सर्दी की दोपहर में अक्सर लोग एक के बाद एक न जाने कितनी मात्रा में मूंगफली का सेवन कर लेते है। उसमें मौजूद हेल्दी फैट्स जहां शरीर को पोषण देते हैं, तो वहीं वेटगेन का खतरा भी बढ़ने लगता हें। अक्सर लोग सर्दी में वेटगेन की शिकयत करते हैं और बिना रूके लगातार मूंगफली खाना उनकी समस्या का कारण बन सकता है। दरअसल, हाई फाइबर, फैट्स और प्रोटीन से भरपूर ये हेल्दी स्नैक्स शरीर का इम्यून सिस्टम मज़बूत बनाते हैं और हड्डियों को भी मज़बूती प्रदान करते है। मगर इसका अधिक सेवन वेटगेन का कारण बन सकता है। जानते हैं कि कैसे मूंगफली का सेवन (peanuts to lose weight) करने से बढ़ने लगती है वेटगेन की समस्या।
इस बारे में डायटीशियन डॉ अदिति शर्मा बताती हैं कि मूंगफली में पॉली और मोनोअनसैचुरेटेड फैट्स पाए जाते है, जो हृदय रोग, मधुमेह और कैंसर सहित कई सूजन संबंधी बीमारियों के जोखिम को कम कर देते है। इसमें मौजूद मैग्नीशियम, पोटेशियम और फोलेट की मात्रा ब्लडप्रेशर को नियंत्रित रखती हैं और शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करती है। मगर इसका अधिक इस्तेमाल वेटगेन का कारण बनने लगता है।
हांलाकि मूंगफली का इंडेक्स भी लो होता है, जिससे डायबिटीज़ का जोखिम कम हो जाता है और इंसुलिन रज़िस्टेंस का कारण नहीं बनता है। यूएसडीए के अनुसार एक औंस यानि 28 ग्राम मूंगफली शरीर को 7 ग्राम प्रोटीन, जो दैनिक ज़रूरतों का 11 फीसदी है। 14 ग्राम फैट्स, जिससे 22 फीसदी की प्राप्ति होती है और 2 ग्राम फाइबर, जो दैनिक ज़रूरतों का 8 फीसदी है।
मूंगफली फैट का एक रिच सोर्स है इसलिए इसके अधिक सेवन से वजन बढ़ने लगता है। एनआईएच के रिसर्च के अनुसार मुट्ठी भर मूंगफली में 170 कैलोरी होती है। जब कि हमारे शरीर को प्रतिदिन 1600 से 2400 कैलोरी की आवश्यकता होती है। मूंगफली खाते समय दैनिक आवश्यकता से ज्यादा फैट्स मिल जाते है, जिससे शरीर को वेटगेन का सामना करना पड़ता है। इसका अधिक सेवन शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने का कारण साबित होता है।
यूएसडीए के अनुसार सौ ग्राम मूंगफली में 16 ग्राम कार्ब्स की मात्रा पाई जाती है, जो सामान्य है। मगर ज्यादा मात्रा में इसका सेवन शरीर में कार्ब्स की मात्रा को बढ़ा देता है, जिससे वेटगेन का सामना करना पड़ता है। वे लोग जो नियमित रूप से रोस्टिड मूंगुली खाते हैं। उनमें मोटापे का खतरा बढ़ जाता है।
प्रोटीन और फाइबर से भरपूर मूंगफली का सेवन करने से लंबे वक्त तक भूख शांत रहती है। मगर नियमित रूप से इसका सेवन पेट की चर्बी को बढ़ा देता है। कुछ लोग रोस्ट करके तो कुछ केरमलाइज्ड करके मूंगफली का सेवन करते हैं। इससे भूख संतुष्ट हो जाती है। मगर कैलोरी स्टोरेज का खतरा बढ़ने लगता है। रोज़ाना सेवन करने से बचें और मॉडरेट ढ़ग से खाने का प्रयास करें।
इसमें मौजूद प्रोटीन की मात्रा मसल्स की मज़बूती को बढ़ाती है और शरीर में मौजूद कैलोरीज़ को एनर्जी के रूप में इस्तेमाल करती है। प्लांट बेस्ड प्रोटीन के सेवन से शरीर में कैलोरीज़ को नियंत्रित किया जा सकता है। साथ ही मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है, जिससे वेटलॉस में मदद मिलती है।
बार बार होने वाली क्रेविंग से राहत पाने के लिए मूंगफली का सेवन करें। इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर की प्राप्ति होती है, जिससे व्यक्ति देर तक संतुष्ट रहता है। इसके अलावा पाचनतंत्र को भी मज़बूती मिलती है। साथ ही शुगर बढ़ने की समस्या भी कम हो जाती है।
इसमें मौजूद अमीनो एसिड की मात्रा भूख को रेगुलेट करने में मदद करती है। इसमें मौजूद हेल्दी फैट्स शरीर को फायदा पहुंचाते हैं और हृदय रोगों का खतरा कम होने लगता है। इसमें विटामिन और मिनरल की भी उच्च मात्रा पाई जाती है। मूंगफली में मौजूद बायोएक्टिव कंपाउंड और एंटीऑक्सीडेंटस शरीर को स्वस्थ रखते हैं।
मूंगफली को भिगोकर खाने से छिलके में पाई जाने वाली फाइटेट्स और ऑक्सालेट की मात्रा पाचन में मदद करती है। साथ ही वेटगेन से बचा जा सकता है।
वजन बढ़ने से होने वाली समस्याओं से सतर्क रहने के लिए
बीएमआई चेक करेंइसका सेवन स्नैक्स के रूप में करें या फिर इसे पोहा, उपमा और भेलपुरी में शामिल करके करें। इससे पेट भरा रहता है और शरीर को उच्च पोषण की भी प्राप्ति होती है।ं
भरपूर मात्रा में फाइबर की प्राप्ति के लिए छिलका समेत मूंगफली खाने से पेट भरा हुआ रहता है और व्यक्ति सीमित मात्रा में खाता है। मगर कुछ लोगों के लिए मूंगफली पर मौजूद पतला लाल छिलका खांसी का भी कारण बन सकता है। इसे खाने में भी सावधानी बरतनी चाहिए, अन्यथा जल्दबाज़ी में ये गले में अटक सकता है।