आजकल की व्यस्त दिनचर्या में हम सभी कहीं न कहीं खुदके साथ साथ अपने बच्चों की भी सेहत को नजरअंदाज कर रहे हैं। पेरेंट्स की व्यस्तता बच्चों के बढ़ते स्क्रीन टाइम का एक सबसे बड़ा कारण है। जिसकी वजह से बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के साथ ही उनके शारीरिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर पड़ता है।
पेरेंट्स को बच्चों की सेहत को बनाए रखने के लिए उन्हें कुछ जरूरी योगाभ्यास में भाग लेने के लिए प्रेरित करना चाहिए। वहीं इससे पहले उन्हें खुद अपनी रूटीन में योग को शामिल करने की आवश्यकता है तभी बच्चे उन्हें देखकर योग करना चाहेंगे।
हमने बच्चों के मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक स्वास्थ्य पर योग के महत्व को लेकर MyGALF प्रीवेंटिव हेल्थ कंसल्टेंट और योगा स्पेशलिस्ट डॉक्टर भावना डॉयर से बातचीत की, उन्होंने बच्चों के लिए योगाभ्यास के महत्व बताते हुए कुछ जरूरी आसनों के नाम भी सुझाये हैं। तो चलिए जानते हैं उनसे इन योगाभ्यास को करने का सही तरीका (Yoga poses for kids overall health)।
एक्सपर्ट के अनुसार “बच्चों को योग से परिचित कराना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उनके शारीरिक और मानसिक कल्याण के लिए कई लाभ प्रदान करता है। सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण, योग बच्चों को लंबे समय तक बैठने और स्क्रीन समय के प्रभावों का प्रतिकार करते हुए, अपने शरीर को एक्टिव रखने और लचीला बनाने का एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करता है। यह लचीलेपन, शक्ति और संतुलन को बढ़ावा देता है, वहीं योग मुद्रा समग्र शरीर को जागरूक होने में मदद करती है।”
प्राणायाम मन में एकाग्रता और शांति लाने के लिए एक शक्तिशाली श्वास साधन भी है। इसके अतिरिक्त, यह तनाव और चिंता को प्रबंधित करने के लिए एक प्रभावी उपकरण के रूप में कार्य करता है। योग में शामिल सांस लेने के व्यायाम और माइंडफुलनेस तकनीकों के माध्यम से, बच्चे अपने दिमाग को शांत करना, फोकस में सुधार करना और अपनी भावनाओं को नियंत्रित करना सीख सकते सकते हैं। यह उनके मानसिक कल्याण पर सकारात्मक प्रभाव डालता है, जिससे उन्हें शैक्षणिक दबावों और रोजमर्रा की चुनौतियों का सामना करने में मदद मिलती है।
अध्ययनों से पता चला है कि बच्चों में नियमित योग अभ्यास से नींद के पैटर्न में सुधार, प्रतिरक्षा प्रणाली में वृद्धि और समग्र आत्म-सम्मान में सुधार हो सकता है। यह स्वस्थ पाचन क्रिया के निर्माण में मदद करता है, पुरानी बीमारियों के जोखिम को कम करता है और याददाश्त और एकाग्रता जैसी संज्ञानात्मक क्षमताओं को बढ़ा सकता है।
एक्सपर्ट कहती हैं की “इस अनुभव को और भी फायदेमंद बनाने के लिए, मैं माता-पिता को प्रोत्साहित करती हूं कि वे अपने बच्चों के साथ योग अभ्यास में शामिल हों। यह न केवल माता-पिता-बच्चे के बंधन को मजबूत करता है, बल्कि यह एक सकारात्मक उदाहरण भी स्थापित करता है और पूरे परिवार के लिए एक स्वस्थ जीवन शैली को प्रोत्साहित कर सकता है। एक साथ योग का अभ्यास करके, माता-पिता भी अपने बच्चों को नियमित दिनचर्या बनाए रखने और योग को अपने जीवन का नियमित हिस्सा बनाने में सहायता कर सकते हैं।”
भावना डॉयर कहती हैं जब विशिष्ट योग आसनों या बच्चों के लिए पोज़ की बात आती है, तो मैं सरल आसनों से शुरुआत करने की सलाह देती हूं, जो आनंददायक और सुरक्षित दोनों हैं।
द ट्री पोज (वृक्षासन) एक अद्भुत विकल्प है, क्योंकि यह संतुलन और फोकस को बेहतर बनाने में मदद करता है।
सबसे पहले सीधा खड़ा होना है और अपने एक पैर की एड़ी को दूसरे पैर पर रखना है।
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बीएमआई चेक करेंअब अपनी दोनों हथेलियों को आपस में जोड़ लें और अपने हाथों को ऊपर की ओर उठायें।
हाथ को पूरी तरह से स्ट्रेच करें और बैलेंस बनाने की कोशिश करें।
अब पैर को बदल लें और ठीक इसी प्रकार हाथ को ऊपर कर संतुलन बनाने की कोशिश करें।
इसे 4 से 6 बार दोहराने कहें।
कैट-काउ पोज़ (मार्जरीआसन-बिटिलासन) है, जो रीढ़ की हड्डियों को फैलाता है और एक स्वस्थ बॉडी पोस्चर को बढ़ावा देता है।
हथेलियों को सतह पर रखें और घुटनों के बल आ जाएं ठीक जानवरों की तरह।
अब बिल्ली की तरह रीढ़ को कर्व देते हुए ऊपर के और मोड़ें और अपने सिर को अंदर की और मोड़ कर आंखों से पेट पर देखने का प्रयास करें।
अब आपके ठीक इसका उल्टा करना है, मतलब की गाय की तरह पीठ और रीढ़ को निचे की और करना है और अपने सिर और गर्दन को ऊपर कर सीधा सामने देखना है।
इस मुद्रा को 4 से 5 बार दोहराएं।
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बटरफ्लाई पोज मन को शांत रहने और थकान दूर करने में मदद करता है। यह बच्चों में फोकस को भी बढ़ाता है जिससे की बच्चे आसानी से ध्यान केंद्रित रख पाते हैं।
बैठना है और पैर के तलवों को आपस में मिला लेना है। इस दौरान रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें और एब्स को कस कर रखें।
प्रत्येक पैर को हाथ से पकड़ें लें। अब दोनों पैरों को तितली के पंख की तरह ऊपर नीचें हिलाएं।
इसे लगातार 30 सेकंड तक करना है, यदि बच्चा जल्दी थक जाता है तो धीरे धीरे कर के उनके समय को बढ़ाएं।
प्रत्येक बच्चे को सिखाया जाना चाहिए कि सूर्यनमस्कार कैसे करें और नियमित रूप से इसका अभ्यास करें। यह मुद्रा सरल होने के साथ ही बेहद फायदेमंद होती है, क्योंकि इसमें शरीर की लगभग सभी मांसपेशियां और जोड़ शामिल हैं।
यह योग शरीर में संरेखण और संतुलन लाने के साथ-साथ बच्चे के विकास में भी मदद करता है।
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