योग स्वस्थ दिनचर्या का हिस्सा है। यह आपको तन और मन दोनों से स्वस्थ रहने में मदद करता है।यह माइंड, बॉडी और थॉट्स को एक साथ लाने का वैज्ञानिक तरीका है। इसमें सिर्फ मुद्राएं (Yoga poses) ही नहीं है, बल्कि इसमें प्राणायाम (Pranayama yoga) के माध्यम से श्वास तकनीक (Breathing techniques) को भी समायाेजित किया गया है। ताकि आप मेंटली रिलैक्स हो सकें। क्योंकि मस्तिष्क ही आपकी बॉडी का ओवरऑल हेड है। यही से शरीर का सारा तंत्र संचालित होता है। यकीनन आंखों का भी। तब क्या आंखों की रोशनी बढ़ाने में भी योग और प्राणायाम (Yoga for eyesight) मददगार साबित हो सकते हैं? इसे जानने के लिए हमने एक नेत्र रोग विशेषज्ञ से संपर्क किया। जानते हैं वे इस बारे में क्या सुझाव दे रहीं हैं।
रसोई का सामान खरीदने से लेकर बच्चों की क्लास और हमारी नौकरी तक सब एक ही स्क्रीन पर केंद्रित हो गया है। महामारी और लॉकडाउन में हमने सबसे ज्यादा समय अपने गैजेट्स की स्क्रीन पर बिताया। अब जब हम फिर से पुराने रुटीन में लौट रहे हैं, तब हम महसूस करने लगे हैं कि हमारे चश्मों के नंबर बढ़ गए हैं। इसके अलावा आंखों में जलन, सूखापन, बेवजह पानी आना और जल्दी थक जाना जैसी समस्याएं भी महसूस होने लगी हैं। जो दो साल पहले तक इतनी ज्यादा नहीं होती थीं।
यकीनन आंखों में होनी वाली किसी भी समस्या में घरेलू उपचार की बजाए डॉक्टर से मदद लेना ज्यादा बेहतर होगा। इसलिए हमने आंखों के स्वास्थ्य पर योग और व्यायाम के प्रभाव के बारे में जानने के लिए फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम में नेत्र विज्ञान विभाग की निदेशक डॉ अनीता सेठी से बात की। वे आंखों के स्वास्थ्य (Eye health) और आंखों की रोशनी के लिए योग (Yoga for eyesight) के बारे में महत्वपूर्ण सुझाव दे रहीं हैं।
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डॉ अनीता सेठी कहती हैं, “योग और व्यायाम का नेत्र ज्योति में सुधार से कोई सीधा संबंध नहीं है। लेकिन यह भी सच है कि योग तथा व्यायाम से आंखों और नेत्र ज्योति पर लाभकारी प्रभाव पड़ता है। व्यायाम से शरीर में रक्त प्रवाह में सुधार होता है और इससे आंखों को रक्त प्रवाह बेहतर होता है।”
इसी तरह, योग से, खासतौर से प्राणायाम से ऑक्सीजन सप्लाई में सुधार होता है। इसके परिणामस्वरूप आंखों पर दबाव घटता है और शुष्कता में भी कमी आती है। सैर करने, दौड़ने, साइकिल चलाने जैसी नियमित शारीरिक गतिविधियां अब कोविड काल में पहले से भी ज्यदा महत्वपूर्ण हो गई हैं। वर्क फ्रॉम होम तथा ऑनलाइन क्लासेज़ के चलते लोगों की दैनिक गतिविधियों में कमी आयी है, स्क्रीन टाइम बढ़ गया है जिससे डिजिटल स्ट्रेन ज्यादा होने लगा है।”
वे सुझाव देती हैं, “आंखों का व्यायाम तभी लाभकारी होता है, जब आप कन्वर्जेंस इनसफिशियेंसी से पीड़ित होते हैं। ऐेसे मामलों में कन्वर्जेंस एक्सरसाइज़ से लाभ मिलता है। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि बुजुर्गों की पलकों के टिश्यूज़ में कमजोरी की वजह से उनकी आंखों से पानी बहने लगता है और उन्हें ब्लिंकिंग एक्सरसाइज़ से फायदा होता है, जिससे पलकों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं।”
शरीर को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए नियमित व्यायाम करना महत्वपूर्ण होता है, और खासतौर से बढ़ती उम्र के बच्चों के लिए यह खासतौर से उपयोगी होता है। आंखों पर दबाव और थकान बढ़ने से, पहले से कमजोर बच्चों में बार-बार चश्मे का नंबर बढ़ने की शिकायत देखी गई है। इसलिए, विशेषकर बच्चों के लिए इन निर्देशों का पालन करना जरूरी है ताकि आंखों पर दबाव कम पड़े, ये हैं –
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