पसीना भी है फैट बर्न करने में मददगार, जानिए इसका वैज्ञानिक कारण और कुछ खास बातें

वेटगेन की समस्या से बचने के लिए डाइटिंग से लेकर व्यायाम तक सभी विकल्पों को चुना जाता है। व्यायाम के बाद आने वाला पसीना शरीर के तापमान को रेगुलेट करने का प्राकृतिक तरीका है। मगर क्या वाकई ज्यादा पसीना बहाना वेटलॉस में मददगार साबित हो सकता है।
paseene se weight loss mei kaise milti hai madad
पसीना शरीर का एक फंक्शन है, जो तनाव, गर्मी और थकान के कारण स्वैट ग्लैंड प्रोडयूस करते है। चित्र:शटरस्टॉक
ज्योति सोही Published: 20 Sep 2024, 08:00 am IST
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दिन की शुरूआत व्यायाम से की जाती है। वॉर्मअप सेशन (Warmup session) के बाद जिम में घंटों एक्सरसाइज करके खूब पसीना बहाया जाता है। कुछ लोगों ऐसा मानने लगते हैं कि पसीना बहाने से शरीर में जमा कैलोरीज़ को बर्न (tips to burn calories) करने में मदद मिलती है। पसीना शरीर के तापमान को रेगुलेट करने का प्राकृतिक तरीका है। मगर वाकई ज्यादा पसीना बहाना वेटलॉस में मददगार साबित होता है। जानते हैं एक्सपर्ट से कि स्वैटिंग बन सकती है वेटलॉस का कारण (sweating to burn fat)

क्या स्वैटिंग से होने लगता है फैट बर्न (Dies sweating cause fat burn)

सबसे पहले जानते हैं कि पसीना क्या है। दरअसल, पसीना शरीर का एक फंक्शन है, जो तनाव, गर्मी और थकान के कारण स्वैट ग्लैंड प्रोडयूस करते है। ये पानी, इलेक्ट्रोलाइट्स और सीमित मात्रा में यूरिया से बनता है। स्वैटिंग (Causes of sweating) एक ऐसा मकैनिज्म है, जिससे शरीर का अंदरूनी तापमान रेगुलेट होता है। पसीने से शरीर पानी और नमक को रिलीज़ करता है, जिससे शरीर को ठंडक प्राप्त होती है। इससे शरीर का वॉटर वेट रिडयूज़ होता है।

फिटनेस एक्सपर्ट पूजा मलिक के अनुसार बढ़ती उम्र, फिटनेस गोल्स, वज़न और अनुवांशिकता के कारण स्वैटिंग का सामना करना पड़ता है। ऐसा मानना की पसीना आने से ही फैट बर्न होता है, ये पूरी तरह से गलत है। वसा हानि यानि वेटलॉस उस स्थिति में होता है जब शरीर ऊर्जा के लिए एंकत्रित किए गए फैट्स को बर्न करता है। पसीना एक थर्मोरेग्यूलेशन प्रक्रिया है, जिसका वेटलॉस पर सीधा प्रभाव नहीं होता है। संतुलित आहार के साथ नियमित व्यायाम वेटलॉस में मदद करता है।

अमेरिकन कॉलेज ऑफ स्पोर्टस मेडिसिन के अनुसार शरीर को हेल्दी और फिट रखने के लिए 30 मिनट की मॉडरेट इंटेंसिटी एक्सरसाइज़ कारगर साबित होती है। सप्ताह में 5 दिन इस एक्सरसाइज़ को करने से शरीर में अतिरिक्त कैलोरीज़ के स्टोरेज को रोका जा सकता है।

sweating ke kaaran
शरीर को हेल्दी और फिट रखने के लिए 30 मिनट की मॉडरेट इंटेंसिटी एक्सरसाइज़ कारगर साबित होती है।

फैटलॉस और स्वैटिंग कैसे एक दूसरे से जुड़े हुए हैं (How sweating and fat loss connected)

फिजियोथेरेपिस्ट, डॉ चिन्मय मेधी बताते हैं कि शरीर में मौजूद नॉन एसेंशियल फैटी एसिड आसानी से बर्न नहीं होते हैं। दरअसल, शरीर में बड़ी मात्रा में फैटी एसिड कई कारणों से बढ़ने लगते हैं। अगर पसीना की डेंसिटी ज्यादा है और उसका पार्टिकल साइज़ लार्ज है, तो उससे धीरे धीरे फैटलॉस में मदद मिलने लगती है। मगर इसके अलावा वेटलॉस के लिए अन्य बातो का ख्याल रखना भी आवश्यक है।

फैटी एसिड फ्री रेडिकल्स में बदल जाते हैं, जो स्किन पोर्स में एकत्रित होने लगते है। इसके अलावा आर्टरीज़, लाइनिंग और वेनस में दिखने लगते है। एक्सरसाइज़ की मदद से फैट को बर्न किया जा सकता है। इसके अलावा हेल्दी इटिंग हेबिट्स अपनाएं।

वेटलॉस के लिए इन टिप्स को करें अपने रूटीन में शामिल (tips for weight loss)

1, स्वस्थ आहार लें

बैलेंस्ड डाइट लेने से कैलोरी की मात्रा कम होने लगती है, जिससे शरीर में जमा होने वाले फैट्स की रोकथाम में मदद मिलती है। इसके लिए आहार में मौसमी फल, सब्जियां, लीन प्रोटीन और हेल्दी फैट्स को शामिल करना ज़रूरी है।

2. स्ट्रेंथ ट्रेनिंग है ज़रूरी

स्ट्रेंथ ट्रेनिंग की मदद से वेटलॉस करने के अलावा मेटाबॉलिज्म बूस्ट करने में मदद मिलती है। इसके लिए रूटीन में स्क्वेट, प्लैंक, लंजेज और पुश अप्स को शामिल करें। इससे मांसपेशियों की मज़बूती बढ़ने लगती है और स्टेमिना बूस्ट होता है।

Strength training ke fayde
स्ट्रेंथ ट्रेनिंग की मदद से वेटलॉस करने के अलावा मेटाबॉलिज्म बूस्ट करने में मदद मिलती है।

3. कार्डियोवैस्कुलर एक्सरसाइज़

रनिंग, स्वीमिंग और साइकलिंग को अपने रूटीन में शामिल करो। सप्ताह में 150 मिनट इस एक्सरसाइज़ को करने से फैट्स की मात्रा को कम किया जा सकता है। मॉडरेट ढ़ग से कार्डियो एक्सरसाइज़ करने से शरीर एक्टिव बना रहता है।

4. तनाव को करें कम

तनाव के चलते शरीर में कार्टिसोल हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है। इससे नींद न आने की समस्या का सामना करना पड़ता है, जो मोटापे का कारण बन जाता है। रूटीन में तनाव से मुक्ति पाने के लिए मेडिटेशन करें, योग की मदद लें और डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज़ को दिनचर्या में शामिल करें। इससे शरीर में हार्मोन का संतुलन बना रहता है।

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लेखक के बारे में

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं। ...और पढ़ें

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