समग्र स्वास्थ्य को फिट रखने के लिए व्यायाम एक आसान विकल्प है। शरीर को एक्टिव रखने से लेकर वेटलॉस करने तक लोग कई प्रकार की एक्सरसाइज़ का अभ्यास करते हैं। इससे न केवल कैलोरीज़ बर्न होती हैं बल्कि ओवरऑल हेल्थ में भी सुधार नज़र आने लगता है। वे लोग जो जिम या आउटडोर एक्सरसाइज़ के लिए समय नहीं निकाल पाते हैं, उनके लिए स्टेप वर्कआउट बेहद कारगर एक्सरसाइज़ है। जानते हैं स्टेप वर्कआउट (Step Workout) किसे कहते हैं और इससे शरीर को कौन से फायदे मिलते हैं।
अमेरिकन एकेडमी ऑफ पोडियाट्रिक स्पोर्ट्स मेडिसिन के अनुसार स्टेपिंग हार्ट हेल्थ को बूस्ट करने के लिए एक बेहतरीन एरोबिक एक्सरसाइज़ है। इससे हृदय स्वास्थ्य के अलावा ब्रेन, शारीरिक संतुलन, एनर्जी के स्तर और कार्यात्मक क्षमताओं में सुधार आने लगता है। ये एक्सरसाइज़ सभी उम्र वर्गों और फिटनेस स्तर के लोगों के लिए फायदेमंद है।
इस बारे में फिटनेस एक्सपर्ट बताते हैं कि एरोबिक स्टेप एक्सरसाइज (benefits of step exercise) से कैलोरीज़ को आसानी से बर्न किया जा सकता है। कार्डियोवैस्कुलर वर्कआउट की इस फॉर्म को करने के लिए कदमों ऊंचाई पर लाकर नीचे लेकर जाया जाता है। इससे शरीर एक्टिव रहता है और लचीलापन बना रहता है। वे लोग जो मांसपेशियों के दर्द से परेशान है, ये उनके लिए भी कारगर है। इसे वेट के साथ और उसके बिना दोनों प्रकार से किया जा सकता है। इसके नियमित अभ्यास से शरीर को थकान महसूस नही होती है।
स्प्रिंगर लिंग की रिपोर्ट के अनुसार स्टेप वर्कआउट एक लो इंटेसिटी एक्सरसाइज़ (low intensity exercise) है। रिसर्च के अनुसार नियमित स्टेप ट्रेनिंग पोस्ट मेनोपॉज़ल महिलाओं (post-menopausal women) की हड्डियों के मेटाबॉलिज्म या नई हड्डियों के विकास में सुधार करने में मदद करती है। नियमित वर्कआउट रूटीन में स्टेप वर्कआउट को कुछ देर के लिए शामिल करने से हड्डियों के स्वास्थ्य को मज़बूती की प्राप्ति होती है।
नियमित तौर पर स्टेप वर्कआउट की मदद से उम्र के साथ बढ़ने वाली लो मेमोरी की समस्या से सुधार लाया जा सकता है। जर्नल ऑफ एजिंग एंड फिजिकल एक्टीविटी के अनुसार एक के बाद एक स्टेप लेने से फोकस करने की क्षमता में भी सुधार आने लगता है। शरीर में लचीलापन बढ़ता है और तनाव से भी मुक्ति मिल जाती है। इसके अलावा स्टेप वर्कआउट को म्यूजिक के साथ करने से तन और मन हेल्दी रहते हैं।
उम्र के साथ शरीर में मसल्स की वीकनेस बढ़ने से सीढ़ियां चढ़ने उतरने और बैठने व उठने में तकलीफ का सामना करना पड़ता है। जेसीएम की रिसर्च के अनुसार 50 वर्ष की आयु तक 12.15 फीसदी मांसपेशियों और शारीरिक ताकत में कमी आने लगती है। रिसर्च के मुताबिक स्टेप वर्कआउट करने से शरीर के निचले हिस्से की मांसपेशियों में 10 फीसदी तक सुधार आने लगता है। नियमित रूप से इसका अभ्यास शरीर की स्ट्रेंथ को बढ़ाता है।
लगातार बैठकर काम करने से शरीर के पोश्चर में बदलाव आने लगता है, जो स्पाइन में दर्द और बैक हंप समेत कई समस्याओं को बढ़ाती है। रोज़ाना स्टेपअप एक्सरसाइज़ से हैमस्ट्रिंग, ग्लूट्स और काफ मसल्स में बढ़ने वाली ऐंठन को कम किया जा सकता है।
इस एक्सरसाइज़ को करने से ग्लूट्स मसल्स को मज़बती मिलती है। इसे करने के लिए दाएं पैर को स्टेप पर टिकाएं और बाएं पैर को घुटने से मोड़ते हुए आगे बढ़ाएं। अब शरीर को नीचे की ओर झुकाएं और फिर से सीधा हो जाएं। इस दौरान दाएं पैर के घुटने को जमीन पर लगने से बचाएं। 20 बार 2 सेट्स में करने से शरीर को जल्दी होने वाली थकान से मुक्ति मिलती है।
शरीर को एक्टिव रखने और घुटनों के दर्द को कम करने के लिए स्टेप नीज़ लिफ्ट का अभ्यास किया जाता है। इसे करने के लिए दाएं पैर को स्टेप पर रखें और फिर बाएं पैर को घुटने से मोड़ें। उसके बाद दोनों पैरों को नीचे लेकर जाएं। अब फिर दाएं पैर को उपर लेकर आएं। इस एक्सरसाइज़ को दिन में दो बार शरीर की क्षमता के अनुसार करें।
शरीर को एनर्जी से भरपूर बनाने के लिए बॉक्स जंप की मदद ली जा सकती है। इसके लिए दोनों पैरों को जोड़कर सीधे खड़े हो जाएं। अब दोनों पैरों को उपर उठाएं और जंप करते हुए मध्यम उंचाई वाले स्अेप पर चढ़ जाएं। उस पर कुछ सेकण्ड तक खड़ा रहने के बाद नीचे उतरें और फिर से छलांग लगाएं।
वजन बढ़ने से होने वाली समस्याओं से सतर्क रहने के लिए
बीएमआई चेक करेंकिसी स्टेप या फिर सीढ़ियों पर इस एक्सरसाइज़ का अभ्यास करने से शरीर में जमा कैलोरीज़ को बर्न किया जा सकता है। इससे टांगों पर जमा चर्बी को भी दमर किया जा सकता है। इस एक्सरसाइज़ का नियमित अभ्यास करने से कैलेरीज़ की मात्रा का नियंत्रित किया जा सकता है।