अल्जाइमर के रिस्क को कम करने में कारगर हैं ये योगासन, जानें इन्हें करने की विधि

अगर आप अक्सर छोटे फैसले लेने में भी असमर्थ महसूस करने लगती है और मन हर समय परेशान रहता है। ऐसे में तन और मन की शांति के लिए योगाभ्यास एक आसान उपाय है। आइए जानते हैं, कैसे योग की मदद से अल्ज़ाइमर के रिस्क को कम किया जा सकता है।
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योग से मेंटल हेल्थ और फिजिकल हेल्थ दोनों इंप्रूव होता है। चित्र: शटरस्टॉक
ज्योति सोही Updated: 24 Jan 2023, 10:28 am IST
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बात करते करते भूल जाना, बार बार एक ही बात को दोहराना, जल्दी तनाव में आना और रात को अच्छे से सो न पाना। क्या आप भी इस तरह की परेशानी से दो चार हो रहे है। अगर हां, तो जान लीजिए कि आप धीरे धीरे अल्ज़ामर(Alzheimer) का शिकार हो रही है। अक्सर ऑफिस गोइंग वुमेन सुबह से लेकर शाम तक किसी न किसी काम में मसरूफ रहती है। इससे उनकी हेल्थ, फिज़ीक और माइंड(health, physique and mind) सभी डिस्टर्ब हो जाते है।

अक्सर छोटे फैसले लेने में भी असमर्थ महसूस करने लगती है। इससे निकलने के लिए योगाभ्यास एक आसान उपाय है। आइए जानते हैं। कैसे योग की मदद से अल्ज़ाइमर के रिस्क को कम किया जा सकता है (yoga poses reduce the risk of Alzheimer)

इस बारे में आचार्य प्रतिष्ठा, योग गुरु, पूर्व राजनयिक, निदेशक मोक्षायतन योग संस्थान हमें बता रही है कि जीवन मे आहार, व्यवहार और योगाभ्यास का बहुत अधिक महत्व है। बॉडी, ब्रीथ और ब्रेन में सही तालमेल के लिए सूर्य नमस्कार एक सटीक उपाय है। इसके अलावा ओम का उच्चारण आपकी इंद्रियों को वश में करता है और मानसिक तनाव से आपको मुक्ति दिलाता है।

रिसर्च क्या कहता है

यूसीएलए मैरी एस ईस्टन सेंटर फॉर अल्जाइमर रोग अनुसंधान और बक इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च ऑन एजिंग के डॉ डेल ब्रेडसेन ने एक अध्ययन किया। इस अध्ययन में दस प्रतिभागियों में से नौ ने थैरेपिस्ट प्रोग्राम में हिस्सा लिया। नौ लोगों में तीसरे महीने के अंदर मैमोरी में खास बदलाव देखने को मिला। इनमें सब्जेक्टिव और ओबजेक्टिव दोनों तरह से सुधार देखने को मिला। इन लोगों ने थैरेपी के साथ आहार में बदलाव किया और नियमित व्यायाम को भी दिनचर्या का हिस्सा बनाया।

सूर्य नमस्कार

सूर्य नमन की प्रथा सदियों से चली आ रही है। जो निरोगी काया का एक सटीक उपाय है। इसके लिए बारह प्रकार के योग आसनों को जोड़कर एक लूप बनाई जाती है। इसमें अष्टांगासन, प्रणाम

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सूर्य नमस्कार से पूरे शरीर को फायदा मिलता है। चित्र:शटरस्टॉक

और भुजंगासन समेत 12 तरह की योग प्रक्रियाओं को संयुक्त रूप से जोड़ा जाता है।

सूर्य नमस्कार कैसे करें

बारह चरणों में पूरा होने वाले इस योग के लिए सबसे पहले बिना सहारे के एकदम सीधी पोज़िशन में खड़े हो जाएं।

फिर दोनों हाथों को जोडेंं और सूर्य को प्रणाम कर मंत्र उच्चारण करें

इसके बाद दोनों हाथों को पीछे की ओर ले जाए और पैरों को धीरे धीरे खोलें।

ध्यान रखें कि इस दौरान दोनों बाजूओं को कानों से ढ़क दें। धीरे धीरे आगे की ओर आएं और घुटनों को सीधा कर दें।

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फिर आगे की ओर झुके और ज़मीन को छुएं। उसके बाद एक पांव पीछे ले जाएं और दूसरे पैर के सहारे आगे की ओ झुकें।

पैरों की एड़ियों को पीछे की ओर ले जाएं और पुशअप की मुद्रा में आ जाएं। उसके बाद छाती से धीरे धीरे जमीन को छुएं।

आधा उठे और हाथों को ज़मीन पर लगाएं और टांगे सीधी कर लें। इसके बाद एग लेग पीछे और दूसरी आगे करे और धड़ को उस पर टिका लें।

उसके बाद दोनों हाथों से ज़मीन को छुएं। अब सीधे खड़े होकर दोनों हाथों को पीछे की ओर खींचें।

सूर्य नमस्कार आपको मानसिक और शारीरिक शांति प्रदान करता है। इस प्रकार से सभी 12 आसनों को मिलाकर सूर्य नमस्कार को पूर्ण करें।

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योग से तन और मन दोनों स्वस्थ रहते हैं। चित्र शटरस्टॉक

नाड़ी शोधन और भ्रामरी प्राणायाम 

नाड़ी शोधन प्राणायाम का एक प्रकार है। जो शरीर को शांति और प्रसन्नता प्रदान करता है। इससे कमज़ोर याददाश्त बढ़ने लगती है।

इसे करने से एकाग्र चित्त होकर स्थिर बैठें। सिर और रीढ़ की हड्डी को बिल्कुल सीधा कर लें।

अब दोनों आँखें बंद करके सांस लेने पर ध्यान केंद्रित करें।

अपना ध्यान नाक की सीद पर अटकाए रखें।

राइट हैंड को राइट नी पर रखें। वहीं बाएं हाथ को बाएं घुटने पर रखें।

अंगूठे की मददसे दाहिनी ओर से नाक को बंद करें। वहीं बाई ओर से सांस लें।

उसके बाद बाई तरफ से बाकी उंगलियों की मदद से नाक को बंद करके दाईं ओर से सांस ले।

इस प्रक्रिया को अपी सहूलियम के हिसाब से 8 से 10 बार ज़रूर करें।

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नियमित रूप से 10 मिनट कपालभाति करने से बेली फैट खत्म हो जाता है। चित्र: शटरस्टॉक

कपालभाती प्राणायाम

इसे नियमित तौर पर करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है। इसके अलावा शरीर के रेसिपरेटरी सिस्टम को मज़बूती मिलती है, वज़न कम होता है।

सुबह जल्दी उठकर सुखासन की मुद्रा में बैठें और अपने शारीरिक अंगों पर ध्यान केंद्रित करें।

सबसे पहले रीढ़ की हड्डी को सीधा करके बैठ जाएं। उसके बाद दोनों हाथों को उपर की ओर खोलें। अब डीप ब्रिदिंग करें।

ब्रीद इन के वक्त पेट को अंदर की ओर खींचें। इस आसान में सास फेफड़ों में बहती हुई बाहर आती है। कपाल भाती को 15 से 20 बार करें।

इन बातों का रखें ख्याल

गेजेट्स के प्रयोग से बचें

दिनभर घंटों मोबाइल के साथ बिताने के कारण हमें कई बार एंगज़ाइटी और मानसिक तनाव समेत कई समस्याओं से होकर गुज़रना पड़ता है। जो अल्ज़ाइमर का कारण सिद्ध हो सकता है। ऐसे में गेजेट्स के अत्यधिक इस्तेमाल से बचें। दिनचर्या में कुछ घंटे गेजेट फ्री रखें और वो समय अपने लिए निकालें।

खान पान का रखें ख्याल

कभी ब्रेकफास्ट मिस कर देते हैं, तो कभी लंच। इससे शरीर को पोषक तत्वों की प्राप्ति नहीं हो पाती है। शरीर दिनभर थकान महसूस करता है। थकान के कारण हम कोई भी चीज़ याद रखने में असर्थ महसूस करते हैं। आचार्य प्रतिष्ठा कहती हैं कि पैक्ड फूड की जगह नेचुरल फूड का सेवन करना चाहिए। जो शरीर को स्वस्थ रखता है और हमें ज़रूरी पोषक तत्व अपने आप मिल जाते हैं।

प्रकृति के सान्निध्य में कुछ वक्त ज़रूर बिताए

आचार्य प्रतिष्ठा कहती हैं कि भाग दौड़ भरी जिंदगी में एक कुर्सी पर बैठे बैठे पूरा दिन बिताने की आदत को छोड़ दें। ऐसे में कुछ वक्त खुली हवा में निकलें और सर्दियों के मौसम में सुनहरी धूप में भी कुछ देर बैठे। जो विटामिन डी का एक रिच सोर्स है। खुली हवा आपको कई बीमारियों से मुक्त रखने का काम करती है। पार्क में कुछ देर वॉक के लिए निकलें और प्रकृति को महसूस करें। नंग पावं हरी घास के उपर कुछ देर टहलें। इससे आपको मानसिक शांति का अनुभव होता है।

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लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं। ...और पढ़ें

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