उम्र बढ़ने के साथ-साथ महिलाओं के शरीर के कुछ हिस्सों चर्बी ज्यादा तेजी से जमने लगती है। हालांकि शरीर के अलग-अलग हिस्सों में महिलाओं और पुरुषों को एक्स्ट्रा फैट डिपॉजिशन की समस्या का सामना करना पड़ता है। मगर महिलाओं और पुरूषों में फैट बढ़ने को लेकर कुछ दिलचस्प अंतर देखे गए हैं। जहां महिलाओं में हार्मोंस में बदलाव के चलते थाइज़ और हिप एरिया पर मोटापा नज़र आने लगता है। वहीं पुरुषों में बैलीफैट बढ़ने लगता है। पर क्या आप जानती हैं कि जांघों या हिप पर इकट्ठा होने वाला यह फैट हमेशा बुरा नहीं हाेता! आइए जानते हैं महिलाओं की जांघों (interesting facts about Female thighs) के बारे में कुछ मजेदार तथ्य।
इस बारे में बातचीत करते हुए गुरुग्राम के आर्टिमिस हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन डॉण् पी वेंकट कृष्णन का कहना है कि थाइज़ का रोल हमारे बॉडी वेट को उठाना है। हमारी थाइज़ जितनी मज़बूत होंगी उतना ही हमारे घुटनों को उसका सपोर्ट प्राप्त होगा। वहीं ओवर साइज़ थाइज होने से कई बार बॉडी में फैट डिपॉजिट बढ़ने लगता है। इससे हमारे ज्वाइंटस पर वेट पड़ता है। दरअसल, थाइज़ के साथ साथ काफ मसल्स अगर हेल्दी होते हैं, तो इससे वेन्स की पंपिग बढ़ती है और इससे ब्लड फ्लो नियमित हो जाता है।
सांइटिफिक अमेरिकन के मुताबिक मेल्स की तुलना में फीमेल्स की बॉडी में फैट्स की पर्सेनटेज़ ज्यादा पाई जाती है। 25 साल की उम्र तक, हेल्दी वेट वाली महिलाओं के शरीर में पुरूषों की तुलना में तकरीबन दोगुना फैट पाया जाता है। जन्म से लेकर छह साल तक की उम्र में लड़के और लड़कियों में दोनों में वसा कोशिकाओं की संख्या और आकार तीन गुना हो जाता है। इसके चलते बॉडी में फैट्स समान मात्रा में बढ़ने लगते हैं।
हेल्थ हार्वर्ड की एक रिसर्च में 35 से 65 साल की उम्र के 2,816 पुरुषों और महिलाओं को जांचा गया। जो 80 के दशक के अंत तक हृदय रोग, स्ट्रोक और कैंसर से मुक्त थे। इसके हिसाब से वे लोग जिनकी थाइज़ हैवी होती हैं, उनमें हार्ट डिज़ीज़ और प्रीमेच्योर डेथ का खतरा बेहद कम पाया जाता है।
थाई सरकम्फरास (Thigh Circumference) अगर 62 सेंटीमीटर है, तो ये सबसे प्रोटेक्टिव समझा जाता है। साल 2009 में एक और अध्ययन किया गया। इसमें वैज्ञानिकों ने 60 और 79 वर्ष की आयु के बीच के 4,170 पुरुषों की जांच की। वे वजन कम होने के बावजूद हृदय रोगों से परेशान थे।
बॉडी में थाई मसल्स सबसे बड़ी होती हैं। इनकी मदद से हमारा बॉडी वेट मेंटेंन रहता है। आपकी थाइज़ आपके ग्लूट्स से आपके घुटनों तक फैले होते है। हेल्थ हार्वर्ड के मुताबिक आपकी थाइज़ में वजन बढ़ने के पीछे मुख्य कारण एस्ट्रोजन है।
दरअसल, ये एक प्रकार का हार्मोंन है। ये हार्मोन महिलाओं में फैट सेल्स को बढ़ाने का काम करता है। इससे बटक्स और थाइज़ के आसपास फैट जमा होने लगता है। एक रिसर्च के मुताबिक युवावस्था की शुरुआत के दौरान फीमेल हार्मोन के स्तर में बढ़ोतरी होने लगती है। शरीर में फैटी सेल्स का आकार आठ साल की उम्र में शुरू होने वाले पुरुषों की तुलना में महिलाओं में तेज़ी से बढ़ने लगता है।
चलने या दौड़ने के दौरान आपको जांघों की मसल्स की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। इसके अलावा जब आप जोर से कूदती हैं या तैरती हैं, तब भी आपके शरीर को संभालने और गति देने का काम थाइज मसल्स ही करती हैं। भले ही सारा दिन बैठे रहने पर आपको ऐसा लगता हो कि थाइज निष्क्रिय रूप से पड़ी हुईं हैं, परंतु घुटनों को बैन्ड करने और आपके पॉश्चर को सही शेप देने में भी जांघों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
जेंडर, हेरिडिटी, उम्र और कई बार डाइट भी थाइज़ हैवी होने का कारण साबित होती है। इससे शरीर में फैट्स बर्न होने की बजाय अब जमा होने लगते हैं। इससे लोअर बॉडी मज़बूत हो जाती है।
यूनाइटेड किंगडम में ऑक्सफोर्ड युनिवर्सिटी और चर्चिल अस्पताल के रिसर्चर की ओर से रिपोर्ट पब्लिश की गई। इसके हिसाब से जो लोग आपना बॉडी वेट थाइज़ या हिप्स की ओर ले जाते हैं। वे मधुमेह, हृदय रोग और कई अन्य समस्याओं से अपने शरीर को बचाव कर लेते हैं।
वजन बढ़ने से होने वाली समस्याओं से सतर्क रहने के लिए
बीएमआई चेक करेंप्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं का वज़न हर महीने बढ़ने लगता है। ऐसे में हैवी थाइज़ बॉडी वेट को उठाने में आपकी मदद करती हैं। इससे आप आसानी से बेबीबंप को कैरी कर पाते हैं।
हैवी थाइज़ डिलीवरी के दौरान आपको एक्स्ट्रा सपोर्ट देती हैं, जिससे नॉर्मल डिलीवरी में मदद मिलती है। वहीं पोस्ट प्रेगनेंसी में जब आपका शरीर कमजोर होने लगता है, तो ये आपकी लोअर बॉडी को सपोर्ट देती हैं। आपकी बॉडी को लिफ्ट करने में भी हैवी थाइज़ मददगार होती हैं।
हिप्स, थाइज़ और बट्क्स पर ऑरेज़ पील लुक दिखता है, जो सेल्युलाईट को दर्शाता है। दरअसल, सेल्युलाईट शरीर की बॉडी वेट प्राप्त होने के रूप में प्रकट होता है। इसका अधिक हिस्सा मौजूदा सेल्स में समा जाता है। किशोरावस्था के बाद शरीर में नई कोशिकाएं सामान्य रूप से नहीं बनती हैं। सेल्स में मौजूद सेल्युलाईट के चलते शरीर में सूजन आने लगती हैं। धीरे-धीरे वो शरीर में विज़िबल होने लगती हैं। जब त्वचा पतली और उम्र के साथ ढलने लगती हैं, तब पफ्ड अप हो चुके फैट सेल्स ज्यादा दिखने लगते हैं।
मार्निंग वॉक, रनिंग या साइकलिंग जांघों के लिए हल्के और बेहतरीन व्यायाम हैं।
रोज़ाना कुछ देर तक स्क्वैट्स करने से जांघों की मसल्स की मूवमेंट होती है। जिससे लाॅन्ग सिटिंग के बाद भी ये स्टिफ नहीं होतीं।
स्टैप क्लाइंबिंग भी आपकी जांघों को मजबूत बनाती है।
हाई इंटेसिटी एक्सरसाइज़ आपकी जांघों में लचीलापन और मजबूती बनाए रखती हैं।
प्रोटीन रिच डाइट का सेवन करें। इससे आपकी बॉडी हेल्दी बनी रहती है।
शरीर में पानी की कमी न होने दें और हेल्दी वेट बनाए रखें।
व्यायाम से पहले वार्मअप सेशन लेने से आपकी जांघें व्यायाम के लिए तैयार हो जाती हैं।
शरीर में लचीलापन बनाए रखने के लिए रेगुलर एक्सरसाइज़ करें।
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