डायबिटीज की रोकथाम और नियंत्रण दोनों में एक्सरसाइज फायदेमंद है। डायबिटीज टाइप 1 और डायबिटीज टाइप 2, दोनों स्थितियों में नियमित व्यायाम डायबिटीज से होने वाली समस्याओं में राहत दिला सकता है। पर कभी-कभी गलत व्यायाम का चुनाव मर्ज को बढ़ा देता है। इसलिए डायबिटिक या प्री डायबिटिक होने पर कुछ एक्सरसाइज को अवॉयड करना चाहिए। कौन-कौन सी एक्सरसाइज से डायबिटीज पेशेंट को बचना चाहिए (unsuitable exercises for type 2 diabetes), इसके लिए हमने बात की, जिंदल नेचर केयर इंस्टीट्यूट की चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ. बबीना एन एम से।
डॉ. बबीना कहती हैं,‘नियमित व्यायाम से लिपिड प्रोफाइल में सकारात्मक बदलाव आ सकता है। रक्तचाप और वजन कम हो सकता है। हृदय जोखिम कारकों में सुधार हो सकता है। लेकिन गलत व्यायाम का चुनाव करने से हृदय संबंधी समस्या, पैरों के जॉइंट्स और सॉफ्ट टिश्यू को नुकसान, दृश्य हानि, हाइपोग्लाइसीमिया, हाइपरग्लाइसेमिया और किटोसिस भी हो सकता है। इसलिए इंसुलिन की खुराक के साथ-साथ व्यायाम के ग्लाइसेमिक कंट्रोल पर प्रतिकूल प्रभाव डालने की भी जांच जरूरी है। सही व्यायाम से मधुमेह के रोगी अपना मेटाबोलिज्म भी सही कर सकते हैं, जिससे जीवन की गुणवत्ता में भी काफी सुधार हो सकता है।’
मधुमेह के रोगी को शरीर पर बहुत अधिक प्रभाव डालने वाले, पसीना बहाने वाले व्यायाम नहीं करना चाहिए। सिर को बहुत लंबे समय तक गलत दिशा में रखने और हाई पॉवर वाले एक्सरसाइज से प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। डायबिटीज के कारण मरीज में रेटिनल जटिलता भी हो जाती है। ऐसे मरीजों को बहुत अधिक वजन उठाने वाले व्यायाम से बचना चाहिए। इससे रेटिना डिटेचमेंट या विट्रोस हेमोरेज होने की संभावना बनी रहती है।
डॉ. बबीना कहती हैं, ‘डायबिटीज के मरीज कार्डियक ऑटोनोमिक न्यूरोपैथी के शिकार भी हो सकते हैं। इसमें रोगी की अचानक मृत्यु और इस्किमिया का खतरा बढ़ जाता है। ऑटोनोमिक न्यूरोपैथी वाले मरीजों का थर्मोरेग्यूलेशन खराब होता है। ऐसे रोगियों को गर्म और ठंडे वातावरण में व्यायाम नहीं करना चाहिए। ऐसे रोगियों का ब्लड प्रेशर भी खराब होता है। इससे हाइपरटेंशन होने की संभावना बनी रहती है।’
मधुमेह के रोगी को डायबिटिक पेरीफेरल न्यूरोपैथी होने की संभावना रहती है। इससे पीड़ित रोगियों को कठिन और भार उठाने वाले व्यायामों से बचना चाहिए। क्योंकि पैरों में चोट लगने पर परेशानी बढ़ सकती है। यदि डायग्नोस्टिक टेस्ट जैसे वाइब्रेशन सेंस या पोजिशन सेंस जैसे पेरीफेरल न्यूरोपैथी की उपस्थिति का संकेत देते हैं, तो रोगी को स्टेप एक्सरसाइज और बहुत अधिक वाकिंग से बचना चाहिए। इससे प्रभावित हुए पैर पर दबाव पड़ सकता है। इससे फ्रैक्चर और अल्सर होने का जोखिम बढ़ जाता है।
डॉ. बबीना चेताती हैं, ‘यदि फास्टिंग में ग्लूकोज लेवल 250mg/dl से ऊपर है और कीटोन्स मौजूद हैं, तो ऐसे डायबिटीज के रोगी को व्यायाम से पूरी तरह बचना चाहिए। यदि कीटोन्स होने के बावजूद व्यायाम किया जाता है, तो कीटोएसिडोसिस का जोखिम बहुत अधिक हो जाता है। केटोएसिडोसिस होने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेनी चाहिए। कीटोन नहीं होने के बावजूद 250mg/dl से अधिक शुगर लेवल होने पर व्यायाम करते समय सावधानी बरतने की आवश्यकता है।’
व्यायाम से पहले और बाद में ब्लड शुगर लेवल की जांच करें।
हाइपोग्लाइसीमिया को मैनेज करने के लिए तेजी से काम करने वाले कार्बोहाइड्रेट फ़ूड अपने साथ रखें।
एक्सरसाइज सेशन के दौरान खूब पानी पिएं।
डायबिटिक को आरामदायक जूते और कपड़े पहनना चाहिए।
व्यायाम से ठीक पहले इंसुलिन का प्रयोग न करें। इससे हाइपोग्लाइसीमिया का खतरा बढ़ सकता है।
व्यायाम करते समय किसी भी प्रकार की चोट से बचने की कोशिश करें।
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