योगाभ्यास हमारे शरीर के लिए कितना महत्वपूर्ण है इसकी जानकारी तो आप सभी को होगी। इम्यूनिटी बूस्ट करने के साथ आपके ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर लेवल को भी नियंत्रित रखने में मदद करता है। इसके साथ ही यह स्ट्रेस रिलीज करता है और आपके मानसिक स्वास्थ्य को भी बनाए रखता है। योगाभ्यास समग्र शरीर और मस्तिष्क की सेहत के लिए काफी लाभदायक होता है। परंतु सालों से योग को लेकर बनी आ रही कुछ ऐसी अवधारणा है जिसके कारण कई ऐसे व्यक्ति हैं, जो योगाभ्यास में भाग लेने से कतराते हैं और इसके महत्वपूर्ण फायदों से वंचित रह जाते हैं। ऐसे में आज हम लेकर आए हैं, योग से जुड़े ऐसे ही 5 मिथ (Yoga myths) जिसे जानना आपके लिए जरूरी है।
सेलिब्रिटी योगा और वैलनेस एक्सपर्ट अंशूका ने अपने इंस्टाग्राम के जरिए योग से जुड़े कुछ मिथ के बारे में बताया है जिसकी जानकारी सभी को होनी चाहिए। तो चलिए जानते हैं इन मिथ से जुड़ी सच्चाई।
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ऐसा बिल्कुल भी जरूरी नहीं है कि योग करने के लिए आपके शरीर को फ्लैक्सिबल होना चाहिए। हर व्यक्ति के शरीर की फ्लैक्सिबिलिटी की अपनी एक क्षमता होती है। और योगाभ्यास समय के साथ इसे बढ़ाता है। योग स्ट्रैंथ, बैलेंस, फ्लैक्सिबिलिटी और कंसंट्रेशन का मेल है। तो इस भ्रम में बिल्कुल भी न रहें कि योग करने के लिए शरीर का फ्लैक्सिबल होना जरूरी है।
यह एक मिथ से ज्यादा और कुछ भी नहीं है। जरूरी नहीं कि केवल पतले और कम वजन के व्यक्ति ही योग का अभ्यास कर सकते हैं। योग कहीं से भी आपके शरीर के आकार और वजन पर निर्भर नहीं करता।
कुछ ऐसे हो योगासन हैं जिन्हें बॉडी वेट के साथ करना मुश्किल हो सकता है। परंतु विभिन्न प्रकार के योगासन ऐसे भी हैं, जिनका अभ्यास मोटापे से ग्रसित व्यक्ति भी कर सकते हैं। वहीं नियमित रूप से योग करने से धीरे-धीरे शरीर लचीली होती जाती है तो फिर आप अन्य योगासनों का अभ्यास करने की कोशिश कर सकती हैं।
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यह एक बहुत बड़ा मिथ है अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति योग का अभ्यास नहीं कर सकते हैं। यदि कोई व्यक्ति अस्थमा से पीड़ित है, उन्हें योगाभ्यास जरूर करना चाहिए। प्राणायाम, मेडिटेशन, ब्रीदिंग एक्सरसाइज, इत्यादि शरीर में ऑक्सीजन लेवल को बढ़ा देते हैं। जिससे उनकी स्थिति में सुधार देखने को मिलता है। नियमित योगाभ्यास एक अस्थमा के पेशेंट की दवाइयो के डोज को कम कर सकता है। इसलिए ऐसी अवधारणाओं में पड़ने से बचें।
ये अवधारणा सालों से चली आ रही है कि केवल यंग व्यक्ति ही योग का अभ्यास कर सकता है। परंतु यह एक बहुत बड़ा मिथ है। योगाभ्यास का आपके जेंडर उम्र और शरीर की बनावट से कोई लेना-देना नहीं है। योग केवल ध्यान और एकाग्रता मांगता है।
यदि कोई अधिक उम्र के व्यक्ति पूरे ध्यान और एकाग्रता के साथ योग कर रहे हैं, तो उन्हें इसके फायदे जरूर मिलेंगे। हालांकि, एक उम्र के बाद कुछ योगासनों को करना मुश्किल हो सकता है, परंतु ऐसे कई योगासन हैं जिनका अभ्यास बढ़ती उम्र में भी किया जा सकता है।
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बीएमआई चेक करेंयह अवधारणा लोगों के मन में सालों से बनी हुई है कि योगाभ्यास केवल महिलाएं कर सकती हैं। परंतु ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कोई भी व्यक्ति जो खुद को फिट रखना चाहता है वह योग का अभ्यास कर सकता है। योग किसी तरह से भी जेंडर पर निर्धारित नहीं है। वहीं कई पुरुष योग गुरु रह चुके हैं। इन भ्रमों के चक्कर में भूलकर भी योग के लाभों से वंचित न रहें।
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