बढ़ती उम्र के साथ शरीर कमजोर होता है यह हम सभी जानते हैं। इसके साथ ही शरीर की कार्य प्रणाली उतनी अच्छी नहीं रह जाती है। बढ़ी उम्र का सबसे ज़्यादा प्रभाव हमारे मस्तिस्क पर पड़ता है। इसलिए हम अक्सर देखते हैं कि हमारे एजिंग पेरेंट्स या ग्रैंड पेरेंट्स अक्सर मेमोरी लॉस (Memory Loss) की समस्या से गुजरते हैं। उन्हें एक चीज़ पर फोकस करने में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसलिए आज इस लेख में हम एक ऐसी मुद्रा के बारे में बताने जा रहे हैं जो ब्रेन के लिए बहुत फायदेमंद मानी जाती है। आज हम बात करने वाले हैं हाकिनी मुद्रा के बारे में।
हाकिनी मुद्रा (Hakini Mudra) हाथ की एक मुद्रा है जिसका नाम एक हिन्दू देवी हकीनी के नाम पर रखा गया है। ऐसा माना जाता है कि देवी हाकिनी तीसरे नेत्र (Third Eye) की देवी हैं। इसलिए यह मुद्रा उनको समर्पित है। इसके अलावा, यह भी माना जाता है कि यदि इस मुद्रा को नियमित रूप से किया जाए तो यह फोकस बढ़ाने में मदद कर सकती है।
हकीनी मुद्रा एक हस्त मुद्रा है, जिसका अर्थ है कि इसे हाथों से किया जाता है। इसका अभ्यास सुखासन (Sukhasan) या पद्मासन (Padmasana) जैसी किसी भी मुद्रा में बैठकर, किया जा सकता है।
पद्मासन या वज्रासन किसी भी आरामदायक पोजीशन में बैठ जाइए।
अब आराम से अपनी आंखें बंद करें और ऊपर की ओर तीसरे नेत्र की तरफ यानी आइब्रो के बीच केन्द्रित करें।
अब धीरे-धीरे और लगातार सांस लें। बाहरी दुनिया को चेतना से मन को हटाकर, अपना ध्यान श्वास पर क्रेंद्रित करें।
फिर अपने हाथों को घुटनों या जांघों पर इस तरह ले आएं कि दोनों हथेलियां ऊपर की ओर हों।
धीरे-धीरे दोनों हाथों को छाती के स्तर पर एक दूसरे के सामने उठाएं और एक – एक उंगली की टिप को दूसरे हाथ से छूने का प्रयास करें।
तीसरी आंख पर ध्यान क्रेंद्रित करते हुए। अपनी जीभ को तालू पर रखें। तालू को छूने के लिए सांस अंदर लें और सांस छोड़ते हुए छोड़ें।
ध्यान रहे सांस लेने और छोड़ने की अवधि एक दूसरे से मेल खाना चाहिए।
अपने मन में OM का जप करते हुए इस मुद्रा को करें और सभी अनावश्यक विचारों को दूर रखें।
30 से 45 मिनट तक नियमित रूप से इस हकीनी मुद्रा का अभ्यास करें।
छोटी उंगली – जल तत्व
अनामिका – पृथ्वी तत्व
मध्यमा उंगली – ईथर
तर्जनी – वायु तत्व
अंगूठे की उंगली – अग्नि तत्व
यह मुद्रा आपकी स्मरण शक्ति, एकाग्रता और ध्यान बढ़ाने में मदद कर सकती हैं।
इस मुद्रा में गहरी सांस लेने से मस्तिष्क को ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ जाती है। इसलिए, इससे हमारे कामकाज और ब्रेनपावर में सुधार होता है।
हकीनी मुद्रा तार्किक शक्ति और रचनात्मक पहलुओं को समझने में मदद करती है।
यह मुद्रा ध्यान, सतर्कता और जिज्ञासा के गुणों को सक्रिय करती है।
यह मुद्रा करने से आपको तनाव, चिंता, अवसाद आदि जैसे विभिन्न मनोवैज्ञानिक मुद्दों पर काबू पाने में मदद मिलती है।
सात्विक जीवन शैली का पालन करते हुए इस मुद्रा का अभ्यास करने से आपको अपनी स्पिरिचुअल जर्नी में मदद मिलती है।
यह मुद्रा शरीर के रक्तचाप और दोषों (वात, पित्त और कफ) को संतुलित करने में भी मदद करती है।
इस मुद्रा में लगातार सांस लेने से भी नासिका छिद्र साफ होते हैं।
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