हर महिला का स्वस्थ रहना बेहद जरूरी है। वह न सिर्फ अपना जीवन जीती है, बल्कि वह परिवार और ऑफिस के दायित्वों को भी पूरा करती है। सभी को संपूर्णता और सुरक्षा का एहसास दिलाने वाली स्त्री को स्वयं भी सुरक्षित होना होगा। यह सुरक्षा का भाव उसके पूरी तरह से स्वस्थ होने पर ही आएगा। रक्षाबंधन का त्योहार सुरक्षा की महत्ता को याद दिलाने के लिए ही मनाया जाता है। तो इस रक्षाबंधन खुद को याद दिलाएं सेहत की रक्षा के ये सूत्र (Women health tips)।
हेल्थ प्रोटेक्शन को किस तरह महिलाएं अपने ऊपर लागू कर सकती हैं, इसके लिए हमने बात की शिमला के हेल्थ केयर फाउंडेशन की सीनियर गाइनेकोलॉजिस्ट एंड ऑब्सटेट्रिक्स डॉ. रितु मेहरा से।
डॉ. रितु बताती हैं, “बचपन से ही महिलाओं को अपने खान-पान पर विशेष ध्यान देना चाहिए। पोषक तत्वों की कमी के कारण उनका इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है और उन्हें कई स्वास्थ्य समस्याएं भी होने लगती हैं। अपने स्वास्थ्य को सुरक्षित करने के लिए उन्हें इन 8 बातों को जरूर ध्यान में रखना (8 tips for women health) चाहिए।
डॉ. रितु बताती हैं, ‘महिलाएं सबसे ज्यादा अगर किसी को नजरंदाज करती हैं, तो वह है एक्सरसाइज। अपने दायित्वों को पूरा करने के फेर में सबसे पहले वे एक्सरसाइज को स्किप कर जाती हैं। अपने स्वास्थ्य को बनाए रखने और बीमारी को अपने से दूर रखने के लिए उनके लिए रोजाना व्यायाम बेहद जरूरी है।
सभी महिलाओं को प्रतिदिन 30 मिनट व्यायाम जरूर करना चाहिए। यह न केवल उनकी हार्ट हेल्थ में सुधार करता है, बल्कि बॉडी मास इंडेक्स, वेट मैनेजमेंट, एंडोमीट्रियल (गर्भाशय) कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर और दूसरे तरह के कैंसर से बचाव करने में भी मदद करता है। एक्सरसाइज के दौरान निकलने वाला हार्मोन तनाव को भी घटाने में सक्षम होता है।’
अपनी व्यस्त दिनचर्या के कारण महिलाएं हेल्दी लाइफस्टाइल को नहीं अपना पाती हैं। समय पर भोजन लेना, पोषक तत्वों से भरपूर भोजन लेना, हार्ट, गट, स्किन, हेयर, इंटीमेट हेल्थ का ध्यान रखना जितना जरूरी है, उतना ही उनके लिए जरूरी है छह महीने पर हेल्थ चेकअप कराना। यदि आप मेनोपॉज फेज से गुजर रही हैं, तो हेल्थ चेकअप आपके लिए अनिवार्य है।
एक महिला के जीवनकाल में एंडोमेट्रियोसिस, ओवेरियन सिस्ट, यूटेरीन फाइब्रॉएड, ब्रेस्ट कैंसर या स्त्री रोग संबंधी कैंसर जैसे एंडोमेट्रियल, सर्विकल या ओवेरियन कैंसर होने की संभावना बनी रहती है। इसलिए रेग्युलर चेकअप उनके लिए बेहद जरूरी है। प्रोसेस्ड या डिब्बाबंद फूड को एवॉयड करें।
हमेशा ताजा बना हुआ भोजन लेने की कोशिश करें। पौष्टिक, कलरफुल फलों और सब्जियों को अपने आहार में शामिल करें। तले हुए खाद्य पदार्थों से बचें, जिनमें ट्रांस-फैट होता है। ऐसे खाद्य पदार्थों और स्नैक्स का सेवन करें, जिनमें सैचुरेटेड फैट, शुगर और सॉल्ट कम मात्रा में उपलब्ध हों। कभी भी वजन न बढ़ने दें। कहा भी जाता है मोटापा हजार बीमारियों का जड़ है।
यदि आपको सिगरेट पीने की आदत है, तो उसे तत्काल छोड़ें। इससे हार्ट प्रॉब्लम, स्ट्रोक, लंग कैंसर होने की संभावना पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में ज्यादा होती है। शराब भी पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को अधिक नुकसान पहुंचाता है। यदि स्वयं को स्वस्थ बनाए रखना चाहती हैं, तो किसी भी प्रकार के नशे से स्वयं को मुक्त करें।
महिलाओं को हर महीने स्तन को खुद जांच कर देखना चाहिए। ब्रेस्ट या आर्मपिट के आसपास गांठ जैसी संरचना दिखने या दर्द करने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। 40 वर्ष के बाद स्तनों में किसी भी प्रकार की समस्या दिखने पर मैमोग्राफी कराएं, ताकि स्तन स्वास्थ्य और किसी भी असामान्य परिवर्तन की निगरानी की जा सके।
वजन बढ़ने से होने वाली समस्याओं से सतर्क रहने के लिए
बीएमआई चेक करेंयौन रूप से सक्रिय होने के बाद महिलाओं को पेल्विक चेकअप और पैप स्मीयर चेकअप जरूर कराना चाहिए। पैपिलोमा वायरस (HPV) या जेनिटल वार्ट जैसे सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज के साथ-साथ योनि और सर्विकल कैंसर के लक्षणों के लिए पैप स्मीयर स्क्रीनिंग जरूरी है।
यदि आप प्रेगनेंट होने जा रही हैं, तो आपको गर्भ में पल रहे बच्चे के साथ-साथ अपना भी ख्याल रखना होगा। आमतौर पर मां बनने जा रही महिलाएं अपने ऊपर ध्यान नहीं दे पाती हैं। पौष्टिक आहार के साथ-साथ अपने शरीर की भी विशेष देखभाल शुरू कर दें। जरूरी एक्सरसाइज, वॉकिंग, स्वीमिंग और सूदिंग म्यूजिक सुनना भी महत्वपूर्ण है।
इससे आपका मन तनाव मुक्त होगा और शरीर भी स्वस्थ रहेगा। प्रसव बाद भी अपने शरीर के स्वास्थ्य पर पूरा ध्यान दें।
उम्र के 50 वें दशक से महिलाओं में कोलन कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है। अपनी नियमित कॉलोनोस्कोपी शुरू कर दें। इससे किसी भी तरह की असामान्य कोलन पॉलीप की वृद्धि को देखा जा सकता है और उसका इलाज शुरू किया जा सकता है।
अंत में यह बात गांठ बांध लें कि महिलाओं के लिए हर उम्र में शरीर और स्वास्थ्य की विशेष देखभाल जरूरी होती है। दूसरी बात यह है कि पौष्टिक आहार और समय पर भोजन लेने का कोई दूसरा सब्सटिट्यूट नहीं है।