित रूप से बढ़ता फैट यानी कि हाई बॉडी फैट न केवल मोटापे का कारण बनता है, बल्कि कई अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के खतरे को भी बढ़ा देता है। एक स्वस्थ एवं संतुलित जीवन जीने के लिए अपने बॉडी फैट (High body fat) की मात्रा को सामान्य रखना बहुत जरूरी है। यदि देखा जाए तो बॉडी फैट को नियंत्रित रखना बहुत मुश्किल नहीं है, तो आखिर क्यों आप अपनी सेहत के साथ खिलवाड़ कर रही हैं! डॉ संजय परमार, सीनियर कंसल्टेंट, कार्डियोलॉजी श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टिट्यूट दिल्ली ने शरीर में हाई बॉडी फैट (High body fat) के साइड इफेक्ट्स पर बात करते हुए इन्हें कंट्रोल करने के कुछ टिप्स भी दिए हैं, तो चलिए जानते हैं इस बारे में अधिक विस्तार से।
नेशनल हार्ट, लंग और ब्लड इंस्टिट्यूट के अनुसार 30 या उससे ज़्यादा का बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) मोटापे से ग्रस्त माना जाता है। 25.0-29.9 का बीएमआई ज़्यादा वज़न या मोटापे से ग्रस्त माना जाता है, और 18.5-24.9 का बीएमआई सामान्य माना जाता है।
पुरुषों के लिए 25% या उससे ज़्यादा या महिलाओं के लिए 32% से 35% या उससे ज़्यादा का बॉडी फैट परसेंटेज अनहेल्दी मन जाता है। आंत की चर्बी या पेट की चर्बी का उच्च स्तर हृदय रोग, स्ट्रोक, डायबिटीज, धमनी रोग और कुछ कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है।
डॉ. संजय परमार कहते हैं “शरीर में ज्यादा फैट होना सेहत के लिए कई गंभीर समस्याएं खड़ी कर सकता है। जब शरीर में फैट का प्रतिशत ज्यादा होता है, तो इसका असर हमारे दिल की सेहत पर पड़ सकता है। ज्यादा बॉडी फैट, खासकर पेट के आसपास की चर्बी, हृदय संबंधी समस्याओं के खतरे को बढ़ा देती है।”
“जब शरीर में अतिरिक्त फैट होता है, तो यह ब्लड वेसल्स पर दबाव पड़ता है, जिसके कारण ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है। इसके अलावा, शरीर में फैट का अधिक प्रतिशत कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी बढ़ा देता है, जिससे धमनियों में रुकावट आने का खतरा होता है।”
“अतिरिक्त फैट इंसुलिन रेजिस्टेंस का कारण बन सकता है, जिससे टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है, जो दिल की बीमारियों का एक बड़ा कारण है। इसलिए, यह समझना जरूरी है कि ज्यादा फैट का मतलब सिर्फ मोटापा नहीं है, बल्कि यह आपके समग्र शरीर के लिए खतरा बन सकता है। ऐसे में अपने बॉडी फैट को संतुलित रखना बहुत जरूरी है।”
अधिक वजन और मोटापा आपके उच्च रक्तचाप के जोखिम को बढ़ा सकता है। हाइपरटेंशन एक ऐसी स्थिति है जिसमें ब्लड वेसल्स में ब्लड सर्कुलेशन बेहद तेज होता है। आपके हृदय को आपकी सभी कोशिकाओं को रक्त की आपूर्ति करने के लिए अधिक पंप करने की आवश्यकता होती है, ऐसे में ब्लड प्रेशर अधिक होने से हृदय को नुकसान हो सकता है। अतिरिक्त वसा आपके किडनी को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जो रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
स्वस्थ बॉडी मास इंडेक्स रेंज तक पहुंचने के लिए वजन कम करने पर ध्यान दें, इस प्रकार आप अपने ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रित रख सकती हैं।
हृदय रोग एक शब्द है जिसका उपयोग आपके हृदय को प्रभावित करने वाली कई स्वास्थ्य समस्याओं का वर्णन करने के लिए किया जाता है, जैसे कि हार्ट अटैक, एनजाइना, या असामान्य हार्ट रिदम। अधिक वजन या मोटापे से हृदय रोग, हाई ब्लड कोलेस्ट्रॉल और हाई ब्लज ग्लूकोज जैसी स्थितियों का जोखिम बढ़ जाता है। इसके अलावा, अधिक वज़न के कारण आपके हृदय को आपके शरीर की सभी कोशिकाओं तक रक्त पहुंचाने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ सकती है। एक्स्ट्रा फैट को कम करने से आपको हृदय रोग के इन जोखिम कारकों को कम करने में मदद मिलेगी।
स्ट्रोक तब होता है जब आपके मस्तिष्क या गर्दन के ब्लड वेसल्स अवरुद्ध हो जाती है, या फट जाती है, जिससे आपके मस्तिष्क के किसी हिस्से में रक्त का प्रवाह बंद हो जाता है। स्ट्रोक मस्तिष्क के टिश्यू को नुकसान पहुंचा सकता है और आपको बोलने या अपने शरीर के किसी हिस्से को हिलाने में असमर्थ बना सकता है।
वजन बढ़ने से होने वाली समस्याओं से सतर्क रहने के लिए
बीएमआई चेक करेंअधिक वज़न और मोटापे की वजह से ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है, और उच्च रक्तचाप स्ट्रोक का प्रमुख कारण है। वज़न कम करने से आपको अपना रक्तचाप और स्ट्रोक के अन्य जोखिम कारकों को कम करने में मदद मिल सकती है, जिसमें उच्च रक्त शर्करा और उच्च रक्त कोलेस्ट्रॉल शामिल हैं।
मेटाबॉलिक सिंड्रोम कई स्थितियों का एक समूह है, जो हृदय संबंधी समस्या, डायबिटीज और स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा देता है। यदि आपको नीचे दी गई ये चारों परेशानी है, तो आप मेटाबॉलिक डिसऑर्डर की शिकार हैं:
कमर का बढ़ता फैट
ब्लड में ट्राइग्लिसराइड्स का उच्च स्तर
हाई ब्लड प्रेशर
फास्टिंग में ब्लड शुगर का बढ़ा हुआ स्तर
ब्लड में गुड कोलेस्ट्रॉल की कमी
मेटाबोलिक सिंड्रोम वेइट हैं यानि कि हाई बॉडी फैट, और शारीरिक गतिविधि की कमी से जुड़ा हुआ है। जीवन शैली में कुछ स्वस्थ बदलाव आपके वजन को नियंत्रित करने में आपकी मदद कर सकते हैं, वे मेटाबोलिक सिंड्रोम को रोकने और कम करने में आपकी मदद करते हैं।
फैटी लिवर रोग तब विकसित होते हैं, जब आपके लिवर में अतिरिक्त फैट जमा हो जाती है। इस स्थिति में सिरोसिस या लिवर फेलियर भी हो सकता है। NAFLD और NASH सबसे ज्यादा उन लोगों को प्रभावित करते हैं, जिनका वजन अधिक होता है। या जिनकी बॉडी में एक्स्ट्रा फैट होता है।
जिन लोगों में इंसुलिन रेजिस्टेंस, खून में फैट का स्तर, मेटाबोलिक सिंड्रोम, टाइप 2 डायबिटीज और कुछ जीन होते हैं, उनमें भी NAFLD और NASH विकसित हो सकता है।
यदि आपका बॉडी फैट बहुत ज्यादा बढ़ा हुआ है, तो स्वास्थ्य जोखिमों से बचने के लिए इन्हें नियंत्रित करने पर ध्यान दें। सबसे महत्वपूर्ण है, सही खान पान पर ध्यान देना। कम कैलोरी वाले पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थ का सेवन करें। ऐसा नहीं है कि आपको खाना खाना छोड़ देना है, परंतु एक बार में कम खाएं। भले ही आप हर 2 घंटे पर हल्का भोजन करें।
उसके अलावा स्वस्थ एवं संतुलित शरीर के निर्माण के लिए एक्सरसाइज बहुत जरूरी है। नियमित रूप से योग का अभ्यास करें, साथ ही सामान्य शारीरिक गतिविधियां जैसे वॉकिंग, जॉगिंग, स्विमिंग, डांसिंग जैसी गतिविधियों में भाग लें। इनसे शरीर को काफी फायदे मिलते हैं। अपने शरीर के आकार के अनुरूप अन्य वेट मैनेजमेंट टेक्निक्स में भाग ले सकती हैं।
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