वॉकिंग एक सबसे आसान और बेहद प्रभावी फिजिकल एक्टिविटी है, जो आपकी बॉडी के लिए कई रूपों में फायदेमंद हो सकता है। परंतु अक्सर लोग इस बात को लेकर कंफ्यूज रहते हैं, कि सुबह खाली पेट वॉक करें या रात को डिनर के बाद। आखिर दोनों में से कौन से समय ठहलने से अधिक फायदा होता है?
यदि आप भी इसी बात को लेकर कंफ्यूज हैं, तो परेशान न हों, यश फिटनेस के फाउंडर और फिटनेस एक्सपर्ट यश अग्रवाल ने खाली पेट और खाने के बाद वॉक करने के फायदे साथ ही साथ संभावित नुकसान भी बताएं हैं। वहीं उन्होंने इसे विस्तार से समझाते हुए व्यक्तिगत जरूरत के अनुसार इन्हें अपनाने की सलाह दी है। तो चलिए जानते हैं, इस विषय पर अधिक विस्तार से (Empty stomach vs post meal walking)।
खाली पेट टहलने से अधिक फैट बर्न होता है, क्योंकि इस दौरान शरीर एनर्जी के लिए स्टोर्ड फैट का उपयोग करता है। खाली पेट वॉक करने से जमा हुए फैट बर्न हो जाते हैं, और बॉडी शेप में आती है।
कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि फास्टिंग एक्सरसाइज या वॉकिंग इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार करती है, जो ब्लड शुगर नियंत्रण के लिए फायदेमंद हो सकता है।
ब्लड शुगर के स्तर को स्थिर करके भूख को नियंत्रित करने और क्रिविंग्स को कम करने में मदद करता है। इस प्रकार यह एक्स्ट्रा कैलोरी इंटेक को रोकता है और वेट मैनेजमेंट में आपकी मदद करता है।
ऊर्जा शक्ति की कमी: यदि आप खाली पेट लंबे समय तक वॉक करती रहती हैं, तो इस स्थिति में शरीर में ऊर्जा की कमी हो सकती है। जिसकी वजह से चक्कर आना या थकान महसूस होना आम है। यदि ऐसा कुछ भी अनुभव हो तो फौरन किसी जगह पर बैठ जाएं।
मांसपेशियों की हानी: खाली पेट शरीर में ऊर्जा की कमी होने से बॉडी एनर्जी के लिए मांसपेशी प्रोटीन का उपयोग करना शुरू कर देता है, तो लंबे समय तक उपवास करने से मांसपेशियां टूट सकती हैं।
संभावित चक्कर आना: खाली पेट व्यायाम करने या लंबे समय तक वॉक करने से कुछ लोगों को चक्कर आ सकता है या शरीर में हल्कापन महसूस हो सकता है।
भोजन के बाद टहलने से खाद्य पदार्थों को पचाना आसान हो जाता है। वहीं पाचन तंत्र के माध्यम से भोजन की गति को प्रोत्साहित करके सूजन को कम करने में मदद मिलती है। इस प्रकार खाद्य पदार्थ पूरी तरह से पच जाते हैं और किसी भी प्रकार का फैट शरीर में जमा नहीं होता।
भोजन के बाद रोजाना टहलने की आदत से ब्लड शुगर के स्तर को मेंटेन करने में मदद मिलती है, यह संभावित रूप से इंसुलिन रेजिस्टेंस के जोखिम को भी कम कर सकता है। यदि आपको डायबिटीज है तो यह आपके लिए अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। इसे अपनी नियमित रूटीन में शामिल कर डिनर के बाद रोजाना जरूर ठहले। इसके अलावा ब्रेकफास्ट और लंच के बाद भी खुद को थोड़ी देर के लिए एक्टिव रखना जरूरी है।
वजन बढ़ने से होने वाली समस्याओं से सतर्क रहने के लिए
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आम तौर पर, खाने के बाद ऊर्जा का स्तर अधिक होता है, ऐसे में आप आराम से लंबे समय तक वॉक कर सकती हैं। इससे आप अधिक कैलोरी बर्न करती हैं, और एक संतुलित वजन बनाए रखना आसान जो जाता है। वहीं यह आपके सहनशक्ति को भी बढ़ा सकता है।
संभावित असुविधा: लार्ज मील यानी की अधिक खाने के तुरंत बाद चलने से कई तरह की असुविधाएं हो सकती है, जैसे कि ब्लोटिंग या ऐंठन, खासकर अगर अपने ओवर ईटिंग की है।
पाचन में बाधा आ सकता है: खाने के तुरंत बाद एक्सरसाइज करने या तेज चलने से कुछ लोगों को पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, जिससे मतली या अपच हो सकता है।
खाली पेट टहलना
अधिक मात्रा में फैट बर्न करने और इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार करने का लक्ष्य रखने वालों के लिए खाली पेट टहलना सबसे अच्छा है, लेकिन संभावित एनर्जी लॉस और असुविधा के कारण सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है।
भोजन के बाद टहलना
पाचन में सुधार और रक्त शर्करा के स्तर को स्थिर करने के लिए अधिक उपयुक्त है। आम तौर पर इस समय ऊर्जा का स्तर संतुलित रहता है इसलिए असुविधा का जोखिम कम होता है।
टहलने के समय का चुनाव व्यक्तिगत लक्ष्यों, प्राथमिकताओं और किसी व्यक्ति के शरीर द्वारा विभिन्न परिस्थितियों में शारीरिक गतिविधियों के प्रति प्रतिक्रिया पर निर्भर करता है।
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