दिनभर बैठकर काम करने से ग्लूट मसल्स कमज़ोर हो जाती हैं। इसका असर ग्लूट्स की अलाइनमेंट पर भी दिखने लगता है। ऐसे में ग्लूट्स को मज़बूत बनाने के लिए व्यायाम (glute exercise) बेहद आवश्यक है। इससे न केवल हिप्स में बढ़ने वाले दर्द को कम किया जा सकता है बल्कि शरीर के निचले हिस्से को मज़बूती मिलती है। बट की शेप और स्ट्रेंथ (Glutes strengthen exercise) को बढ़ाने के लिए की जाने वाली नियमित एक्सरसाइज़ से शरीर के पोश्चर में भी सुधार आने लगता है। जानते हैं कि ग्लूट्स के लचीलेपन को बढ़ाने के लिए आसान एक्सरसाइज़ (Exercises for stronger glutes)।
इस बारे में फिटनेस एक्सपर्ट अमन पुरी बताते हैं कि ग्लूट मांसपेशियां बट्स के फैटी टिशूज़ (glutes fatty tissues) के नीचे मौजूद होती हैं। इनमें ग्लूटस मैक्सिमस, ग्लूटस मेडियस और ग्लूटस मिनिमस तीन मांसपेशियां होती हैं। ग्लूट्स बेहद मज़बूत मांसपेशियां होती हैं जो चलने, दौड़ने, बैठने, खड़े होने और अन्य कई प्रकार के काम करने में मदद करती हैं। आहार के साथ उचित व्यायाम की मदद लेकर ग्लूट्स की शेप (glutes shape) और मज़बूती को बढ़ाया जा सकता है। नियमित एक्सरसाइज़ से ग्लूट्स की मज़बूती बढ़ने लगती है।
बट के मसल्स को रिलैक्स रखने के लिए बट किक एक्सरसाइज़ का अभ्यास करें। इस जंपिंग एक्सरसाइज़ को दिनभर में 2 से 3 बार करना आवश्यक है। इससे न केवल लोअर बॉडी को टोन करने में मदद मिलती है बल्कि स्ट्रेंथ बढ़ती है।
इस एक्सरसाइज़ को करने के लिए मैट पर सीधे खड़े हो जाएं। अब दोनों पैरों को करीब ले आएं और हथेलियों को आपस में मिला लें। इसके बाद दाई टांग को घुटने से मोड़ते हुए पीछे की ओर लेकर जाएं और अपनी एड़ी से बट्स को टच करें। उसके बाद बाईं टांग से बट्स कसे छुएं। बारी बारी से 30 बार इस एक्सरसाइज़ को रिपीट करें।
स्क्वाट्स एक लोअर बॉडी एक्सरसाइज़ है, जिससे ग्लूट्स और कोर मसल्स को मज़बूती मिलती है। इससे पीठ, कमर और घुटनों के दर्द को भी कम किया जा सकता है। दिन में 2 से 3 बार इसका अभ्यास करने से ग्लूटस में लचीलापन बढ़ जाता है।
इसे करने के लिए सीधे खड़े हो जाएं और दोनों पैरों के मध्य दूरी बनाकर रखें। इसके बाद दोनो घुटनों को मोड़ लें। अब दोनों बाजूओं को सामने की ओर एकदम से सीधा रखें। बट्स को पीछे की ओर पुश करें और कुर्सी पर बैठने की मुद्रा में आ जाएं। मगर कुर्सी पर हिप्स को लगाने से बचे। उसके बाद सीधा हो जाएं। 30 सेकण्ड तक इसी फॉर्म में रहने से शरीर एक्टिव रहता है।
शरीर के संतुलन को बनाए रखने के लिए ग्लूट ब्रिज का अभ्यास फायदेमंद है। इससे वेटलॉस के साथ साथ मसल्स की स्ट्रैंथ भी बढ़ती है। ग्लूट्स और हैमस्ट्रिंग को मज़बूती प्रदान करने वाली इस एक्सरसाइज़ से लोअर बॉडी को मज़बूती मिलती है।
मैट पर सीधे लेटकर दोनों पैरों में दूरी बनाकर रखें। अब दोनों बाजूओं को जमीन पर चिपका लें और टांगों को घुटनों से मोड़ लें। शरीर को कमर से उपर की ओर उठाएं और बाजूओं को मैट पर रहने दें। इस दौरान सिर को जमीन पर रखें और शरीर को ब्रिज की शेप में लेकर आएं। 30 सेकण्ड तक इसी मुद्रा में रहने के बाद शरीर को नीचे की ओर लेकर जाएं।
हिप, फुट और एंक्ल स्टेबीलिटी को बढ़ाने के लिए लेटरल बैंडिड वॉक की जाती है। इससे पैरों में दर्द के अलावा हिप फ्लेकसर्स की समस्या हल हो जाती है। हिप्स में बढ़ने वाली टाइटनेस को कम करने के लिए रोज़ाना इस एक्सरसाइज़ का अभ्यास करें। इसे बैंड की मदद से किया जाता है।
इस एक्सरसाइज़ को करने के लिए बैंड का इस्तेमाल करें और दोनों टांगों को घुटनों से मोड़ लें। अब दोनों हाथों को एक दूसरे से पकड़ें। इसके बाद धीरे धीरे एक एक कदम बढ़ाकर दाई ओर 10 कदम चलें। उसके बाद अपनी पोज़िशन पर वापिस लौटकर आएं। इस एक्सरसाइज़ के दौरान नीज़ की पोज़िशन का ख्याल रखना बेहद आवश्यक है।
वजन बढ़ने से होने वाली समस्याओं से सतर्क रहने के लिए
बीएमआई चेक करें