घर से बाहर निकलने ही प्रदूषण का प्रहार सांस संबधी समस्याओं के संकट को बढ़ा देता है। धूल, मिट्टी और पॉल्यूटेंटस का बढ़ता स्तर अस्थमा के लक्षणों (signs of asthma) को ट्रिगर करता है। ऐसे में फेफड़ों की सेहत को बनाए रखने के लिए दिनभर में कुछ देर व्यायाम करना एक बेहतरीन विकल्प है। इससे ब्रीदिंग प्रॉबल्म (breathing problem) से बचा जा सकता है और लंग्स को मज़बूती मिलती है। जानते हैं अस्थमा के लक्षणों से बचने के लिए किन एक्सरसाइज़ को करें रूटीन में शामिल (exercise for asthma) ।
इस बारे में फिज़ियोथेरेपिस्ट डॉ गरिमा भाटिया बताती हैं कि दिनचर्या में व्यायाम को शामिल करने से ब्रीदिंग संबधी समस्याएं हल होने लगती है। चेस्ट एक्सपैंड होने लगती है और लंग्स की कपेसिटी (tips to increase lungs capacity) में सुधार आने लगता है। लंग्स डिटॉक्स करने के लिए वॉकिंग, रनिंग, स्वीमिंग और योग बेहतरीन विकल्प हैं। एक्सरसाइज़ की शुरूआत वॉर्मअप सेशन से करें और पॉल्यूशन के संपर्क में आने से बचें।
अमेरिकन लंग एसोसिएशन के अनुसार रोज़ाना एक्सरसाइज़ करने से शरीर में रक्त का प्रवाह (blood flow in body) उचित बना रहता है। इससे शरीर में ऑक्सीजन का फ्लो उचित रहता है, जिससे इनहेलिंग की कपेसिटी में सुधार आने लगता है। वे लोग जिन्हें प्रदूषण के संपर्क में आते ही खांसी, चेस्ट टाइटनेस (chest tightness) और ब्रीदिंग की समस्या (breathing problem) से दो चार होना पड़ता है। उन्हें एक्सरसाइज़ करना ज़रूरी है। मगर एक्सरसाइज़ से पहले खुद को वॉर्मअप करना आवश्यक है।
डायफ्रामेटिक ब्रीदिंग को एब्डॉमिनल ब्रीदिंग भी कहा जाता है। इसे करने से पेट के मसल्स रिलैक्स होने लगते हैं। इसके अलावा चेस्ट टाइटनेस से भी राहत मिल जाती है। इस एक्सरसाइज़ को बैठकर या लेटकर किया जा सकता है। इसे करने के लिए घुटनों को मोड़ने की आवश्यकता होती है।
नोज या नेज़ल ब्रीदिंग की मदद से सांस लेने से पहले हवा को फिल्टर और हयूमिडिफाई करने में मदद मिलती है। इसकी मदद से एयरवेज में बढ़ने वाले रूखेपन को कम किया जा सकता है। इसके अलावा नाइट्रिक ऑक्साइड का उत्पादन बढ़ने से भी अस्थमा के लक्षणों से बचा जा सकता है।
शरीर को आगे की ओर झुकाकर की जाने वाली इस एक्सरसाइज़ की मदद से पेट की मसल्स में खिंचाव आने लगता है। इससे लंग्स ओपन होते हैं और सांस संबधी समस्याएं हल होने लगती है। रोज़ाना दो बार इसका अभ्यास फायदेमंद साबित होता है।
अस्थमा के रोगी तेज़से सांस लेते और छोड़ते है। ऐसे में ब्रीदिंग प्रॉबल्म को कम करने के लिए फेफड़ों को स्वस्थ्स रखना आवश्यक है। नियमित रूप से बुटेको ब्रीदिंग करने से तनाव से मुक्ति मिलती है और घर्राटे लेने की समस्या हल होने लगती है।