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30 की उम्र के साथ बढ़ने लगी है पेट की चर्बी, तो जानिए इसे कैसे कंट्रोल करना है

30 की उम्र में अधिकतर लोग डाइट और व्यायाम के जरिए बैली फैट नियंत्रित करने का प्रयास करते है। मगर मेटाबॉलिज्म की धीमी गति इस समस्या का मुख्य कारण साबित होती है, जो वेटलॉस में रूकावट का कारण बन जाती है।
Published On: 13 Mar 2025, 08:00 am IST
पेट की अतिरिक्त चर्बी स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है और कई क्रॉनिक समस्याओं के जोखिम को बढ़ा देती है। चित्र- अडोबी स्टॉक

उम्र के हर पड़ाव के साथ शरीर के वज़न और उसकी संरचना में बदलाव आने लगते है। उम्र के तीसरे पड़ाव यानि 30 वर्ष की आयु में अधिकतर लोगों को बैली फैट का सामना करना पड़ता है, जो शरीर में देखते ही देखते अन्य समस्याओं के जोखिम को बढ़ा देते है। अधिकतर लोग वेटलॉस डाइट और व्यायाम के जरिए इसे नियंत्रित करने का प्रयास करते है। मगर मेटाबॉलिज्म की धीमी गति इस समस्या का मुख्य कारण साबित होती है, जो वेटलॉस में रूकावट का कारण बन जाती है। जानते है 30 की उम्र में बैली पर एकत्रित फैट को दूर करने के लिए किन बातों का ख्याल रखना ज़रूरी है (how to reduce Belly fat in 30s)।

सेंटर फॉर डिज़ीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार पेट की चर्बी स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है और कई क्रॉनिक समस्याओं के जोखिम को बढ़ा देती है। इससे आंत की चर्बी, टाइप 2 डायबिटीज़ और हृदय रोग का खतरा बढ़ने लगता है। विले ऑनलाइन लाइब्रेरी के अनुसार बीएमआई के ज़रिए मेटाबॉलिक रोग की जानकारी प्राप्त होती है। बीएमआई की जानकारी ऊंचाई और वजन का उपयोग करके एकत्रित की जाती है।

टहलना मेटाबोलिज्म को बढ़ा सकता है और पेट की चर्बी कम करने में मदद कर सकता है। चित्र- अडोबी स्टॉक

30 की उम्र में बैली फैट कम करने की टिप्स (how to reduce Belly fat in 30s)

1. प्रोटीन इनटेक बढ़ाएं

आहार को संतुलित बनाए रखने के लिए विटामिन और मिनरल्स के अलावा प्रोटीन की मात्रा को नियमित बनाए रखना आवश्यक है। इससे शरीर में इंसुलिन और लेप्टिन जैसे हार्मोन को नियंत्रित किया जा सकता है, जो वेटलॉस को बढ़ाते है। इसके लिए मील्स में चिकन, मछली, पनीर और फलियों जैसे खाद्य पदार्थों को शामिल करे। इसके अलावा लीन प्रोटीन का सेवन मांसपेशियों के निर्माण और थकान को कम करने में मदद करता है। जर्नल्स ऑफ़ जेरोन्टोलॉजी सीरीज़ ए बायोलॉजिकल साइंसेज एंड मेडिकल साइंसेज की रिपोर्ट के अनुसार स्टैंडर्ड प्रोटीन आहार की तुलना में उच्च प्रोटीन आहार खाने वाले प्रतिभागियों में पेट की चर्बी में अधिक कमी पाई गई।

2. हेल्दी फैट्स है ज़रूरी

इसके लिए मील में ओमेगा 3 और ओमेगा 6 फैटी एसिड को अवश्य शामिल करें। दरअसल हेल्दी फैट्स से भूख नियंत्रित होने लगती है और हार्मोनल संतुलन भी बढ़ने लगता हैं। अमेरिकन जर्नल ऑफ़ क्लिनिकल न्यूट्रिशन की रिपोर्ट के अनुसार जैतून के तेल की तुलना में मीडियम.चेन ट्राइग्लिसराइड तेल को वज़न कम करने के लिए बेहतर तेल माना जाता है।

3. रिफ़ाइंड कार्ब्स का सेवन करने से बचें

प्रोसेस्ड फ़ूड और मीठे स्नैक्स इंसुलिन के स्तर को बढ़ा सकते हैं जिसके चलते बेली फ़ैट बढ़ने लगता है। ऐसे में साबुत अनाज, ओट्स और शकरकंद जैसे कॉम्प्लेक्स कार्ब्स खाने की सलाह दी जाती है जिन्हें पचने में अधिक समय लगता है। इनका ग्लाइसेमिक इंडेक्स लो होता हैं और ब्लड शुगर को स्थिर रखने में मदद मिलती हैं। द अमेरिकन जर्नल ऑफ़ क्लिनिकल न्यूट्रिशन की रिपोर्ट के अनुसार वे लोग जिन्होंने साबुत अनाज का सेवन किया, उनमें पेट की चर्बी होने की संभावना उन लोगों की तुलना में 17 प्रतिशत कम थी, जिन्होंने अधिक रिफ़ाइंड अनाज का सेवन किया था।

प्रोसेस्ड फूड से मोटापे की समस्या बढ़ने लगती है और इटिंग डिसऑर्डर का सामना करना पड़ता है। चित्र : अडोबी स्टॉक

4. फाइबर रिच फूड्स खाएं

आहार में सब्ज़ियाँ, फल और साबुत अनाज जैसे खाद्य पदार्थ शामिल करें, जिससे भूख को कम करने में मदद मिलती हैं। फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ से बॉवल मूवमेंट नियमित बना रहता है और कब्ज से राहत मिलती हैं। स्वस्थ पाचन तंत्र हार्मोन के स्तर को नियंत्रित करने और सूजन को कम करने में मदद करता है। द अमेरिकन जर्नल ऑफ़ क्लिनिकल न्यूट्रिशन के अनुसार फाइबर युक्त आहार से मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है, जिससे शरीर में कैलोरी को जमा होने से रोका जा सकता है।

5. पानी की उचित मात्रा बनाए रखें

मेटाबॉलिज्म बूस्ट करने और बॉडी को डिटॉक्स करने के लिए शरीर को नियमित पानी की आवश्यकता होती है। पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से सूजन और भूख भी कम होती है। फ्रंटियर्स इन न्यूट्रिशन जर्नल के रिसर्च के अनुसार पानी का अधिक सेवन शरीर के वजन को कम कर सकता है। साथ ही आूक्सीजन का प्रवाह बढ़ने से बॉडी फंक्शनिंग को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।

शरीर को हाइड्रेट रखने का प्रयास करें। इससे शरीर में मौजूद ऑक्सिक पदार्थो को डिटॉक्स करने में मदद मिलती है।

6. चीनी का अधिक सेवन न करें

मीठे पेय पदार्थ, स्नैक्स और रिफाइंड कार्ब्स का सेवन कम करें। डायबिटीज़ एंड मेटाबोलिक सिंड्रोम के रिसर्च के मुताबिक एक सप्ताह में मीठे पेय की एक सर्विंग लेने वाले लोगों में भी एक से कम सर्विंग लेने की तुलना में पेट की चर्बी बढ़ाने का कारण साबित होती है।

7. छोटी मील्स लें

ऐसे में तीन बार बड़ी मील्स लेने की जगह रोज़ाना चार से छोटी मील्स का सेवन करें। इससे रक्त शर्करा और इंसुलिन के स्तर को संतुलित करने में मदद मिलती है, जो फैट स्टोरेज को कम करता है। प्रोसेस्ड फूड को हेल्दी मील्स से रिप्लेस करें।

वजन बढ़ने से होने वाली समस्याओं से सतर्क रहने के लिए

बीएमआई चेक करें

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लेखक के बारे में
ज्योति सोही

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं।

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